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पलामू के उप निर्वाचन पदाधिकारी सेवा से बर्खास्त, एसटी सर्टिफिकेट बनाकर हासिल की थी नौकरी - Deputy Election Officer dismissed

Kanu Ram Nag dismissed from service. पलामू के उप निर्वाचन पदाधिकारी को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. कानु राम नाग पर एसटी सर्टिफिकेट बनाकर नौकरी करने का आरोप है. कैबिनेट की बैठक में इस कार्रवाई के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है.

Palamu Deputy Election Officer Kanu Ram Nag dismissed from service
पलामू के उप निर्वाचन पदाधिकारी कानु राम नाग (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 28, 2024, 9:59 PM IST

रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पलामू के उप निर्वाचन पदाधिकारी कानु राम नाग पर बड़ी कार्रवाई हुई है. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ने उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया है.

27 सितंबर को इस प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. उनपर गलत तरीके से एसटी सर्टिफिकेट बनाकर द्वितीय झारखंड प्रशासनिक सेवा की नौकरी लेने का आरोप है. ईटीवी भारत की टीम ने इस मामले में कानु राम नाग का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया. उन्होंने बताया कि इस मसले पर सोच विचार के बाद ही कुछ बता पाएंगे.

शुक्रवार को कैबिनेट विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने बताया है कि कानु राम नाम तमाड़िया जाति से आते हैं जो अत्यंत पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में आती है. लेकिन उन्होंने मुंडा जनजाति का प्रमाण पत्र बनाकर नौकरी हासिल की थी. इस वजह से उनको झारखंड सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2016 के नियम 14 (x) के तहत सेवा से हटाए जाने का दंड दिया गया है.

इस बाबत झारखंड सरकार ने उनको एक रियायत भी दी है. कानु राम नाम दूसरी सरकारी सेवा में बहाली के लिए अयोग्य नहीं ठहराए गये हैं. इसका मतलब है कि दूसरी बहाली के दौरान कानु राम अपनी असली जाति प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर सकते हैं. खास बात है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कानु राम नाम की पलामू में पोस्टिंग हुई थी. जिला के उप निर्वाचन पदाधिकारी के पद पर रहते हुए आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर 26 और 27 सितंबर को रांची में हुई चुनाव आयोग की ट्रेनिंग में भी कानु राम नाग शामिल हुए थे.

क्या है पूरा मामला

कानू राम नाग चाईबासा के रहने वाले हैं. एसटी सर्टिफिकेट के आधार पर द्वितीय जेपीएससी की परीक्षा में इनका चयन हुआ था. इसकी जानकारी मिलने पर कानु राम नाग को सस्पेंड कर दिया गया था. साथ ही कार्मिक विभाग की तरफ से एक जांच समिति भी बनी थी. 31 अक्टूबर 2010 को अपनी रिपोर्ट में समिति ने बताया था कि कानु राम नाग अत्यंत पिछड़ी जाति में शामिल तमाड़िया जाति से आते हैं. इसलिए उनको मुंडा जनजाति का प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता.

इस फैसले को कानु राम नाग ने झारखंड हाईकोर्ट में रिट पिटीशन संख्या- 3400/2015 दायर कर बताया था कि चाईबासा के डीसी के स्तर पर उनका जाति प्रमाण पत्र जारी हुआ है. इस सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने स्क्रूटनी कमेटी की रिपोर्ट आने तक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. दरअसल, इसी तरह के मामले में पूर्व में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका था. लिहाजा, बाद में कानु राम ने रिट पिटीशन को वापस ले लिया था.

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रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पलामू के उप निर्वाचन पदाधिकारी कानु राम नाग पर बड़ी कार्रवाई हुई है. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ने उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया है.

27 सितंबर को इस प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. उनपर गलत तरीके से एसटी सर्टिफिकेट बनाकर द्वितीय झारखंड प्रशासनिक सेवा की नौकरी लेने का आरोप है. ईटीवी भारत की टीम ने इस मामले में कानु राम नाग का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया. उन्होंने बताया कि इस मसले पर सोच विचार के बाद ही कुछ बता पाएंगे.

शुक्रवार को कैबिनेट विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने बताया है कि कानु राम नाम तमाड़िया जाति से आते हैं जो अत्यंत पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में आती है. लेकिन उन्होंने मुंडा जनजाति का प्रमाण पत्र बनाकर नौकरी हासिल की थी. इस वजह से उनको झारखंड सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2016 के नियम 14 (x) के तहत सेवा से हटाए जाने का दंड दिया गया है.

इस बाबत झारखंड सरकार ने उनको एक रियायत भी दी है. कानु राम नाम दूसरी सरकारी सेवा में बहाली के लिए अयोग्य नहीं ठहराए गये हैं. इसका मतलब है कि दूसरी बहाली के दौरान कानु राम अपनी असली जाति प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर सकते हैं. खास बात है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कानु राम नाम की पलामू में पोस्टिंग हुई थी. जिला के उप निर्वाचन पदाधिकारी के पद पर रहते हुए आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर 26 और 27 सितंबर को रांची में हुई चुनाव आयोग की ट्रेनिंग में भी कानु राम नाग शामिल हुए थे.

क्या है पूरा मामला

कानू राम नाग चाईबासा के रहने वाले हैं. एसटी सर्टिफिकेट के आधार पर द्वितीय जेपीएससी की परीक्षा में इनका चयन हुआ था. इसकी जानकारी मिलने पर कानु राम नाग को सस्पेंड कर दिया गया था. साथ ही कार्मिक विभाग की तरफ से एक जांच समिति भी बनी थी. 31 अक्टूबर 2010 को अपनी रिपोर्ट में समिति ने बताया था कि कानु राम नाग अत्यंत पिछड़ी जाति में शामिल तमाड़िया जाति से आते हैं. इसलिए उनको मुंडा जनजाति का प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता.

इस फैसले को कानु राम नाग ने झारखंड हाईकोर्ट में रिट पिटीशन संख्या- 3400/2015 दायर कर बताया था कि चाईबासा के डीसी के स्तर पर उनका जाति प्रमाण पत्र जारी हुआ है. इस सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने स्क्रूटनी कमेटी की रिपोर्ट आने तक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. दरअसल, इसी तरह के मामले में पूर्व में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका था. लिहाजा, बाद में कानु राम ने रिट पिटीशन को वापस ले लिया था.

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