आगरा :आज विश्व कैंसर दिवस पर दुनिया भर में इस रोग के प्रति जागरूकता और रिसर्च पर खूब चर्चा हो रही है. कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम जुबान पर आते ही जिंदगी थम सी जाती है. देश और दुनिया में कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. यदि महिलाओं की बात करें तो ऐसे पांच कैंसर हैं, जो महिलाओं में कॉमन हो गए हैं. जिसकी वजह से महिलाओं की जान तक जा रही है.
ईटीवी भारत ने विश्व कैंसर दिवस पर आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज की कैंसर रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुरभि गुप्ता से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि आज महिलाओं में सबसे अधिक खतरनाक ब्रेस्ट कैंसर है. इसके बाद सर्वाइकल कैंसर, अंडाशय का कैंसर, पित्त की थैली का कैंसर और खाने की नली का कैंसर है.
बता दें कि कैंसर अब लाइलाज बीमारी नहीं है. यदि किसी महिला या पुरुष में अर्ली स्टेज में कैंसर डिटेक्ट हो जाता है तो उसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है. इसके साथ ही दूसरी, तीसरी और चौथी स्टेज में भी कैंसर मरीज की जान बचाई जा सकती है. कैंसर से ग्रसित मरीज की जान अर्ली स्टेज में डिटेक्ट करने के बाद दवाओं, कीमो, रेडियो थैरेपी, सर्जरी से बचाई जा सकती है.
इन कैंसर से महिलाएं अधिक ग्रसित :डॉ. सुरभि गुप्ता बताती हैं कि महिलाओं में सबसे अधिक ब्रेस्ट कैंसर हो रहा है. महिलाओं में होने वाला दूसरा कैंसर सर्वाइकल है. इसे महिलाओं की बच्चेदानी का ग्रीवा कैंसर कहते हैं. तीसरे नंबर पर ओवेरियन कैंसर, जिसे अंडाशय का कैंसर कहते हैं. इसके बाद महिलाओं में होने वाला कैंसर पित्त की थैली का है. इसके साथ ही महिलओं में पांच सबसे कॉमन खाने की नली का कैंसर है.
क्या है कैंसर की वजह:डॉ. सुरभि गुप्ता बताती हैं कि कैंसर तेजी से बढ़ने की सबसे बड़ी वजह लाइफ स्टाइल में बदलाव है. इसके साथ ही खानपान में बदलाव, फास्ट फूड अधिक खाना, देरी से शादी होना, बच्चों को स्तनपान नहीं कराना और संतुलित आहार नहीं लेना है. कहें तो कैंसर के मामलों में 70 फीसदी वजह लाइफ स्टाइल और खानपान है. 10 प्रतिशत में पर्यावरण के कारक हैं. इसके बाद कुछ कारण जैनेटिक हैं.
इन जांच से जल्द पता चलेगा कैंसर:डॉ. सुरभि गुप्ता बताती हैं कि सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग 26 से 45 साल की महिलाओं को तीन साल में एक बार पेप स्मीयर जांच करानी चाहिए. इसके बाद 5 साल में पेप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट कराना चाहिए. स्क्रीनिंग से कैंसर के लक्षण नहीं आने पर भी इसका पता चल सकता है, जिससे अर्ली स्टेज में इलाज संभव होता है.