उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग बीते साल 12 नवंबर को देश-दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया था. 12 नवंबर को सिलक्यारा टनल में भूस्खलन होने से 41 श्रमिक अंदर फंस गए थे, जो 17 दिन तक वहीं कैद रहे. फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए एक बड़ा रेस्क्यू अभियान चलाया गया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया. यदि ये हादसा नहीं हुआ होता तो अब तक सुरंग आरपार हो चुकी होती. वहीं, इसकी फिनिशिंग का काम चल रहा होता. लेकिन इस हादसे के चलते सुरंग निर्माण की गति प्रभावित हुई है. जिसके चलते अब कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल सुरंग का निर्माण साल 2026 तक पूरा होने की बात कह रही है.
टनल के अंदर फंस गए थे 41 मजदूर: बीते साल सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन वाला हादसा उस वक्त हुआ था, जब श्रमिक रात की शिफ्ट खत्म कर दीपावली का त्योहार मनाने बाहर आने वाले थे. यह शिफ्ट सुबह 8 बजे खत्म होनी थी. लेकिन पांच बजे सुरंग के मुहाने से 200 मीटर अंदर तेज आवाज के साथ भारी भूस्खलन हुआ और सुरंग के अंदर काम कर रहे श्रमिक अंदर ही फंस गए थे. जब यह हादसा हुआ तो उस समय करीब 4.86 किमी लंबी सुरंग की निर्माण लागत 853.76 करोड़ रुपए थी. साथ ही इस साल अप्रैल-मई तक इसे ब्रेकथ्रू करने का लक्ष्य रखा गया था.
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देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन: सुरंग के आरपार होने के बाद इसकी फिनिशिंग आदि कार्य पर लगभग छह माह का और समय लगता. इस हिसाब से वर्तमान में इसकी फिनिशिंग का काम चल रहा होता. लेकिन हादसे ने इस सुरंग के निर्माण कार्य को करीब एक साल और दो महीने से अधिक पीछे धकेल दिया है. कार्यदायी संस्था ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अब इसका निर्माण पूरा होने की संभावित तिथि 28 जनवरी 2026 प्रस्तावित की है.
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पूरी तरह नहीं हट पाया है भूस्खलन का मलबा: हादसे के वक्त सुरंग की खुदाई का काम करीब 480 मीटर शेष था. हादसे के बाद इस साल जनवरी में ही निर्माण कार्य को दोबारा शुरू करने की केंद्र सरकार से अनुमति मिली थी. जानकारी के अनुसार हादसे के बाद अभी तक करीब 280 मीटर तक खुदाई की जा चुकी है, जिसके बाद मात्र 200 मीटर खोदाई शेष है. चूंकि सिलक्यारा टनल से भूस्खलन का मलबा पूरी तरह नहीं हट पाया है. इस कारण सुरंग के पोलगांव बड़कोट वाले मुहाने से ही खुदाई की जा रही है.
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टनल जल्द ब्रेकथ्रू होने की संभावना: बता दें कि सिलक्यारा टनल से भूस्खलन का मलबा हटाने के लिए ड्रिफ्ट टनल तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. जिसमें कुल तीन में से एक टनल आरपार हो चुकी है. दूसरी अंतिम चरण में और तीसरी का निर्माण शेष है. एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलको ने बताया कि दो से तीन माह में टनल ब्रेकथ्रू होने की उम्मीद है. सिलक्यारा टनल से मलबा हटाने के लिए ड्रिफ्ट टनल बनाने का काम भी चल रहा है. इस पूरे कार्य में सावधानी बरती जा रही है. सब कुछ ठीक रहा तो साल 2026 तक सुरंग का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा.
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पीएम मोदी कर रहे थे मॉनिटरिंग: गौर हो कि बीते वर्ष 12 नवंबर की सुबह से उत्तरकाशी के निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूर फंस गये थे, जिनको रेस्क्यू करने के लिए 17 दिनों का वक्त लग गया. सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों और उनके परिजनों के दर्द और पीड़ा को उत्तराखंड कभी नहीं भूल सकता. 41 श्रमिकों ने 17 दिन तक सुरंग में फंसने के बाद भी हिम्मत और हौसला बनाए रखा. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस घटना की हर दिन की अपडेट ले रहे थे. साथ ही पीएम मोदी ने केंद्रीय मंत्री को हालात सामान्य होने तक यहां डेरा डालने को कहा. वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीमांत जनपद उत्तरकाशी के सिलक्यारा में कैंप किया.
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