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दृष्टिबाधित कुलदीप ने जलाए सफलता के दीप, RAS परीक्षा में गाड़े झंडे तो चेस के भी हैं 'वजीर' - INSPIRING STORY OF KULDEEP

'मन के हारे हार है, मन के जीते जीत...' इसी को चरितार्थ किया है अलवर के कुलदीप ने. पढ़िए इनकी कहानी...

कुलदीप जैमन
कुलदीप जैमन (ETV Bharat Alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 4, 2025, 11:08 AM IST

अलवर : यदि मन में लक्ष्य को पाने की इच्छा हो तो आभाव के बाद भी सफलता कदम चूमती है. यह साबित कर दिखाया है अलवर शहर के रहने वाले कुलदीप जैमन ने. इन्होंने राजस्थान की सबसे कठिन माने जाने वाली आरएएस की परीक्षा को 2018 में पास कर ऐसे लोगों के लिए उम्मीद जगाई, जो फिजिकल डिसेबिलिटी के चलते अपने आप को जिंदगी में हारा हुआ मान लेते हैं. कुलदीप जैमन ने दृष्टिबाधित होने के बावजूद भी इस एग्जाम में सफलता हासिल की. आज कुलदीप अलवर जिले के उमरैण ब्लॉक में सफलतापूर्वक अपने कार्य का निर्वहन कर रहे हैं.

कुलदीप जैमन ने बताया कि वे शहर के खास मोहल्ला के निवासी है. उन्हें शुरुआत से ही दिखाई न देने की समस्या थी. इसके बावजूद भी बचपन से ही उन्हें अपने जीवन में ऊंचे मुकाम हासिल करने की लग्न थी. बस उन्हें एक साथ की जरूरत थी, जो उन्होंने नव दिशा संस्थान से मिला. साल 1999 में नव दिशा संस्थान का साथ उन्हें मिला, जिसके सहारे उन्होंने अपने सपनों को धीरे-धीरे संजोना शुरू किया. कुलदीप की मेहनत और संस्थान के मार्गदर्शन के चलते आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. इस संस्थान के जुड़कर उन्होंने अपनी शिक्षा की शुरुआत की. वहीं, उनकी उच्च शिक्षा अलवर के बाबू शोभाराम कॉलेज से हुई. कुलदीप ने बताया कि उन्हें खेल से भी लगाव था, जिसके चलते उन्होंने यही चेस खेल खेलना सीखा. उन्होंने चेस खेल में नेशनल लेवल में हिस्सा लिया और मेडल भी अपने नाम किए.

कुलदीप ने नहीं मानी हार (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें. इन्होंने राम को पोर-पोर पढ़ा और शब्दों में गढ़ा है, राम की मूरत नहीं देखी पर श्रद्धा ऐसी कि बंद आंखों से पढ़ते हैं चौपाइयां

टेक्नोलॉजी से भी मिली मदद : कुलदीप ने बताया कि उन्होंने 2013 से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना शुरू किया था. उन्होंने 2018 के आरएएस एग्जाम को पास किया. इसके लिए उन्होंने किसी तरह की कोई कोचिंग नहीं की. वे रूटीन सेल्फ स्टडी करते थे. हालांकि, इस दौरान कई समस्याएं भी आईं, लेकिन उन्होंने सभी को पार किया. उन्होंने बताया कि दृष्टिबाधित लोगों के साथ पढ़ने में समस्या होती है, इसके लिए उन्हें किसी व्यक्ति से जिस टॉपिक को वह पढ़ना चाहते है वह रीड करवानी पड़ती है. कई बार यह बहुत ही चैलेंजिंग होता है, लेकिन जैसे जैसे टेक्नोलॉजी का इजाद हो रहा है, वैसे-वैसे यह दृष्टिबाधित लोगों के जीवन में सफलता की सीढ़ी बनती जा रही है.

असफलता से डरें नहीं : उन्होंने बताया कि व्यक्ति को अपने जीवन में कई बार ऐसे लोग मिलते हैं, जो उन्हें यह एहसास करवाते हैं कि यह चीज उनके बस की बात नहीं है. हालांकि, आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो लोगों की जीवन में बाधाएं दूर कर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं. यह व्यक्ति को देखना है कि उसे इस चीज को किस तरह से अपने जीवन में उतरना है. व्यक्ति को यह निश्चित करना चाहिए कि लाइफ में उसका लक्ष्य क्या है. व्यक्ति को अपने लक्ष्य को पाने में कई बार असफलताएं मिलती हैं, तो कई बार पहले ही प्रयास में सफलता मिलती है, लेकिन असफलताओं से कभी डरना नहीं चाहिए. इनके कारणों को ढूंढना चाहिए और उनपर अच्छे से कार्य कर अपने आप को दोबारा मजबूती से मैदान में लेकर आना चाहिए. इससे निश्चित ही व्यक्ति को सफलताएं हासिल होगी.

दृष्टिबाधित कुलदीप चेस में भी मेडल जीत चुके हैं
दृष्टिबाधित कुलदीप चेस में भी मेडल जीत चुके हैं (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें. जन्म से दृष्टिबाधित बच्चे की आंख को मिली रोशनी, 5 महीने के मासूम ने पहली बार देखा मां को

पहली पोस्टिंग खाद्द विभाग में, चेस में मिला मेडल : कुलदीप ने बताया कि उनकी पहली पोस्टिंग खाद्य विभाग में प्रवर्तन निरीक्षक की मिली. वर्तमान में कुलदीप उमरैण ब्लॉक में कार्यरत हैं. वह नेशनल लेवल चेस कंपटीशन में पार्टिसिपेट कर मेडल भी अपने नाम कर चुके हैं. वे राजस्थान यूनिवर्सिटी इंटर कॉलेज चैंपियनशिप में रनर अप मेडल, दिल्ली में आयोजित नेशनल स्तर पर ब्लाइंड चेस कंपटीशन में मेडल जीत चुके हैं.

नव दिशा संस्थान से जुड़े युवा आज विभिन्न पदों पर कार्यरत : नव दिशा संस्थान के संस्थापक अवनीश मलिक बताते हैं कि उनके संस्थान से जुड़कर कई लोग आज अपने भविष्य को उज्वल बना चुके हैं, तो कई लोग उसी राह पर चल रहे हैं. संस्थान के साथ जुड़कर दिव्यांगों को नई दिशा मिली है. आज यहां से निकले युवा हर समस्या से पार पा रहे हैं. यहां से निकलकर कई लोग सरकारी नौकरी में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं.

अलवर : यदि मन में लक्ष्य को पाने की इच्छा हो तो आभाव के बाद भी सफलता कदम चूमती है. यह साबित कर दिखाया है अलवर शहर के रहने वाले कुलदीप जैमन ने. इन्होंने राजस्थान की सबसे कठिन माने जाने वाली आरएएस की परीक्षा को 2018 में पास कर ऐसे लोगों के लिए उम्मीद जगाई, जो फिजिकल डिसेबिलिटी के चलते अपने आप को जिंदगी में हारा हुआ मान लेते हैं. कुलदीप जैमन ने दृष्टिबाधित होने के बावजूद भी इस एग्जाम में सफलता हासिल की. आज कुलदीप अलवर जिले के उमरैण ब्लॉक में सफलतापूर्वक अपने कार्य का निर्वहन कर रहे हैं.

कुलदीप जैमन ने बताया कि वे शहर के खास मोहल्ला के निवासी है. उन्हें शुरुआत से ही दिखाई न देने की समस्या थी. इसके बावजूद भी बचपन से ही उन्हें अपने जीवन में ऊंचे मुकाम हासिल करने की लग्न थी. बस उन्हें एक साथ की जरूरत थी, जो उन्होंने नव दिशा संस्थान से मिला. साल 1999 में नव दिशा संस्थान का साथ उन्हें मिला, जिसके सहारे उन्होंने अपने सपनों को धीरे-धीरे संजोना शुरू किया. कुलदीप की मेहनत और संस्थान के मार्गदर्शन के चलते आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. इस संस्थान के जुड़कर उन्होंने अपनी शिक्षा की शुरुआत की. वहीं, उनकी उच्च शिक्षा अलवर के बाबू शोभाराम कॉलेज से हुई. कुलदीप ने बताया कि उन्हें खेल से भी लगाव था, जिसके चलते उन्होंने यही चेस खेल खेलना सीखा. उन्होंने चेस खेल में नेशनल लेवल में हिस्सा लिया और मेडल भी अपने नाम किए.

कुलदीप ने नहीं मानी हार (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें. इन्होंने राम को पोर-पोर पढ़ा और शब्दों में गढ़ा है, राम की मूरत नहीं देखी पर श्रद्धा ऐसी कि बंद आंखों से पढ़ते हैं चौपाइयां

टेक्नोलॉजी से भी मिली मदद : कुलदीप ने बताया कि उन्होंने 2013 से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना शुरू किया था. उन्होंने 2018 के आरएएस एग्जाम को पास किया. इसके लिए उन्होंने किसी तरह की कोई कोचिंग नहीं की. वे रूटीन सेल्फ स्टडी करते थे. हालांकि, इस दौरान कई समस्याएं भी आईं, लेकिन उन्होंने सभी को पार किया. उन्होंने बताया कि दृष्टिबाधित लोगों के साथ पढ़ने में समस्या होती है, इसके लिए उन्हें किसी व्यक्ति से जिस टॉपिक को वह पढ़ना चाहते है वह रीड करवानी पड़ती है. कई बार यह बहुत ही चैलेंजिंग होता है, लेकिन जैसे जैसे टेक्नोलॉजी का इजाद हो रहा है, वैसे-वैसे यह दृष्टिबाधित लोगों के जीवन में सफलता की सीढ़ी बनती जा रही है.

असफलता से डरें नहीं : उन्होंने बताया कि व्यक्ति को अपने जीवन में कई बार ऐसे लोग मिलते हैं, जो उन्हें यह एहसास करवाते हैं कि यह चीज उनके बस की बात नहीं है. हालांकि, आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो लोगों की जीवन में बाधाएं दूर कर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं. यह व्यक्ति को देखना है कि उसे इस चीज को किस तरह से अपने जीवन में उतरना है. व्यक्ति को यह निश्चित करना चाहिए कि लाइफ में उसका लक्ष्य क्या है. व्यक्ति को अपने लक्ष्य को पाने में कई बार असफलताएं मिलती हैं, तो कई बार पहले ही प्रयास में सफलता मिलती है, लेकिन असफलताओं से कभी डरना नहीं चाहिए. इनके कारणों को ढूंढना चाहिए और उनपर अच्छे से कार्य कर अपने आप को दोबारा मजबूती से मैदान में लेकर आना चाहिए. इससे निश्चित ही व्यक्ति को सफलताएं हासिल होगी.

दृष्टिबाधित कुलदीप चेस में भी मेडल जीत चुके हैं
दृष्टिबाधित कुलदीप चेस में भी मेडल जीत चुके हैं (ETV Bharat Alwar)

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पहली पोस्टिंग खाद्द विभाग में, चेस में मिला मेडल : कुलदीप ने बताया कि उनकी पहली पोस्टिंग खाद्य विभाग में प्रवर्तन निरीक्षक की मिली. वर्तमान में कुलदीप उमरैण ब्लॉक में कार्यरत हैं. वह नेशनल लेवल चेस कंपटीशन में पार्टिसिपेट कर मेडल भी अपने नाम कर चुके हैं. वे राजस्थान यूनिवर्सिटी इंटर कॉलेज चैंपियनशिप में रनर अप मेडल, दिल्ली में आयोजित नेशनल स्तर पर ब्लाइंड चेस कंपटीशन में मेडल जीत चुके हैं.

नव दिशा संस्थान से जुड़े युवा आज विभिन्न पदों पर कार्यरत : नव दिशा संस्थान के संस्थापक अवनीश मलिक बताते हैं कि उनके संस्थान से जुड़कर कई लोग आज अपने भविष्य को उज्वल बना चुके हैं, तो कई लोग उसी राह पर चल रहे हैं. संस्थान के साथ जुड़कर दिव्यांगों को नई दिशा मिली है. आज यहां से निकले युवा हर समस्या से पार पा रहे हैं. यहां से निकलकर कई लोग सरकारी नौकरी में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं.

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