दुमका:साल 2024 खत्म होने को है. यह साल दुमका जिले के लिए भी काफी यादगार रहा. इस बार काफी राजनीतिक उथल-पुथल रही. अपराध जगत की कई बड़ी घटनाओं ने लोगों को झकझोर कर रख दिया. आइए एक नजर डालते हैं 2024 की प्रमुख गतिविधियों पर जिनके कारण दुमका ने सुर्खियां बटोरी.
राजनीतिक क्षेत्र में कई बदलाव
2024 में देश में लोकसभा चुनाव हुए, वहीं झारखंड में विधानसभा चुनाव भी हुए. ऐसे में इस साल राजनीतिक क्षेत्र में भी काफी बदलाव और उथल-पुथल देखने को मिली. खासकर दुमका की दो प्रमुख नेता सीता सोरेन और लुईस मरांडी के राजनीतिक जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले.
अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वर्तमान सांसद सुनील सोरेन को ही फिर से अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन इसी बीच एक अहम राजनीतिक घटनाक्रम हुआ और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की पुत्रवधू सीता सोरेन भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं. इधर, भाजपा ने बड़ा कदम उठाते हुए दुमका से सुनील सोरेन को दिया गया टिकट वापस ले लिया और सीता सोरेन को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया.
वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने नलिन सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया. चुनाव में कड़ी टक्कर हुई और अंततः भाजपा को यह मौजूदा सीट गंवानी पड़ी. सीता सोरेन हार गईं और नलिन सोरेन दुमका के सांसद बन गए. फिर अक्टूबर-नवंबर 2024 में झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए. हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन जामताड़ा विधानसभा से भाजपा के टिकट पर किस्मत आजमा रही थीं, लेकिन यहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी.
वहीं भाजपा की नेत्री लुईस मरांडी झामुमो में शामिल हो गई. उन्होंने जामा सीट से झामुमो की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा. जिसमें उन्हें जीत मिली.
अन्य सीटों की स्थिति
वर्ष 2024 में दुमका जिले की जरमुंडी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के दो बार के विधायक बादल पत्रलेख चुनाव हार गए. जबकि दुमका सीट से हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन ने लगातार दूसरी बार झामुमो का परचम लहराया. शिकारीपाड़ा सीट पर झामुमो ने लगातार आठवीं बार जीत दर्ज की और दुमका सांसद नलिन सोरेन के पुत्र आलोक कुमार सोरेन पहली बार विधायक बने.
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