पटना:हर साल 18 अप्रैल को वर्ल्ड हेरिटेज डेमनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य पूरे दुनिया में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और संस्कृत स्थल, भवन, कला को संरक्षित किया जाना है ताकि आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास को बेहतर तरीके से जान सके. बिहार क्रांति की धरती है, ऐसे में यहां कई सारे ऐतिहासिक धरोहर हैं, जिन्हें संजोए रखना बेहद जरूरी है लेकिन हम विकास की अंधाधुंध दौड़ में दौड़ते हुए अपने हेरिटेज का क्षरण (जंग लगाना) कर रहे हैं.
बिहार के धरोहरों की अनदेखी: बिहार ने देश को बहुत कुछ दिया है. यहां पौराणिक धरोहरों की कोई कमी नहीं है. धरोहरों को संरक्षित रखने का नियम यह है कि उसके मूल आकृति और प्रकृति में बिना परिवर्तित किए उसे संरक्षित किया जाए. लेकिन बिहार में उचित देखभाल नहीं होने की वजह से वह नष्ट होने के कगार पर हैं. वहीं सरकार व प्रशासन भी लापरवाह नजर आती है.
वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल हैं बिहार के धरोहर: पटना और देश के जाने-मानें इतिहासकार प्रोफेसर इम्तियाज अहमद ने बताया कि बिहार में आर्किटेक्चर विरासत बहुआयामी है. गया का विष्णुपद मंदिर और नालंदा विश्वविद्यालय का अवशेष, यह दो ऐसे धरोहर हैं, जिसे यूनेस्को ने भी वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया है.
बिहार के धरोहर की विश्व स्तरीय पहचान: उन्होंने बताया कि 'उनकी रुचि मध्यकालीन इतिहास में अधिक है, तो मध्यकालीन समय के भी कई आर्किटेक्चर हैं, जो अपने आप में नायब हैं. शेरशाह का मकबरा, अफगान आर्किटेक्चर का एक नायाब उदाहरण है जो पूरे दक्षिण एशिया में ऐसा कहीं नहीं मिलेगा. इसके अलावा मनेर शरीफ का दरगाह पूर्वी भारत में मुगल आर्किटेक्चर का खूबसूरत उदाहरण है.'
अकबर के जमाने का पटन देवी मंदिर: प्रो. इम्तियाज अहमद ने बताया कि राजधानी पटना में छोटी पटन देवी का जो मंदिर है, जिसे अकबर के जमाने में महाराजा मानसिंह ने बनवाया था, यह भी अपने आप में बेहद खूबसूरत है और अभी तक बचा हुआ है. इसके अलावा पटना सिटी में मीर अशरफ अली की मस्जिद है, जो संरक्षित धरोहर है. यहां आम लोगों का आना-जाना नहीं होता. यह मस्जिद नक्काशी और काशी का बेहद खूबसूरत उदाहरण है. रंगीन टाइल्स की कारीगरी से कलाकारी काशी कही जाती है, जो इस मस्जिद की यही खासियत है.
देशभर में प्रसिद्ध है पटना का गोलघर:प्रोफेसर इम्तियाज अहमद ने बताया कि इसके बाद कोलोनियल पीरियड का गोलघर एक महत्वपूर्ण धरोहर है. गोलघर कभी पटना का पहचान हुआ करता था, लेकिन अभी इसके मेंटेनेंस में काफी कमी है. बताया कि बंगाल से बिहार जब अलग हुआ तो प्रशासनिक कार्यों के लिए जो भवन बनाए गए जैसे की राजभवन, पुराना सचिवालय, सिविल कोर्ट, यह सभी कॉलोनियल आर्किटेक्चर के खूबसूरत उदाहरण हैं.