करौली. मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से निकलकर राजस्थान के करौली स्थित कैलादेवी अभयारण्य से लगे ग्राम सिमारा पहुंचे अफ्रीकी चीता ओमान का शनिवार को रेस्क्यू किया गया. चीता के रेस्क्यू के लिए कूनो अभयारण्य की वन टीम और चिकित्सकों को खासी मशक्कत करनी पड़ी. वहीं, रेस्क्यू के बाद कूनो अभ्यारण्य की ओर से अफ्रीकी चीता ओमान के मिलने की पुष्टि की गई. इसके बाद वन टीम चीता को लेकर कूनो के लिए रवाना हो गई.
करौली डीएफओ पीयूष शर्मा ने बताया कि शनिवार को कूनो अभयारण्य से निकलकर श्योपुर के रास्ते भटकते हुए अफ्रीकी चीता ओमान चंबल नदी पार कर मंडरायल क्षेत्र के सिमारा गांव में आ गया था. यहां चीता को ग्रामीणों ने देखा और फिर इसकी सूचना वन विभाग को दी. इसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और ओमान के होने की पुष्टि हुई. फिर कूनो अभयारण्य की टीम सिमारा गांव आई और चीता का रेस्क्यू कर उसे वापस लेकर लौट गई.
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ओमान का रेस्कयू : वन विभाग की टीम को ओमान के रेस्क्यू के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. दरअसल, शनिवार को सिमारा ग्राम पहुंचे चीता ने करीब 10 घंटे इलाके में विचरण किया. इस दौरान चीता को ग्रामीणों की भीड़ का सामना भी करना पड़ा, लेकिन वन विभाग के कर्मियों की मुस्तैदी के चलते ग्रामीणों ने चीता को कोई क्षति नहीं पहुंची. वहीं, वन विभाग की टीम ने पहले तो चीता को पकड़ने के लिए जाल बिछाया और फिर 40 से 50 वनकर्मियों द्वारा चीता की घेराबंदी की गई. ऐसे में जैसे ही चीता वन विभाग द्वारा बिछाए गए जाल मे फंसा तो टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज किया और फिर चीता के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उसे ड्रिप व ऑक्सीजन चढ़ाई गई. इसके बाद होश में आने पर पिंजरे में शिफ्ट कर कड़ी सुरक्षा के बीच उसे कूनो ले जाया गया.
पेड़ की छाव में बैठा था ओमान : एमपी के कूनो अभयारण्य से निकलकर राजस्थान के सिमारा ग्राम पहुंचा चीता ओमान एक पेड़ की छाव तले बैठा नजर आया. वहीं, जब ग्रामीणों ने उसे देखा तो अविलंब इसकी सूचना वन विभाग को दी. इसके बाद मौके पर पहुंची करौली और मंडरायल वन विभाग की टीम ने वहां से ग्रामीणों को दूर किया और चीते पर नजर बनाए रखा. वहीं, कूनो अभयारण्य से आई टीम ने चीते का रेस्क्यू किया और फिर उसे लेकर मौके से रवाना हो गए. बता दें कि पिछले साल इस चीते को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ्रीका से भारत मंगवाया था और इसे कूनो अभयारण्य में विचरण के लिए छोड़ा गया था.