बगहा : पूरे विश्व में सांपों की 2500 से 3000 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसी में से एक हरे रंग के सांपों की दुनिया भी है. विश्व भर में इनकी दर्जनों प्रजातियां हैं जो अमूमन विषहीन होते हैं, लेकिन सभी हरे रंग के सांपों को जहरीला नहीं होने की गफलत में नहीं रहें. क्योंकि, इन हरे रंग के सांपों में से एक 'बंबू ग्रीन पिट वाइपर' बेहद जहरीला होता है.
जहरीला होता है 'हरा' सांप : भारत में सांपों की करीब 300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 60 से ज़्यादा ज़हरीली हैं. ये सांप विभिन्न रंग - रूप में पाए जाते हैं. आमतौर पर काला, लाल, हरा, भूरा और नारंगी रंग के सांप देखने को मिलते हैं. इन्हीं में से एक हैं हरे रंग के सांप. जिनके बारे में कहा जाता है कि ये सांप विषहीन होते हैं और पत्तेदार परिवेश में घुल मिल जाने वाले छलावरण में माहिर होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन हरे रंग के सांपों में एक बेहद जहरीला सांप भी शामिल है. जिसको विषहीन समझने की भूल करना खतरे से खाली नहीं है.
बंबू ग्रीन पिट वाइपर है विषैला : जी हां हरे रंग के वाइपर सांप में खुरदुरा हरा साँप, चिकना हरा सांप, घास सांप, हरा चाबुक सांप, उद्यान सांप, बेल सांप, कीलदार हरा सांप इत्यादि शामिल हैं. जिसमें 'बंबू ग्रीन पिट वाइपर' बेहद जहरीला होता है. इसके काटने के बाद इंसान के ऊतक (Tissue) बुरी तरह प्रभावित होते हैं और उनकी मौत हो जाती है. क्योंकि उनका जहर मुख्य रूप से न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचाता है. साथ ही शरीर के ऊतकों या रक्त कोशिकाओं पर भी अपना असर डालता है.
क्या कहते हैं जानकार? : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनिया भर में हर साल लगभग 4.5 मिलियन से 5.4 मिलियन लोगों को सांप काटता है. उस अनुमान के अनुसार, 1.8 मिलियन से 2.7 मिलियन लोग साँप के काटने के बाद बीमार हो जाते हैं. हर साल 81,000 से 138,000 लोग साँप के काटने से मर जाते हैं. नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड लाइफ ऑफ सोसाइटी (NEWS) के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक बताते हैं कि हरे रंग के वाइपर सांप की अधिकांश प्रजातियां जहरीली नहीं होती. लेकिन, बंबू ग्रीन पिट वाइपर काफी जहरीला होता है.
''इसके काटने से तंत्रिका तंत्र बुरी तरह प्रभावित होता है. लिहाजा इसके काटने से इंसान की मौत हो जाती है. इसको पहचानने के लिए इसके मुंह पर ध्यान से देखना होता है. इसका मुंह अन्य हरे रंग की सांपों की तुलना में नुकीला नहीं होता बल्कि चपटा होता है. यह चमकीले हरे रंग का होता है. इसका सिर तीन तरफ़ा होता है, क्योंकि दोनों आंखों के बीच एक और आंख की तरह बिंदु होता है. यह धीमी गति से चलता है और अमूमन झाड़ी और बांस के पेड़ों पर पाया जाता है. साथ ही रात में ज्यादा एक्टिव रहता है. पहाड़ के तराई इलाकों में हरे रंग की घास या खेतों के झाड़ियों में प्रायः इसकी उपस्थिति रहती है.''- अभिषेक, प्रोजेक्ट मैनेजर, नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड लाइफ ऑफ सोसाइटी
वहीं वाल्मीकि वसुधा परिवार के जीव जंतुओं के जानकार वी.डी. संजू का कहना है कि बंबू ग्रीन पिट वाइपर को उसके नाम के मुताबिक सिर्फ बांसों के पेड़ पर रहने वाला नहीं समझ लेना चाहिए. यह सांप हरे भरे पेड़ों समेत हरी भरी झाड़ियों के बीच रहता है और इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह छलावा सांप माना जाता है, जो पत्तों के रंग के मुताबिक खुद को ढाल लेता है.
''अधिकांश हरे रंग के सांप नॉन वेनेमस यानी विषहीन होते हैं जबकि बंबू ग्रीन पीट वाइपर वेनेमस यानी कि जहरीला होता है. इसमें न्यूरोटॉक्सिक और हिमोटॉक्सिन नामक जहर होता है, जो ऊतक और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. ये सांप कीटभक्षी होते हैं और केवल कीड़े-मकौड़े जैसे कि झींगुर, पतंगे, टिड्डे, कैटरपिलर, मक्खी के लार्वा, मकड़ियाँ इत्यादि खाते हैं. ये सांप बिहार के वाल्मिकीनगर समेत पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु और मेघालय जैसे राज्यों में पाए जाते हैं.''- वीडी संजू, वाल्मीकि वसुधा, जीव जंतुओं के जानकार
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