वाराणसी: अल्हड़ शहर बनारस में एक अजब गजब शादी कराई गई. जिसमें बाकायदा मेंढक दूल्हा और मेंढकी दुल्हन बनी. पूरे हिंदू रीति रिवाज से ये शादी संपन्न कराई गई है. खास बात यह है कि, इस विवाह में गांव की महिलाएं बनी बाराती साथ ही नव दंपति परिजन की भूमिका में नजर आए. दरअसल ऐसा कराने की पीछे छिपी है एक पैराणिक मान्यता जिसको निभाने से इलाके में अच्छी बारिश होती है.
इन दिनों पूरे देश में गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है. भगवान विश्वनाथ की नगरी काशीवासी भी गर्मी से परेशान हैं. गर्मी का तांडव देख लोगों का जीना मुहाल है. ऐसे में काशीवासियों ने भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए अनोखी शादी का आयोजन किया. जिसमें मेंढक और मेंढकी की शादी कराई गई. शादी पूरी तरह से हिंदू धर्म की परंपराओं के अनुसार कराए गए. सभी रीति रिवाजों को पुजारी ने संपन्न कराए. जिसमें महिलाओं ने विवाह गीत भी गाए.
इस अनोखी शादी कराने वाले पुजारी राकेश चौबे बताते हैं कि, हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि, यदि बारिश करानी हो तो भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी कराई जाती है. शहर के पहाड़िया इलाके के मंदिर में पूरे हिंदू संस्कार के साथ ऐसी ही एक शादी को संपन्न कराया गया. उन्होंने बताया की शादी में हल्दी, मातृकापूजन, विवाह का विशेष पूजन,कन्यादान,सिंदूरदान सभी रस्मों के साथ ही मंडप बनाकर के यह विवाह संपन्न कराया गया है.
इस शादी में नवदंपति मुख्य यजमान बने, जिन्होंने मेंढक मेंढकी का विवाह कराया. साथ ही इंद्रदेव से प्रार्थना की गई कि, वह बारिश कराएं. उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि निश्चित रूप से इस विवाह के बाद वाराणसी में शीघ्र ही वर्षा होगी और सभी लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी.
विवाह में मुख्य यजमान बनी आरती जायसवाल बताती हैं कि, पुरानी मान्यताओं में मेंढक मेंढकी की शादी कराई जाती थी, लेकिन आज के समय में लोग अपनी परंपराओं को भूल रहे हैं. ऐसे में हम लोगों ने फिर से अपनी संस्कार को समझते हुए इस विवाह को संपन्न कराया है. हम लोगों ने हनुमान जी और इंद्रदेव से प्रार्थना किया की, वह हम सभी लोगों की पूजा को स्वीकार करें और इस तपती गर्मी से निजाद दिलाएं.