बाड़मेर. रंगों के पर्व होली के त्योहार को लेकर तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है. होली पर हर कोई रंग-गुलाल में रंगा नजर आता है, लेकिन कई बार केमिकल युक्त रंग-गुलाल लगाने से त्वचा पर एलर्जी हो जाती है, जिससे त्योहार का मजा किरकिरा हो जाता है. लेकिन अब इससे डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बाड़मेर में बालाजी राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाएं प्राकृतिक उत्पादों से हर्बल गुलाल बना रही हैं. इस गुलाल से त्वचा पर कोई नुकसान नहीं होता है. ये महिलाएं पिछले 3 सालों से हर्बल गुलाल बनाने का काम कर रही है. बाजार में इस गुलाल की मांग को देखते हुए होली से एक महीने पहले ही हर्बल गुलाल बनाने का काम शुरू कर दिया जाता है.
बालाजी राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाएं विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों से इस हर्बल गुलाल को तैयार करती है. बाड़मेर में इस बार आप फूलों और सब्जियों से तैयार बिना केमिकल की इस हर्बल गुलाल से होली का लुत्फ उठा सकेंगे. ये महिलाएं रंग-बिरंगे खुशबूदार फूलों से लाल, पीला, हरा, संतरा, नीला, गुलाबी, रंग का हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हैं.
कई दिनों में बनती है हर्बल गुलाल : हर्बल गुलाल बनाने वाले हीरो प्रजापत ने बताया कि फूलों, सब्जियों और मिठाई के उपयोग में लिए जाने वाले अरारोट के आटे से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. इस गुलाल को बनाने की एक लंबी प्रकिया है. इसलिए इससे बनाने में कई दिन लग जाते हैं. इसके लिए सबसे पहले बाजार से फूल लाते हैं. इन फूलों को धोकर धूप में सुखाया जाता है. इसके बाद फूलों की पत्तियों को मिक्सर से पिसते हैं. फिर इस पेस्ट को अरारोट के आटे के साथ मिलाया जाता हैं. फिर से इसे सुखाते हैं. इस तरह से एक लम्बी प्रकिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें कड़ी मेहनत लगती है.