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हाईकोर्ट ने की मां-बेटी के विवाद ठंडा करने की पहल, बेटी को रांची अस्पताल में ए़डमिट मां से मिलने का दिया आदेश - Allahabad High Court Order

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मां-बेटी के बीच चल रहे विवाद को खत्म करने की कोशिश की. अदालत ने बेटी को रांची अस्पताल में भर्ती मां से मुलाकात करने और इलाज खर्च का 25 प्रतिशत भुगतान करने का आदेश दिया.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट कआ आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 27, 2024, 10:28 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मां-बेटी के बीच चल रहे विवाद को खत्म करने की पहल की. कोर्ट ने बेटी को रांची अस्पताल में भर्ती मां से मुलाकात करने और इलाज खर्च का 25 प्रतिशत भुगतान करने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने प्रयागराज की संगीता कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याची अपनी मां के प्रति अपना दायित्व निभाए. कोर्ट ने टिप्पणी की कि मातृ देवो भव और क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात. इसलिए बड़ों को क्षमा कर देना चाहिए.

कोर्ट ने मां बेटी के मिलने की रिपोर्ट भी मांगी है. इससे पहले कोर्ट ने याची द्वारा 50 हजार रुपये जमा करने की शर्त पर मां को बुलाया था और मुकदमे के तहत याची के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. मां के अधिवक्ता ने बताया कि वह शिकायतकर्ता (मां) रांची के अस्पताल में भर्ती हैं. कोर्ट नहीं आ सकतीं. इस पर कोर्ट ने याची को एक सप्ताह में अस्पताल में अपनी मां से मुलाकात करने का निर्देश दिया. साथ ही उम्मीद जताई कि कुछ सही होगा. मां ने याची के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है, जिससे बचने के लिए याची ने हाईकोर्ट की शरण ली है.

रिकॉर्ड रूम में गांव, तहसील व जिले का नक्शा क्यों नहीं, HC ने जौनपुर डीएम से मांगी जानकारी
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर जिले के रिकॉर्ड रूम से कई गांवों व तहसीलों के नक्शे और खसरे गायब होने को लेकर दाखिल याचिका पर वहां के डीएम से जानकारी मांगी है. कोर्ट ने कहा कि किन परिस्थितियों के कारण गांव, तहसील व जिले का अनुमोदित नक्शा रिकॉर्ड रूम में नहीं है. कोर्ट ने इस जानकारी के लिए डीएम को दो सप्ताह का समय दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने श्याम कन्हैया की जनहित याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य को सुनकर दिया.

एडवोकेट घनश्याम मौर्य का कहना है कि गांव, तहसील के नक्शे व खसरे रिकॉर्ड रूम में मौजूद न होने के कारण कलेक्टर उप्र राजस्व संहिता की धारा 30 की अर्जी तय नहीं कर पा रहे हैं. इससे लोगों को काफी नुकसान हो रहा है. धारा 30 कलेक्टर को जिम्मेदारी देती है कि वह नक्शे व खसरे का रखरखाव करें. किसी त्रुटि, संशोधन या विलोपन को समय-समय पर ठीक कराते रहें. कहा गया कि धारा 30(2) मिनजुमला नंबर विहित तरीके से मौके पर जाकर तय किया जाए. दस्तावेजों को दुरुस्त किया जाए.

ये भी पढ़ें- यूपी एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष बने बैजनाथ रावत, उपाध्यक्षों और 16 सदस्यों की लिस्ट हुई जारी - UP SC ST COMMISSION CHAIRMAN

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मां-बेटी के बीच चल रहे विवाद को खत्म करने की पहल की. कोर्ट ने बेटी को रांची अस्पताल में भर्ती मां से मुलाकात करने और इलाज खर्च का 25 प्रतिशत भुगतान करने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने प्रयागराज की संगीता कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याची अपनी मां के प्रति अपना दायित्व निभाए. कोर्ट ने टिप्पणी की कि मातृ देवो भव और क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात. इसलिए बड़ों को क्षमा कर देना चाहिए.

कोर्ट ने मां बेटी के मिलने की रिपोर्ट भी मांगी है. इससे पहले कोर्ट ने याची द्वारा 50 हजार रुपये जमा करने की शर्त पर मां को बुलाया था और मुकदमे के तहत याची के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. मां के अधिवक्ता ने बताया कि वह शिकायतकर्ता (मां) रांची के अस्पताल में भर्ती हैं. कोर्ट नहीं आ सकतीं. इस पर कोर्ट ने याची को एक सप्ताह में अस्पताल में अपनी मां से मुलाकात करने का निर्देश दिया. साथ ही उम्मीद जताई कि कुछ सही होगा. मां ने याची के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है, जिससे बचने के लिए याची ने हाईकोर्ट की शरण ली है.

रिकॉर्ड रूम में गांव, तहसील व जिले का नक्शा क्यों नहीं, HC ने जौनपुर डीएम से मांगी जानकारी
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एडवोकेट घनश्याम मौर्य का कहना है कि गांव, तहसील के नक्शे व खसरे रिकॉर्ड रूम में मौजूद न होने के कारण कलेक्टर उप्र राजस्व संहिता की धारा 30 की अर्जी तय नहीं कर पा रहे हैं. इससे लोगों को काफी नुकसान हो रहा है. धारा 30 कलेक्टर को जिम्मेदारी देती है कि वह नक्शे व खसरे का रखरखाव करें. किसी त्रुटि, संशोधन या विलोपन को समय-समय पर ठीक कराते रहें. कहा गया कि धारा 30(2) मिनजुमला नंबर विहित तरीके से मौके पर जाकर तय किया जाए. दस्तावेजों को दुरुस्त किया जाए.

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