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जेंडर आधारित हिंसा रोकने के लिए आगे आई राजस्थान पुलिस और यूएनएफपीए

जेंडर आधारित हिंसा रोकने के लिए आगे आई राजस्थान पुलिस और यूएनएफपीए. कानूनी प्रावधान और उपायों पर किया गया मंथन.

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जेंडर आधारित हिंसा रोकने की कवायद (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 12, 2024, 9:11 PM IST

जयपुर: जेंडर आधारित हिंसा पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए राजस्थान पुलिस और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) आगे आए हैं. जेंडर आधारित हिंसा और इसकी हार्मफुल प्रैक्टिसेज की समस्या के परिवर्तनकारी समाधान, प्रभावी निष्पादन और रोकथाम के उपाय को लेकर मंगलवार को राजस्थान पुलिस अकादमी के सभागार में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन हुआ.

इस दौरान नॉलेज मैनेजमेंट प्रोडक्ट के रूप में 'एन इंफॉर्मेटिव बुकलेट ऑन एड्रेसिंग टेक्नोलॉजी-फेसिलिटेटेड जेंडर बेस्ड वायोलेंस' पुस्तिका का विमोचन किया गया. वहीं, 'बेटा-बेटी एक समान, दोनों को मिले अवसर समान' तथा पीसीपीएनडीटी तथा कम्युनिटी पुलिसिंग से संबंधित लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी किया गया. डीजी (एसीबी) डॉ. रविप्रकाश मेहरड़ा ने यूएनएफपीए को भारत में काम करते 50 साल पूरे होने पर बधाई दी.

उन्होंने इस सेमिनार को काफी अहम बताया. 'यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवता' की भावना हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है. नारी को सर्वोच्च आदर्श मानकर हमने सदैव उन्हें ज्ञान, धन और शक्ति की देवियों के रूप में सर्वोच्च आराध्य व आदर्श के रूप में प्रतिष्ठापित किया है. पुलिस के साथ अन्य सभी संबंधित विभाग आपसी समन्वय स्थापित कर एकरूपता, समता, समानता, सार्वभौमिकता, जागरूकता और सामूहिक प्रयासों व कानूनों के कडे़ व प्रभावी प्रवर्तन के माध्यम से हम लिंग आधारित हिंसा को धाराशायी कर सकते हैं.

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माज की मानसिकता में बदलाव जरूरी - एण्ड्रिया : यूएनएफपीए की भारत में प्रतिनिधि एण्ड्रिया एम. वॉज्नार ने कहा कि राजस्थान पुलिस जेंडर इश्यू जैसे संवेदनशील विषय पर सक्रियता से काम कर रहे हैं, जो सबके लिए प्रेरणादायक है. वे बोलीं, शिक्षा एवं जागरूकता की कमी को दूर कर आर्थिक विषमता के बावजूद भी लैंगिक परिस्थितियों को नॉलेज एवं एटीट्यूड के जरिए परिवर्तित किया जा सकता है. इसके लिए जनमानस, नागरिकों व परिवेश में माइन्डसेट चेंज की जरूरत है.

सामाजिक विषमता की बेड़ियां तोड़ना जरूरी : एडीजी (ट्रेनिंग) अशोक राठौड़ ने समाज में अतीत से व्याप्त जेंडर असमानता अथवा विषमता की सामाजिक मानसिकता की बेड़ियों को तोड़कर जागरूक होने पर बल दिया. एडीजी व आरपीए के निदेशक एस. सेंगथिर ने कहा कि चाहे विश्व की बात हो, भारत या फिर राजस्थान. जेंडर समानता का मुद्दा बड़ा ही संवेदनशील है. जेंडर, बाल या महिला अत्याचार और उत्पीड़न को रोकने को लेकर राजस्थान पुलिस व यूएनएफपीए समन्वयन एवं बहुसंयोजन के साथ मिलकर आगे बढ़ रहे हैं.

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