जयपुर.सिगरेट के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों को लेकर आमजन को काफी अवेयर किया जाता रहा है. अब तो सिगरेट निर्माता कम्पनियां भी पैकेट पर इसके दुष्प्रभावों को प्रमुखता से दर्शाती हैं. पहले के शोध में यह साफ हो चुका है कि सिगरेट पीने वालों के साथ रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी सिगरेट के धुएं से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, लेकिन हाल ही में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में सिगरेट पर हुई रिसर्च में सामने आया कि केवल सिगरेट पीने से मानव स्वास्थ्य को नहीं, बल्कि इसे पीने के बाद फेंका गया फिल्टर भी पर्यावरण को तबाह कर रहा है.
सिगरेट फिल्टर में मौजूद विषैले तत्व : हाल ही में उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ. विनीत सोनी और उनके शोधदल ने सिगरेट सेवन करने के बाद उसके फेंके गए फिल्टर का पर्यावरण पर असर पर अध्ययन किया. डॉ. विनीत सोनी ने बताया कि रिसर्च में पाया गया कि सिगरेट फिल्टर के कारण कुछ ही मात्रा में विषैले तत्व मुंह और फेफड़ों में जाते है, लेकिन हजारों की संख्या में ये विषैले तत्व सिगरेट फिल्टर में ही रह जाते है. जिनमें निकोटिन, बेंजीन, बुटाडाइन, अमोनियम अलनीन, अक्रोलिन और काफी मात्रा में भारी धातुएं शामिल हैं. सिगरेट पीने के बाद फेंके गए सिगरेट फिल्टर में मौजूद ये विषैले तत्व धीरे-धीरे पर्यावरण में घुल जाते है, जिससे मिट्टी और पानी प्रदूषित होते हैं. ये सभी तत्व आखिर में मानव में कैंसर, श्वसन और जनन सम्बन्धी रोग उत्पन्न करते हैं.
जमीन को बंजर करता सिगरेट फिल्टर : डॉ. विनीत सोनी ने बताया कि सिगरेट फिल्टर सामान्यत: सेल्यूलोज एसिटेट से बनाया जाता है, जो कि पर्यावरण में प्लास्टिक प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत बन गया है. इसे पूरी तरह से नष्ट होने के काफी वर्ष लग जाता है. सिगरेट फिल्टर समय के साथ डीग्रेड नहीं होते और पर्यावरण को काफी नुक्सान पहुंचाते है. लैब में किए गए शोध में खुलासा हुआ कि जमीन पर पड़े हुए सिगरेट फिल्टर से उसके आसपास की जमीन बंजर हो जाती है और वहां पर कोई भी बीज उग नहीं पाते. इसके अलावा सिगरेट फिल्टर में मौजूद विषैले तत्वों के कारण पौधों में प्रकाश संश्लेषण और पैदावार में भी काफी कमी देखी गई. शोध में पाया गया कि सिगरेट फिल्टर की अधिक मात्रा में संपर्क में रहने वाले पौधों की जल्दी ही मौत हो गई.