रांची:अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भ समापन दिवस पर शनिवार को रांची वीमेंस कॉलेज सभागार में राष्ट्रीय सेवा योजना “स्वच्छता ही सेवा, स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता अभियान” के तहत अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भपात दिवस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. महिलाओं को सामाजिक और कानूनी सहायता देने वाली संस्था "हाशिया" के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में रांची महिला कॉलेज की प्राचार्या डॉ सुप्रिया , रांची महिला कॉलेज की प्रोग्राम ऑफिसर डॉ कुमारी उर्वशी, डॉ कुमारी भारती सिंह, डॉ हर्षिता सिन्हा सहित बड़ी संख्या में समाज की अलग-अलग वर्ग की महिलाओं ने भाग लिया.
सुरक्षित गर्भपात की जरूरत क्यों
हाशिया नामक संस्था की संस्थापक अपूर्वा विवेक ने बताया कि 28 सितंबर को प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले इंटरनेशनल सेफ अबॉर्शन डे हमें इस बात का चिंतन करने का मौका देता है कि सुरक्षित गर्भपात की जरूरत क्यों हैं और हमें अबॉर्शन को लेकर क्यों बात करनी चाहिए. इस विषय पर सेमिनार और अन्य एक्टिविटी की जरूरत क्यों है.
सुरक्षित गर्भ-समापन महिलाओं का अधिकार
उन्होंने कहा कि स्त्रियों को अन्य अधिकार तो मिल गए, लेकिन भारत में गर्भपात की वैधता मिले 55 वर्ष हो जाने के बावजूद स्त्रियों को यह अधिकार क्यों नहीं मिला कि वह गर्भपात पर फैसला ले सकें. अपूर्वा विवेक ने कहा कि अगर कोई सर्जरी करानी हो तो उसमें महिलाओं की इच्छा या कंसेंट लेकर डॉक्टर्स सर्जरी कर देंगे, लेकिन गर्भपात की स्थिति में डॉक्टर का कंसेंट ही जरूरी हो जाता है. यह महिलाओं को उनके सुरक्षित गर्भपात कराने के अधिकार से वंचित करने जैसा है. जबकि सुरक्षित गर्भ-समापन महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों का एक महत्वपूर्ण पहलू है.
गर्भपात को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता
रांची महिला कॉलेज के मैत्रेयी सभागार में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भपात दिवस पर वक्ताओं ने कहा कि सुरक्षित गर्भपात को महिलाओं का अधिकार होना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से और देश में इसके प्रति जागरुकता की कमी की वजह से इस विषय को लेकर कलंक की धारणा बनी हुई है जो महिलाओं को अपने शरीर के संबंध में जानकारीपूर्ण विकल्प चुनने की क्षमता को प्रभावित कर रही है .
छात्राओं के लिए जानकारी अहम
वक्ताओं ने कहा कि छात्राओं को सुरक्षित और कानूनी गर्भ-समापन सेवाओं तक पहुंच सहित प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों पर व्यापक जानकारी प्रदान करने की जरूरत है. यह न केवल उन्हें सही निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाएगा, बल्कि उन्हें अपने और समाज में दूसरों के लिए संघर्ष करने के लिए भी सक्षम बनाएगा.