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राष्ट्रपति पदक विजेता डिप्टी एसपी की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द; हाईकोर्ट ने कहा-बिना सर्विस रिकॉर्ड पर विचार किए पारित किया गया आदेश - Allahabad High Court News - ALLAHABAD HIGH COURT NEWS

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिप्टी एसपी रतन कुमार यादव को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का प्रदेश सरकार का आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने डिप्टी एसपी को 3 सप्ताह के भीतर सेवा में वापस लेने और उसके सभी बकाया वेतन और भत्तों का भुगतान करने का निर्देश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश. (PHOTO CREDIT ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 6, 2024, 9:24 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिप्टी एसपी रतन कुमार यादव को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का प्रदेश सरकार का आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने डिप्टी एसपी को 3 सप्ताह के भीतर सेवा में वापस लेने और उसके सभी बकाया वेतन और भत्तों का भुगतान करने का निर्देश दिया है. रतन कुमार यादव की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया ने दिया.

याची का कहना था कि उसे सरकारी कार्य, कर्तव्यपालन में लापरवाही बरतने और स्वेच्छाचारिता के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद उसके दो इंक्रीमेंट 5 वर्ष के लिए रोकने और सर्विस रिकॉर्ड में दो परिनिंदा प्रविष्टि के आदेश दिए गए. स्क्रीनिंग कमेटी ने 7 नवंबर 2019 को याची की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को मंजूरी दे दी. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा गया कि आदेश पारित करते समय याची के सर्विस रिकॉर्ड पर विचार नहीं किया गया और न ही उसके द्वारा दाखिल प्रतिउत्तर पर ही विचार किया गया.

याची को वर्ष 1998 में सब इंस्पेक्टर के पद पर रहते हुए मुन्ना बजरंगी गैंग से मुठभेड़ में एक-47 से 5 गोलियां लगी थी. ठीक होने के बाद उसे इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति दी गई तथा बाद में वह डिप्टी एसपी के पद पर प्रोन्नत हुआ. उत्कृष्ट सेवा के लिए उसे राष्ट्रपति मेडल भी मिल चुका है. स्क्रीनिंग कमेटी ने इन तथ्यों पर गौर किए बिना अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश पारित किया तथा परिंनिंदा प्रविष्टि के खिलाफ उसकी अपील खारिज कर दी गई.

कोर्ट ने सभी तथ्यों पर विचार करने और संबंधित रिकॉर्ड देखने के बाद कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी ने कोई तथात्मक संतोष अपने आदेश में दर्ज नहीं किया है. चलताऊ तरीके से अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश पारित कर दिया गया. आदेश पारित करते समय याची का व्यक्तिगत सर्विस रिकॉर्ड भी नहीं देखा गया. उसे परिनिंदा प्रविष्टि के तौर पर दोहरा दंड दिया गया. कोर्ट ने 7 नवंबर 2019 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द करते हुए याची को तीन सप्ताह के भीतर सेवा में पुनः ज्वाइन करने और 6 सप्ताह के भीतर उसके सभी बकाया वेतन व भत्तों का भुगतान करने का निर्देश दिया है.

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट का फैसला, रेप के आरोपी की उम्रकैद सात साल के कारावास में तब्दील; एससी/एसटी एक्ट और मारपीट के आरोप की सजा रद्द - High Court News

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याची का कहना था कि उसे सरकारी कार्य, कर्तव्यपालन में लापरवाही बरतने और स्वेच्छाचारिता के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद उसके दो इंक्रीमेंट 5 वर्ष के लिए रोकने और सर्विस रिकॉर्ड में दो परिनिंदा प्रविष्टि के आदेश दिए गए. स्क्रीनिंग कमेटी ने 7 नवंबर 2019 को याची की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को मंजूरी दे दी. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा गया कि आदेश पारित करते समय याची के सर्विस रिकॉर्ड पर विचार नहीं किया गया और न ही उसके द्वारा दाखिल प्रतिउत्तर पर ही विचार किया गया.

याची को वर्ष 1998 में सब इंस्पेक्टर के पद पर रहते हुए मुन्ना बजरंगी गैंग से मुठभेड़ में एक-47 से 5 गोलियां लगी थी. ठीक होने के बाद उसे इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति दी गई तथा बाद में वह डिप्टी एसपी के पद पर प्रोन्नत हुआ. उत्कृष्ट सेवा के लिए उसे राष्ट्रपति मेडल भी मिल चुका है. स्क्रीनिंग कमेटी ने इन तथ्यों पर गौर किए बिना अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश पारित किया तथा परिंनिंदा प्रविष्टि के खिलाफ उसकी अपील खारिज कर दी गई.

कोर्ट ने सभी तथ्यों पर विचार करने और संबंधित रिकॉर्ड देखने के बाद कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी ने कोई तथात्मक संतोष अपने आदेश में दर्ज नहीं किया है. चलताऊ तरीके से अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश पारित कर दिया गया. आदेश पारित करते समय याची का व्यक्तिगत सर्विस रिकॉर्ड भी नहीं देखा गया. उसे परिनिंदा प्रविष्टि के तौर पर दोहरा दंड दिया गया. कोर्ट ने 7 नवंबर 2019 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द करते हुए याची को तीन सप्ताह के भीतर सेवा में पुनः ज्वाइन करने और 6 सप्ताह के भीतर उसके सभी बकाया वेतन व भत्तों का भुगतान करने का निर्देश दिया है.

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