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देश में वामपंथी उग्रवाद में आई भारी कमी, 9 राज्यों के 38 जिलों में सिमटे नक्सली, पांच साल में 647 मारे गए - Left Wing Extremism

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 6, 2024, 10:55 PM IST

Left Wing Extremism violence constricted to 38 districts: केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि 2024 में वामपंथी उग्रवाद सिर्फ 9 राज्यों के 38 जिलों तक समिट गया है. जबकि 2013 में 10 राज्यों में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी. वहीं, पिछले पांच वर्षों में 647 नक्सली या माओवादी मारे गए हैं और सुरक्षा बलों के 207 जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

Left Wing Extremism violence constricted to 38 districts
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (ANI)

नई दिल्ली: देश में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से संबंधित हिंसा का दायरा सिमट कर बहुत कम हो गया है. केंद्र ने मंगलवार को संसद में बताया कि 2013 में 10 राज्यों में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी, जो 2024 में घटकर 9 राज्यों में केवल 38 रह गई है. नक्सलवाद से प्रभावित नौ राज्य आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल हैं. नीति के दृढ़ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हिंसा में लगातार कमी आई है और भौगोलिक प्रसार में कमी आई है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में कहा कि 2010 की तुलना में वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में 73 प्रतिशत की कमी आई है. इसके परिणामस्वरूप होने वाली मौतों (सुरक्षा बलों और नागरिकों) 86 प्रतिशत कम हुई हैं. 2010 में जहां 1,005 मौतें हुई थीं, वहीं 2023 में मौतों की संख्या घटकर 138 रह गई है. इस साल 30 जून तक वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में 32 प्रतिशत की कमी आई है और नागरिकों तथा सुरक्षा बलों के जवानों की मौतों में 17 प्रतिशत की कमी आई है.

उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से पूरी तरह से निपटने के लिए भारत सरकार ने 2015 में 'वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना' को मंजूरी दी थी. इस नीति में सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास में हस्तक्षेप, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों को सुनिश्चित करने को लेकर बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है.

राय ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की रिपोर्ट करने वाले पुलिस थानों की संख्या वर्ष 2010 में 96 जिलों में 465 थी, जो घटकर वर्ष 2023 में 42 जिलों में 171 पर आ गई है. वर्ष 2024 (जून 2024 तक) में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की रिपोर्ट 30 जिलों के 89 पुलिस थानों में दर्ज की गई.

राय ने कहा कि पिछले पांच वर्षों (1 जनवरी, 2019 से 15 जुलाई, 2024 तक) के दौरान वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा में 647 नक्सली या माओवादी मारे गए हैं और सुरक्षा बलों के 207 कर्मियों ने सर्वोच्च बलिदान दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों की क्षमता निर्माण के लिए भी धनराशि उपलब्ध कराती है.

सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना
एसआरई योजना के तहत सुरक्षा बलों की परिचालन आवश्यकताओं, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास, सामुदायिक पुलिसिंग और अनुग्रह राशि आदि पर व्यय किया जाता है. इस योजना के तहत पिछले 10 वर्षों में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों को 3.006 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस)
2017 में शुरू की गई एसआईएस योजना के तहत, विशेष बल (राज्य पुलिस और विशेष खुफिया शाखाओं-एसआईबी) के आधुनीकरण और सुदृढ़ीकरण तथा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 250 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन (एफपीएस) के निर्माण के लिए 2017-2021 के दौरान 991.04 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. 209 एफपीएस का निर्माण पहले ही किया जा चुका है. विस्तारित विशेष अवसंरचना योजना के तहत 610 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है.

यह भी पढ़ें- जेल में बंद नक्सली कमांडर ने रचा इतिहास, पीएचडी प्रवेश परीक्षा में किया टॉप

नई दिल्ली: देश में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से संबंधित हिंसा का दायरा सिमट कर बहुत कम हो गया है. केंद्र ने मंगलवार को संसद में बताया कि 2013 में 10 राज्यों में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी, जो 2024 में घटकर 9 राज्यों में केवल 38 रह गई है. नक्सलवाद से प्रभावित नौ राज्य आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल हैं. नीति के दृढ़ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हिंसा में लगातार कमी आई है और भौगोलिक प्रसार में कमी आई है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में कहा कि 2010 की तुलना में वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में 73 प्रतिशत की कमी आई है. इसके परिणामस्वरूप होने वाली मौतों (सुरक्षा बलों और नागरिकों) 86 प्रतिशत कम हुई हैं. 2010 में जहां 1,005 मौतें हुई थीं, वहीं 2023 में मौतों की संख्या घटकर 138 रह गई है. इस साल 30 जून तक वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में 32 प्रतिशत की कमी आई है और नागरिकों तथा सुरक्षा बलों के जवानों की मौतों में 17 प्रतिशत की कमी आई है.

उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से पूरी तरह से निपटने के लिए भारत सरकार ने 2015 में 'वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना' को मंजूरी दी थी. इस नीति में सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास में हस्तक्षेप, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों को सुनिश्चित करने को लेकर बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है.

राय ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की रिपोर्ट करने वाले पुलिस थानों की संख्या वर्ष 2010 में 96 जिलों में 465 थी, जो घटकर वर्ष 2023 में 42 जिलों में 171 पर आ गई है. वर्ष 2024 (जून 2024 तक) में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की रिपोर्ट 30 जिलों के 89 पुलिस थानों में दर्ज की गई.

राय ने कहा कि पिछले पांच वर्षों (1 जनवरी, 2019 से 15 जुलाई, 2024 तक) के दौरान वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा में 647 नक्सली या माओवादी मारे गए हैं और सुरक्षा बलों के 207 कर्मियों ने सर्वोच्च बलिदान दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों की क्षमता निर्माण के लिए भी धनराशि उपलब्ध कराती है.

सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना
एसआरई योजना के तहत सुरक्षा बलों की परिचालन आवश्यकताओं, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास, सामुदायिक पुलिसिंग और अनुग्रह राशि आदि पर व्यय किया जाता है. इस योजना के तहत पिछले 10 वर्षों में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों को 3.006 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस)
2017 में शुरू की गई एसआईएस योजना के तहत, विशेष बल (राज्य पुलिस और विशेष खुफिया शाखाओं-एसआईबी) के आधुनीकरण और सुदृढ़ीकरण तथा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 250 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन (एफपीएस) के निर्माण के लिए 2017-2021 के दौरान 991.04 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. 209 एफपीएस का निर्माण पहले ही किया जा चुका है. विस्तारित विशेष अवसंरचना योजना के तहत 610 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है.

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