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योगिनी एकादशी का व्रत इसलिए है बेहद खास, इस दिन भूलकर भी न करें ये काम हो सकता है नुकसान, जानें खास बातें - Yogini Ekadashi 2024

Yogini Ekadashi 2024: शास्त्रों में बताया गया है कि योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है. योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88000 ब्राह्मण को भोजन करने के बराबर का फल मिलता है. इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है. तो आईए जानते हैं योगिनी एकादशी की तिथि व व्रत के समय पूजा का विधि विधान क्या है.

Yogini Ekadashi 2024
Yogini Ekadashi 2024 (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jun 28, 2024, 9:54 AM IST

करनाल:हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. वहीं, एक साल में 24 एकादशी होती हैं. एक महीने में दो एकादशी आती है. सभी का अपने आप में अलग-अलग विशेष महत्व होता है. आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना की जाती है. इस बार योगिनी एकादशी 2 जुलाई को मनाई जा रही है.

योगिनी एकादशी की तिथि:पंडित पुनीत शर्मा ने बताया कि हिंदू वर्ष के आषाढ़ महीने में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. योगिनी एकादशी का आरंभ 1 जुलाई को सुबह 10:26 से हो रहा है. जबकि इसका समापन 2 जुलाई को सुबह 8:34 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए योगिनी एकादशी का व्रत 2 जुलाई के दिन रखा जाएगा. जबकि योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखने वाले लोगों के लिए व्रत के पारण का समय 3 जुलाई को सुबह 5:28 से शुरू होकर सुबह 7:10 तक रहेगा.

योगिनी एकादशी के दिन बन रहे शुभ योग:पंडित ने जानकारी देते हुए बताया कि योगिनी एकादशी का व्रत अपने आप में काफी प्रमुख व्रत माना जाता है. क्योंकि यह भगवान विष्णु के प्रिय महीने आषाढ़ में आती है. इस व्रत के करने से जहां घर में सुख समृद्धि आती है. तो वहीं इस व्रत का महत्व उस समय और भी बढ़ जाता है. जब योगिनी एकादशी के दिन शुभ योग बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हो. योगिनी एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहा है.

3 जुलाई की सुबह होगा समापन: हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग 2 जुलाई को सुबह 5:27 से शुरू हो रहा है. जबकि इसका समापन 3 जुलाई को सुबह 4:40 पर होगा. वहीं, त्रिपुष्कर 2 जुलाई के दिन सुबह 8:42 से शुरू होगा और इसका समापन 3 जुलाई को सुबह 4:40 पर होगा. शास्त्रों में बताया गया है कि इन दोनों योग में जो भी धार्मिक कार्य किया जाता है, वह सफल माना जाता है. इसका तीन गुना फल प्राप्त होता है. वहीं, शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि योगिनी एकादशी के व्रत की पूजा त्रिपुष्कर योग में की जाए तो वह भी काफी फल देने वाली मानी जाती है.

पूजा का विधि विधान:पंडित ने बताया कि योगिनी एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें. अगर पवित्र नदियां कुंड में स्नान करने में असमर्थ हैं, तो घर में ही पानी की बाल्टी में गंगाजल डालकर उसमें स्नान करें. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. उसके पश्चात अपने मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और उनके आगे पीले रंग के फल,फूल,वस्त्र, मिठाई और तुलसी दल अर्पित करें. जो भी जातक इस दोनों व्रत रखना चाहता है, वह पूजा करने के दौरान ही व्रत रखने का प्रण ले. योगिनी एकादशी के एकादशी की कथा अवश्य सुने. और दिन में विष्णु पुराण पड़े. और पारण के समय अपने व्रत का पारण कर ले. भोजन ग्रहण करने से पहले गाय ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराएं.

योगिनी एकादशी का महत्व:शास्त्रों में योगिनी एकादशी को सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाली एकादशी माना गया है. जो तीनों लोकों में प्रसिद्ध एकादशी होती है. माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के लिए यह एकादशी सबसे शुभ मानी जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इंसान योगिनी एकादशी का व्रत करता है. उसको व्रत करने के बदले 88000 ब्राह्मण को भोजन कराने के बराबर का फल प्राप्त होता है. योगिनी एकादशी का व्रत करने से घर में सुख समृद्धि आती है और सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं.

एकादशी के दिन न करें ये काम:शास्त्रों में बताया गया है की एकादशी के दिन इंसान को प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन न करें. एकादशी के दिन कुछ लोग गलती कर देते हैं कि वह नहाने के दौरान साबुन और तेल का प्रयोग करते हैं, जो शुभ नहीं माना जाता. इसलिए उसे दिन नाही तेल और ना ही साबुन का प्रयोग करना चाहिए और ना ही बाल धोने चाहिए और ना ही कटवाने चाहिए. इस दिन नाखून काटना भी अशुभ माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि अगर एकादशी के दिन ऐसा कुछ काम किया जाता है, तो उसके द्वारा रखा गया व्रत का फल नहीं मिलता. जबकि घर में क्लेश उत्पन्न हो जाता है और आर्थिक तंगी भी बन जाती है.

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