नई दिल्लीः12 साल पहले आज के ही दिन यानी 16 दिसंबर को राजधानी दिल्ली में दर्दनाक वारदात हुई थी. पैरामेडिकल स्टूडेंट निर्भया (काल्पनिक नाम) के साथ 6 दरिंदों ने सामूहिक बलात्कार किया था. सड़क से संसद तक निर्भया को इंसाफ दिलाने की आवाज उठी थी. तब जाकर महिला सुरक्षा को देखते हुए कई सख्त कानून बनाए गए. लेकिन आज भी राजधानी की महिलाएं खुद को सुरक्षित नहीं समझती. 'ETV भारत' के साथ साझा बातचीत में महिलाओं ने बताया कि आज भी वह शाम को घर से बाहर निकलने में कतराती हैं. वहीं, कुछ युवा लड़कियों ने बताया कि उनके परिवार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने से रोक लगा दी है.
दिल्ली और देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं: आरती ने बताया कि वर्तमान में दिल्ली में किसी भी उम्र की महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. जब राजधानी में औरतें सुरक्षित नहीं हैं, तो छोटी बेटियों के बारे में सोच कर भी डर लगता है. कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुई दर्दनाक घटना हो या 1 जनवरी को दिल्ली की साक्षी के साथ हुआ हादसा हो, ऐसे कई हादसे दर्शाते हैं कि राजधानी के साथ साथ देश के किसी भी कोने में महिलाएं सुरक्षित नहीं है. इसके सुधार के कानून का और सख्त होना जरूरी है, ताकि इस तरह की घटना को अंजाम देने वालों के मन में दहशत पैदा हो और कोई भी गलत काम करने से पहले हजारों बार सोचें.
12वीं कक्षा में पढ़ने वाली नाजमीन ने बताया कि निर्भया कांड को आज 12 साल पूरे हो चुके हैं. इसके बाद कई सख्त कानून बनाए गए. लेकिन अब भी महिला सुरक्षा की स्थिति और खराब होती जा रही है. महिला सुरक्षा के मामले में सरकार को सख्त से सख्त कदम उठाने चाहिए. वहीं ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए. दिल्ली में महिलाओं की असुरक्षा को देखते हुए कई बार माता पिता भी घर से बाहर जाने के लिए मना करते हैं.