पटनाः लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार में 4 चरण में वोटिंग हो चुकी है. 20 मई को बिहार में पांचवें चरण का मतदान 5 लोकसभा सीट पर मतदान होगा. इन 5 सीटों में सबसे ज्यादा लाइमलाइट वाली सीट हाजीपुर, सारण और मुजफ्फरपुर है. इसके अलावा मधुबनी और सीतामढ़ी में भी वोटिंग होगी. एक नजर में देखें तो सभी सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशियों में मुकाबला दिख रहा है.
पिछली बार एनडीए की पांचों सीट पर जीतः लोकसभा चुनाव 2019 में इन पांचों सीट पर एनडीए के प्रत्याशियों की जीत हुई थी लेकिन इसबार का समीकरण कुछ और दिख रहा है. लालू प्रसाद यादव और राहुल गांधी भी बिहार में पूरी ताकत लगाए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार लगातार रैली करते रहे हैं. एनडीए के सामने चुनौती है कि पिछली बार की तरह पांचों सीट जीत हासिल करे और महागठबंधन के सामने चुनौती है कि एनडीए के पांचों सीट में सेंध लगाए.
सारण लोकसभा सीटः सारण लोकसभा सीट पर दो दिगज्जों का इज्जत दाव पर लगा है. इस सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है. एनडीए की ओर से बीजेपी प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी और महागठबंधन की ओर से राजद प्रत्याशी रोहिणी आचार्य के बीच मुकाबला है. एक ओर पिछले दो बार से सांसद रहे राजीव प्रताप रूडी तीसरी बार जीत का दावा कर रहे हैं तो रोहिणी आचार्य पहली बार मैदान में उतरी है.
राजीव प्रताप रूडी VS रोहिणी आचार्यः राजीव प्रताप रूडी के बारे में बता करें तो राबड़ी देवी को इस सीट से चुनाव में पराजित कर चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में राजीव प्रताप रूडी ने लालू प्रसाद यादव के समधी और पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय के पुत्र चंद्रिका राय को बड़े अंतर से चुनाव में हराया था. 2024 में रूडी को इस बार ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है क्योंकि रोहिणी आचार्य लगातार कैंप कर रही है. खुद लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी सहित राजद के सभी वरिष्ठ नेता पसीना बहा रहे हैं.
मधुबनी लोकसभा सीटः मधुबनी में एक बार फिर से बीजेपी ने अशोक यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है. अशोक यादव बीजेपी के वरिष्ठ नेता हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र हैं. 2014 में हुकुमदेव नारायण यादव मधुबनी से सांसद हुए लेकिन 2019 में उनके पुत्र अशोक यादव को टिकट मिला. अशोक यादव ने VIP के उम्मीदवार बद्री पुर्वे को हराया था. अशोक यादव बिहार में सबसे अधिक मतों से जीतने वाले प्रत्याशी थे. 2024 में अशोक यादव के खिलाफ राजद ने दरभंगा से चार बार के सांसद रहे अली अशरफ फातमी को उतारा है.
मधुबनी में माय समीकरण प्रभावीः मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में तीन विधानसभा हैं जिसमें अल्पसंख्यकों की संख्या ज्यादा है. बिस्फी जाले, और केवटी विधानसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसीलिए इस बार राजद ने एक दिग्गज चेहरा उतरा है. अशोक यादव को 2024 के लोकसभा चुनाव में खासी मेहनत करनी पड़ रही है, क्योंकि मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में माय समीकरण प्रभावी है.
इस तरह होता रहा है चुनावः कई बार से मधुबनी लोकसभा क्षेत्र का चुनाव जातीय समीकरण पर नहीं बल्कि धार्मिक आधार पर लड़ा जा रहा है. हुकुमदेव नारायण यादव यहां यादव मतदाताओं को भी अपने पक्ष में कर चुके हैं. यहां यादवों के वोट में बिखराव देखने को मिलता है. हुकुमदेव यादव के पक्ष में (कृष्णनौठ) यादव खुलकर मतदान करते हैं, वहीं (मजरौठ) यादव की पहली पसंद आरजेडी रहती है. 2024 के चुनाव में एक बार फिर से अशोक यादव को मोदी फैक्टर पर भरोसा है.
सीतामढ़ी लोकसभा सीटः सीतामढ़ी लोकसभा सीट से जदयू ने बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है. राजद ने एक बार फिर से अर्जुन राय पर अपना भरोसा जताया है. पिछले दो लोकसभा चुनाव में सीतामढ़ी से एनडीए के प्रत्याशी की जीत हो रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में आरएलएसपी के राम कुमार शर्मा संसद का चुनाव जीते थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू के सुनील कुमार पिंटू ने राजद के अर्जुन राय को चुनाव में हराया था. इस बार जेडीयू ने सुनील कुमार पिंटू की जगह देवेश चंद्र ठाकुर को मैदान में उतारा है.
सीतामढ़ी में किसका पलरा भारीः आरजेडी को अपनी परंपरागत माय समीकरण पर भरोसा है. जदयू को नरेंद्र मोदी का चेहरा और नीतीश कुमार के सुशासन पर भरोसा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में सीतामढ़ी में जेडीयू और राजद के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है. देवेश चंद्र ठाकुर की साफ छवि नरेंद्र मोदी का नाम केंद्र सरकार के 10 साल के काम एवं नीतीश कुमार के काम पर देवेश चंद्र ठाकुर को भरोसा है और उनका पलरा वहां भारी दिख रहा है.
हाजीपुर लोकसभा सीटः सारण की तरह हाजीपुर भी हॉट सीट है. अपने चाचा से काफी विवाद के बाद चिराग पासवान यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि बाद में पशुपति पारस ने अपने भतीजे को समर्थन करने का ऐलान किया. हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र की पहचान रामविलास पासवान के क्षेत्र के रूप में की जाती रही है. रामविलास पासवान यहां से सात बार सांसद रह चुके हैं. 2014 में अंतिम बार रामविलास पासवान यहां से चुनाव जीते थे.
पिछली बार पशुपति पारस की जीतः 2019 में रामविलास पासवान ने यह सीट अपने छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को दे दी. 2019 लोकसभा चुनाव में पशुपति कुमार पारस ने राजद के शिवचंद्र राम को हराकर जीत हासिल की थी. लेकिन लोजपा में टूट के बाद चिराग पासवान हाजीपुर से ही चुनाव लड़ने पर अडिग रहे.
चिराग पासवान VS शिवचंद्र राम: 2024 के चुनाव में एनडीए की तरफ से चिराग पासवान LJPR प्रत्याशी बने हैं. इस सीट पर फिर से राजद के शिवचंद्र राम से मुकाबला होगा. आरजेडी को अपने परंपरागत माय समीकरण पर भरोसा है. राजद प्रत्याशी को रविदास समाज का वोट मिलने की उम्मीद है. यही कारण है कि वह दावा कर रहे हैं कि इस बार उनकी जीत होगी लेकिन रामविलास पासवान के किए हुए काम, चिराग पासवान की छवि, नरेंद्र मोदी का चेहरा और 10 वर्षों का केंद्र सरकार के काम को देखते चिराग पासवान को जीत की उम्मीद है.
मुजफ्फरपुर लोकसभा सीटः मुजफ्फरपुर में इसबार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला रहा है. पिछले दो बार से जिस एनडीए प्रत्याशी की जीत हो रही थी वह इसबार कांग्रेस से मैदान में उतरे हुए हैं. एनडीए ने नया चेहरा मुजफ्फरपुर में उतारा है. भाजपा प्रत्याशी को नरेंद्र मोदी के चेहरे और 10 वर्षों के काम का भरोसा है. इस बार बीजेपी की राज भूषण चौधरी और कांग्रेस के अजय निषाद के बीच में सीधी लड़ाई दिख रही है. नरेंद्र मोदी के चेहरे के सामने वहां के मतदाताओं को और कुछ नहीं दिख रहा है. इसका लाभ भाजपा के प्रत्याशी को होता दिख रहा है.
अजय निषाद कांग्रेस से लड़ रहे चुनावः मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र निषाद बहुल क्षेत्र माना जाता है. कैप्टन जयनारायण निषाद चार बार सांसद रहे. 2014 और 2019 में इनके बेटे अजय निषाद बीजेपी के सिंबल पर चुनाव जीते थे लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने टिकट काट दिया. अजय निषाद कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. अजय निषाद को राजद के माय समीकरण का भरोसा है लेकिन पिछले कार्यकाल में उनकी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं रहने के कारण उनके सामने चुनौती है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ? कुल मिलाकर देखें तो इन पांचों लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. सबसे ज्यादा नजर सारण, हाजीपुर, और मुजफ्फरपुर पर है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सभी पांचों सीटों पर क्लोज फाइट है. सारण लोकसभा सीट लालू प्रसाद यादव की परंपरागत सीट रही है. इस बार लालू प्रसाद यादव ने अपनी बेटी रोहिणी आचार्य को वहां से उम्मीदवार बनाया है.
'सारण में मोदी का असर': कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि कुछ लोग मानते हैं सारण सीट फंसा हुआ है लेकिन नरेंद्र मोदी ने नीचे तबके के लोगों में अपना वोट बैंक बना लिया है. लगभग 200 से ज्यादा गांव उन्होंने घूमा है. केंद्र सरकार के द्वारा योजनाएं चलाई जा रही है और लोग उससे लाभान्वित हो रहे हैं. शौचालय योजना, 5 किलो फ्री राशन, आयुष्मान कार्ड जैसी योजना का लाभ मिल रहा है.
मधुबनी में इन मुद्दों पर होती है वोटिंगः जनता की नजर में अभी भी राजीव प्रताप रूडी पलरा भारी दिख रहा है. अन्य चार सीट जिसमें हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी सभी जगह पर सीधा मुकाबला है. मधुबनी में जातिगत समीकरण नहीं है. यहां समाजवाद और राष्ट्रवाद के नाम पर वोट होता है. जिसका लाभ मिलता दिख रहा है.
"सभी प्रत्याशी जो चुनाव लड़ रहे हैं वे मोदी के भरोसे हैं. नरेंद्र मोदी के चेहरे का लाभ 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के प्रत्याशियों को मिलता हुआ दिख रहा है." -कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरीष्ठ पत्रकार
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