चंडीगढ़:साल 2024 लीप वर्ष है. इसलिए इस साल28 मार्च को विश्व पियानो दिवस मनाया गया. नॉर्मल सालों में पियानो दिवस यानी 'वर्ल्ड पियानो डे' 29 मार्च को मनाया जाता है. पियानो म्यूजिक की दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. किसी भी म्यूजिक धुन में पियानो का विशेष महत्व है और यही वजह है कि पियानो की समृद्ध विरासत को याद किया जाता है.
पियानो दिवस मनाने का उद्देश्य:विश्व पियानो दिवस की शुरुआत 2015 में निल्स फ्रैम्स नामक एक जर्मन संगीतकार और शिक्षक ने की थी. फ्रेम का उद्देश्य पियानो के प्रति लोगों में रुचि जगाना और इस अद्भुत वाद्य यंत्र के प्रति जागरूकता फैलाना था. ताकि यह संगीत शिक्षा को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिल सके. इसलिए चंडीगढ़ के पियानिस्ट रितेश खोकर जो हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले हैं. वो आज चंडीगढ़ के अलावा हरियाणा-हिमाचल और उत्तराखंड तथा दिल्ली के कई बच्चों को पियानो वादन की शिक्षा दे रहे हैं.
'पियानो बजाना अद्भूत कला': पियानिस्ट रितेश खोकर ने बताया यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां सालों का प्रशिक्षण भी कम रह जाता है. मैं पिछले 30 सालों से पियानो को प्ले कर रहा हूं. आज भी मैं सीख ही रहा हूं. मैं जो पढ़ाई करता था तो मुझे म्यूजिक के साथ एक लगाव महसूस होता था. जिसके चलते मैंने इसे अपने करियर के तौर पर ही चुना. दिल्ली में पढ़ाई के दौरान मैंने म्यूजिक की पढ़ाई की जहां हमें हारमोनियम की जगह पियानो प्ले करना सिखाया जाता था.
पियानो बजाने में लगता है समय: रितेश ने बताया कि आज के दौर में मैं नई जनरेशन पियानो को सीखने की और काम कर रहा हूं. पियानो एक ऐसी कला है जिसके तहत पूरा म्यूजिकल इवेंट निर्भर करता है. इसका एक तार भी अगर गलत बजाया जाए. तो पूरी धुन खराब हो जाती है. एक समय में बहुत सी चीजों का ख्याल रखना पड़ता है. पैरों के साथ-साथ हाथों का संतुलन बनाना जरूरी होता है.