बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य पाठ्यक्रम वाले स्कूलों की कक्षा 5, 8, 9 और 11 के लिए राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी परिपत्र को रद्द करने का आदेश दिया है. पिछली भाजपा सरकार ने पहले एक परिपत्र जारी कर राज्य पाठ्यक्रम स्कूलों के कक्षा 5, 8, 9 और 11 के छात्रों के लिए स्कूल स्तर के मूल्यांकन के बजाय राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया था.
इस पर सवाल उठाते हुए यूनियन ऑफ अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स की ओर से दायर याचिका पर जस्टिस रवि होस्मानी की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की और बुधवार को फैसला सुनाया. आदेश की विस्तृत प्रति अभी उपलब्ध नहीं करायी गयी है. राज्य शिक्षा विभाग ने बोर्ड स्तर की परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लेते हुए शिक्षा अधिनियम के तहत 6 और 9 अक्टूबर, 2023 को दो परिपत्र जारी किए थे.
हाई कोर्ट के इस आदेश से 13 से 19 मार्च तक होने वाली बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं. सर्कुलर को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता ने कहा कि 'शिक्षा विभाग का सर्कुलर केवल सरकारी स्कूलों के छात्रों पर लागू है. यह पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है. हालांकि, सरकार का कहना है कि उसने बोर्ड परीक्षा के लिए लर्निंग रिकवरी सिलेबस से प्रश्न तैयार किए हैं.'
याचिकाकर्ता ने आगे अनुरोध किया कि 'निजी स्कूलों का पाठ्यक्रम और सरकारी स्कूलों का पाठ्यक्रम अलग-अलग होता है. निजी स्कूल के बच्चों के लिए सीखने की पुनर्प्राप्ति पाठ्यक्रम के प्रश्नों का उत्तर देना कठिन है. इसलिए, बोर्ड स्तर की परीक्षा को सभी बच्चों पर लागू करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.' सरकार के वकील ने कहा कि 'सीखने की पुनर्प्राप्ति भी पाठ्यक्रम का हिस्सा है. लर्निंग रिकवरी पाठ्यक्रम सामान्य पाठ्यक्रम से तैयार किया गया है.'
सरकारी वकील ने दलील दी कि 'इसे बच्चों की बुद्धि को सकारात्मक रूप से बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. प्रश्न पत्र में कोई अतिरिक्त पाठ्यक्रम प्रश्न नहीं हैं. इसलिए, बोर्ड परीक्षा के लिए लर्निंग रिकवरी सिलेबस से प्रश्न प्राप्त करना सही है. तदनुसार परीक्षा आयोजित करने का अवसर दिया जाना चाहिए.' याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील केवी धनंजय और अनिरुद्ध ए कुलकर्णी पेश हुए थे.