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डिजिटल सर्वे ने तो कमाल कर दिया, भोजपुर के किसान अब श्रीलंका और हिंद महासागर में खेती करने जायंगे! - DIGITAL SURVEY

भोजपुर के किसान जिला भूमि संरक्षण विभाग के उटपटांग डिजिटल सर्वे से हक्के-बक्के हैं. किसानों को प्लॉट की लोकेशन हिन्दमहासागार और श्रीलंका दिख रही है-

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डिजिटल सर्वे से किसान परेशान (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 27, 2025, 10:55 PM IST

भोजपुर : बिहार के किसानों को खेती करने के लिए वीजा और पासपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है. क्योंकि बिहार के भोजपुर जिला के 45 हजार प्लॉट श्रीलंका और हिंद महासागर में होने की बात पर चर्चा हो रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि डिजिटल सर्वे में भोजपुर जिला के खेतों का लोकेशन श्रीलंका और हिन्द महासागर में दिख रहा है. डिजिटल सर्वे में हुए गड़बड़ी की चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया से ले कर आम लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है. कृषि पदाधिकारी शत्रुहन साहू ने बताया कि सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण ऐसा हो रहा है इंजीनियर डिपार्टमेंट की टीम लगी है जल्द ही ठीक कर लिया जायेगा.

किसानों को खेती के लिए लेना पड़ेगा वीजा? : वैसे तो भारत के दक्षिण पश्चिम में भले ही हिंद महासागर, भोजपुर से 1200 किलोमीटर दूर है, लेकिन डिजिटल सर्वे में जिले के अधिकांश जमीन के टुकड़े समुद्र में दिख रहे हैं. इससे बड़ी संख्या में किसान हैरान और परेशान हैं. डिजिटल सर्वे में जिले के 14 प्रखंडों के 45 हजार प्लाट की लोकेशन हिंद महासागर है. इस चूक का पता तब चला, जब कृषि विभाग के कर्मचारी प्रखंडों में प्लाट का डिजिटल सर्वे करने में लगाए गए. ऐसा अक्षांश व देशांतर में तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुआ है.

शत्रुघ्न कुशवाहा, जिला कृषि पदाधिकारी (ETV Bharat)

इस गड़बड़ी से किसान हक्के-बक्के : किसानों की जमीन के बारे में वैज्ञानिक डाटा उपलब्ध करने और जरूरतमंद किसानों को योजनाओं का उचित लाभ देने के उद्देश्य से डिजिटल क्रॉप सर्वे 20 दिसंबर से चल रहा है. जिला भूमि संरक्षण विभाग प्लॉट के डिजिटल सर्वे को विभागीय साइट पर अपलोड कर रहा है. अगिआंव, गड़हनी, तरारी आदि प्रखंड के प्लाटों को उसके सेटेलाइट डाटा के आधार पर अपलोड किया जा रहा है. विभाग उन प्लाट को अपलोड नहीं कर पा रहा था, जिनके आक्षांश और देशांतर में तकनीकी गड़बड़ी थी.

हिंद महासागर में नजर आ रहे प्लॉट : कागज में जिस स्थान पर जिस मौजा और खेसरा का उल्लेख है, वह उस जगह पर नहीं दिखा रहा है. वह सीधे हिंद महासागर में दिख रहा है. कृषि विभाग के अनुसार ऐसी गलती राजस्व विभाग के द्वारा हुई है. राजस्व विभाग ने जमीन को नए सर्वे में अपलोड किया है. उसमें देशांतर की जगह अक्षांश और अक्षांश की जगह देशांतर को अपलोड कर दिया गया है. इस कारण हजारों प्लाट का भूगोल बदल गया है.

डिजिटल क्रॉप सर्वे से होगा फायदा : इस योजना के पूरे होने से किसान और विभाग को लाभ होगा. कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा, जिनका भू-अभिलेख आधार से लिंक होगा. किसानों से अपना भू-अभिलेख ठीक कराने को कहा गया है. इसके अलावा किसानों को फसल विशेष से जुड़ी योजनाओं का लाभ समय से मिलना सुनिश्चित करने में डिजिटल क्रॉप सर्वे मदद करेगा.

31 जनवरी तक लक्ष्य : कृषि विभाग को 31 जनवरी तक 10 लाख प्लाट के डिजिटल सर्वे का लक्ष्य दिया गया है. एक प्लाट का सर्वे करने के लिए पांच रुपये का बोनस दिया जा रहा है. 24 जनवरी तक 95 हजार प्लाट का डिजिटल सर्वे हुआ है. इनमें 45 हजार प्लाट के अक्षांश और देशांतर में गड़बड़ी मिली है. ये वो प्लाट हैं, जिन्हें राजस्व विभाग ने सर्वे के बाद आनलाइन किया है. कृषि विभाग किस प्लाट में रबी अथवा खरीफ की फसल हो रही है, इसका अक्षांश और देशांतर के अनुसार सर्वे करा रहा है.

'गड़बड़ी सॉफ्टवेयर की वजह से हुई' : जिला कृषि पदाधिकारी शत्रुघ्न साहू ने बताया कि सभी प्रखंडों में डिजिटल सर्वे किया जा रहा है. इनमें प्रखंड अंतर्गत कृषि सलाहकार, कृषि समन्वयक आदि कर्मियों को लगाया गया है. उन्होंने बताया कि यह उन्हीं प्लाटों का सर्वे किया जा रहा है, जिनका परिमार्जन ऑनलाइन हो सका है. जो गड़बड़ी सामने आई है वह सॉफ्टवेयर की वजह से हुआ है इसमें कोई तकनीकी समस्या नहीं है.

''हमारे इंजीनियर डिपार्टमेंट की टीम उसे पर काम कर रही है और जैसे ही यह गड़बड़ी ठीक कर दी जाएगी उसके बाद सर्वे को आगे जारी रखा जाएगा. जो सरकार के द्वारा लक्ष्य दिया गया है और समय दिया गया है उसके अनुरूप ही काम होगा. इसमें ज्यादा कोई परेशानी होने वाली बात नहीं है. अगर किसान अपने ऐप को फिर से रिफ्रेश करेंगे तो हो सकता है उन्हें सब कुछ ठीक मिले.''- शत्रुघ्न कुशवाहा, जिला कृषि पदाधिकारी

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भोजपुर : बिहार के किसानों को खेती करने के लिए वीजा और पासपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है. क्योंकि बिहार के भोजपुर जिला के 45 हजार प्लॉट श्रीलंका और हिंद महासागर में होने की बात पर चर्चा हो रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि डिजिटल सर्वे में भोजपुर जिला के खेतों का लोकेशन श्रीलंका और हिन्द महासागर में दिख रहा है. डिजिटल सर्वे में हुए गड़बड़ी की चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया से ले कर आम लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है. कृषि पदाधिकारी शत्रुहन साहू ने बताया कि सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण ऐसा हो रहा है इंजीनियर डिपार्टमेंट की टीम लगी है जल्द ही ठीक कर लिया जायेगा.

किसानों को खेती के लिए लेना पड़ेगा वीजा? : वैसे तो भारत के दक्षिण पश्चिम में भले ही हिंद महासागर, भोजपुर से 1200 किलोमीटर दूर है, लेकिन डिजिटल सर्वे में जिले के अधिकांश जमीन के टुकड़े समुद्र में दिख रहे हैं. इससे बड़ी संख्या में किसान हैरान और परेशान हैं. डिजिटल सर्वे में जिले के 14 प्रखंडों के 45 हजार प्लाट की लोकेशन हिंद महासागर है. इस चूक का पता तब चला, जब कृषि विभाग के कर्मचारी प्रखंडों में प्लाट का डिजिटल सर्वे करने में लगाए गए. ऐसा अक्षांश व देशांतर में तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुआ है.

शत्रुघ्न कुशवाहा, जिला कृषि पदाधिकारी (ETV Bharat)

इस गड़बड़ी से किसान हक्के-बक्के : किसानों की जमीन के बारे में वैज्ञानिक डाटा उपलब्ध करने और जरूरतमंद किसानों को योजनाओं का उचित लाभ देने के उद्देश्य से डिजिटल क्रॉप सर्वे 20 दिसंबर से चल रहा है. जिला भूमि संरक्षण विभाग प्लॉट के डिजिटल सर्वे को विभागीय साइट पर अपलोड कर रहा है. अगिआंव, गड़हनी, तरारी आदि प्रखंड के प्लाटों को उसके सेटेलाइट डाटा के आधार पर अपलोड किया जा रहा है. विभाग उन प्लाट को अपलोड नहीं कर पा रहा था, जिनके आक्षांश और देशांतर में तकनीकी गड़बड़ी थी.

हिंद महासागर में नजर आ रहे प्लॉट : कागज में जिस स्थान पर जिस मौजा और खेसरा का उल्लेख है, वह उस जगह पर नहीं दिखा रहा है. वह सीधे हिंद महासागर में दिख रहा है. कृषि विभाग के अनुसार ऐसी गलती राजस्व विभाग के द्वारा हुई है. राजस्व विभाग ने जमीन को नए सर्वे में अपलोड किया है. उसमें देशांतर की जगह अक्षांश और अक्षांश की जगह देशांतर को अपलोड कर दिया गया है. इस कारण हजारों प्लाट का भूगोल बदल गया है.

डिजिटल क्रॉप सर्वे से होगा फायदा : इस योजना के पूरे होने से किसान और विभाग को लाभ होगा. कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा, जिनका भू-अभिलेख आधार से लिंक होगा. किसानों से अपना भू-अभिलेख ठीक कराने को कहा गया है. इसके अलावा किसानों को फसल विशेष से जुड़ी योजनाओं का लाभ समय से मिलना सुनिश्चित करने में डिजिटल क्रॉप सर्वे मदद करेगा.

31 जनवरी तक लक्ष्य : कृषि विभाग को 31 जनवरी तक 10 लाख प्लाट के डिजिटल सर्वे का लक्ष्य दिया गया है. एक प्लाट का सर्वे करने के लिए पांच रुपये का बोनस दिया जा रहा है. 24 जनवरी तक 95 हजार प्लाट का डिजिटल सर्वे हुआ है. इनमें 45 हजार प्लाट के अक्षांश और देशांतर में गड़बड़ी मिली है. ये वो प्लाट हैं, जिन्हें राजस्व विभाग ने सर्वे के बाद आनलाइन किया है. कृषि विभाग किस प्लाट में रबी अथवा खरीफ की फसल हो रही है, इसका अक्षांश और देशांतर के अनुसार सर्वे करा रहा है.

'गड़बड़ी सॉफ्टवेयर की वजह से हुई' : जिला कृषि पदाधिकारी शत्रुघ्न साहू ने बताया कि सभी प्रखंडों में डिजिटल सर्वे किया जा रहा है. इनमें प्रखंड अंतर्गत कृषि सलाहकार, कृषि समन्वयक आदि कर्मियों को लगाया गया है. उन्होंने बताया कि यह उन्हीं प्लाटों का सर्वे किया जा रहा है, जिनका परिमार्जन ऑनलाइन हो सका है. जो गड़बड़ी सामने आई है वह सॉफ्टवेयर की वजह से हुआ है इसमें कोई तकनीकी समस्या नहीं है.

''हमारे इंजीनियर डिपार्टमेंट की टीम उसे पर काम कर रही है और जैसे ही यह गड़बड़ी ठीक कर दी जाएगी उसके बाद सर्वे को आगे जारी रखा जाएगा. जो सरकार के द्वारा लक्ष्य दिया गया है और समय दिया गया है उसके अनुरूप ही काम होगा. इसमें ज्यादा कोई परेशानी होने वाली बात नहीं है. अगर किसान अपने ऐप को फिर से रिफ्रेश करेंगे तो हो सकता है उन्हें सब कुछ ठीक मिले.''- शत्रुघ्न कुशवाहा, जिला कृषि पदाधिकारी

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