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जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से विलुप्त हो गए लकड़बग्घे! साल 2016 के बाद एक भी नहीं दिखाई दिया

Hyenas become extinct in Corbett Park आज से करीब 50 साल पहले जहां कॉर्बेट नेशनल पार्क में बड़ी संख्या में वाइल्ड डॉग (लकड़बग्घा) हुआ करते थे, उस पार्क में आज एक भी लकड़बग्घा नहीं है. साल 2016 के बाद कॉर्बेट नेशनल पार्क में एक भी लकड़बग्घा दिखाई नहीं दिया है. माना जा रहा है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क से लकड़बग्घा पूरी तरह से विलुप्त हो चुका है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 16, 2024, 2:16 PM IST

रामनगर: उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से शायद वाइल्ड डॉग (लकड़बग्घा) विलुप्त हो चुका है. ये दावा ऐसे ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि इसके पीछे का एक बड़ा कारण ये है कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में 2016 के बाद एक भी लकड़बग्घा नहीं दिखाई दिया है. वैसे पहले भी कॉर्बेट नेशनल पार्क में लकड़बग्घे की उपस्थिति नहीं के बारबर ही थी.

लकड़बग्घा को लेकर सीटीआर (कॉर्बेट टाइगर रिजर्व) में शोध चल रहा है और जंगलों में लगे कैमरा ट्रैप खंगाले जा रहे हैं. वहीं, वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि आज से करीब 50 साल पहले वाइल्ड डॉग यानी लकड़बग्घों की कॉर्बेट में बड़ी संख्या में मौजूदगी थी, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती चली गई और आज ये कॉर्बेट में विलुप्त ही हो गए.

वन्यजीव प्रेमी बताते हैं कि लकड़बग्घे मरचूला के जंगल, ढेला, मोरघट्टी और पाखरो आदि क्षेत्रों में 2016 तक दिखाई दिए थे. 2015 में कॉर्बेट लैंडस्केप और रामनगर वन प्रभाग की देचौरी रेंज के पवलगढ़ में पर्यटक को लकड़बग्घा दिखाई दिया था. वहीं इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए कॉर्बेट पार्क के उपनिदेशक दिगंत नायक ने बताया कि लकड़बग्घे की प्रेसेंस तराई क्षेत्रों में पाई जाती है, जिसमें दुधवा टाइगर रिज़र्व और पीलीभीत टाइगर रिज़र्व में उनकी साइटिंग हुई है. वहीं कुछ समय पहले तराई क्षेत्र में लकड़बग्घों की उपस्थिति दिखाई दी थी. हालांकि कॉर्बेट पार्क में इनकी संख्या न के बराबर है.

उपनिदेशक दिगंत नायक ने बताया कि 2016 में कॉर्बेट के अंदर लकड़बग्घा दिलाई दिया था, लेकिन वो भी किसी पर्यटक को. उपनिदेशक दिगंत नायक के मुताबिक हर साल बाघों की गणना के लिए कॉर्बेट नेशनल पार्क के जंगलों में कैमरा ट्रैप लगाये जाते हैं. लेकिन साल 2016 से उनके कैमरे में कोई भी लकड़बग्घा कैद नहीं हुआ है. ऐसे में माना जा रहा है कि कॉर्बेट पार्क में लकड़बग्घा विलुप्त हो चुका है.

लकड़बग्घा छोटे जानवरों और मवेशियों को भी मार सकता है. वह भोजन के लिए सूर्यास्त के बाद सक्रिय हो जाता है. 2015 के बाद कोई भी लकड़बग्घा कॉर्बेट लैंडस्कैप में नहीं दिख रहा है.

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रामनगर: उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से शायद वाइल्ड डॉग (लकड़बग्घा) विलुप्त हो चुका है. ये दावा ऐसे ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि इसके पीछे का एक बड़ा कारण ये है कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में 2016 के बाद एक भी लकड़बग्घा नहीं दिखाई दिया है. वैसे पहले भी कॉर्बेट नेशनल पार्क में लकड़बग्घे की उपस्थिति नहीं के बारबर ही थी.

लकड़बग्घा को लेकर सीटीआर (कॉर्बेट टाइगर रिजर्व) में शोध चल रहा है और जंगलों में लगे कैमरा ट्रैप खंगाले जा रहे हैं. वहीं, वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि आज से करीब 50 साल पहले वाइल्ड डॉग यानी लकड़बग्घों की कॉर्बेट में बड़ी संख्या में मौजूदगी थी, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती चली गई और आज ये कॉर्बेट में विलुप्त ही हो गए.

वन्यजीव प्रेमी बताते हैं कि लकड़बग्घे मरचूला के जंगल, ढेला, मोरघट्टी और पाखरो आदि क्षेत्रों में 2016 तक दिखाई दिए थे. 2015 में कॉर्बेट लैंडस्केप और रामनगर वन प्रभाग की देचौरी रेंज के पवलगढ़ में पर्यटक को लकड़बग्घा दिखाई दिया था. वहीं इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए कॉर्बेट पार्क के उपनिदेशक दिगंत नायक ने बताया कि लकड़बग्घे की प्रेसेंस तराई क्षेत्रों में पाई जाती है, जिसमें दुधवा टाइगर रिज़र्व और पीलीभीत टाइगर रिज़र्व में उनकी साइटिंग हुई है. वहीं कुछ समय पहले तराई क्षेत्र में लकड़बग्घों की उपस्थिति दिखाई दी थी. हालांकि कॉर्बेट पार्क में इनकी संख्या न के बराबर है.

उपनिदेशक दिगंत नायक ने बताया कि 2016 में कॉर्बेट के अंदर लकड़बग्घा दिलाई दिया था, लेकिन वो भी किसी पर्यटक को. उपनिदेशक दिगंत नायक के मुताबिक हर साल बाघों की गणना के लिए कॉर्बेट नेशनल पार्क के जंगलों में कैमरा ट्रैप लगाये जाते हैं. लेकिन साल 2016 से उनके कैमरे में कोई भी लकड़बग्घा कैद नहीं हुआ है. ऐसे में माना जा रहा है कि कॉर्बेट पार्क में लकड़बग्घा विलुप्त हो चुका है.

लकड़बग्घा छोटे जानवरों और मवेशियों को भी मार सकता है. वह भोजन के लिए सूर्यास्त के बाद सक्रिय हो जाता है. 2015 के बाद कोई भी लकड़बग्घा कॉर्बेट लैंडस्कैप में नहीं दिख रहा है.

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