जयपुर: हाईकोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट व साइबर क्राइम से जुड़े अपराधों में बढ़ोतरी को गंभीरता सेे लेते हुए कहा है कि ये अपराध दुनियाभर में बढ़े हैं और भारत देश में भी लाखों लोग इनसे प्रभावित हुए हैं. इसके चलते हजारों निर्दोष लोगों ने ना केवल अपनी कमाई गंवा दी, बल्कि कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है. डिजिटल अरेस्ट व साइबर क्राइम से हर क्षेत्र के लोग प्रभावित हो रहे हैं और ऐसे में इनसे हो रहे अपराधों से आमजन को बचाने और इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है.
वहीं, अदालत ने डिजिटल अरेस्ट व साइबर क्राइम के अपराध के मुद्दे पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए इस मामले में केन्द्र व राज्य सरकार, डीजीपी, आरबीआई व अन्य पक्षकारों से भी जवाब देने के लिए कहा है. अदालत ने इनसे पूछा है कि उन्होंने इससे जुड़े अपराधों को रोकने के लिए क्या ठोस कार्रवाई की. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह निर्देश स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में सुनवाई करते हुए दिया.
पढ़ें : समरावता उपद्रव प्रकरण में केस डायरी तलब - RAJASTHAN HIGH COURT
अदालत ने कहा कि हालांकि राज्य सरकार ने इन अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन फिर भी इनकी रोकथाम के लिए ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है. आरबीआई के स्तर पर भी गंभीर कदम उठाने की जरूरत है, ताकि ऐसे जालसाजी वाले लेन-देन के पैसे को ट्रांसफर ना किया जाए और धोखाधड़ी करने वाले लेन-देन पर अंकुश लगे. इसलिए आरबीआई व सरकार की शिकायत निवारण समिति को पोर्टल या वेबसाइट या मोबाइल नंबर पर प्राप्त होने वाली धोखाधड़ी से आमजन को बचाने के लिए भी एक सिस्टम डवलप करने की जरूरत है, ताकि निर्दोषों के पैसे को बचाया जा सके.
अदालत ने एएसजी आरडी रस्तोगी, महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद व अधिवक्ता अनुराग कलावटिया को इस मामले में सहयोग करने के लिए कहा है. हाईकोर्ट ने कहा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म और डिजिटल समाचार पोर्टल की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा प्रौद्योगिकी नियम, 2021 बनाए गए हैं. इन नियमों से ही इन सूचनाओं के स्रोत का पता चलता है. इसमें यह भी पता चला है कि कुछ सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा डेटा बेचा जाता है. इसका दुरुपयोग निर्दोष जनता के साथ ऐसे साइबर अपराध करने वाले आरोपी करते हैं.