नई दिल्ली:दिल्ली विधानसभा का सत्र आज से शुरू हो गया है. यह आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम सत्र है.
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1.बस मार्शलों के मुद्दे पर फैसला हो: विजेंद्र गुप्ता
नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि, बस मार्शलों के मुद्दे पर फैसला हो, इसलिए मुख्यमंत्री से समय लिया. लेकिन 5 अक्टूबर को जब सचिवालय में पहुंचा तो वहां भीड़ इकट्ठी कर ली गयी थी. वहां नौटंकी की. सत्तारूढ़ दल है सरकार है लेकिन मुख्यमंत्री विपक्ष से कह रही हैं चलिए उपराज्यपाल से मिलकर अभी कराते हैं. मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव रखा कि बस मार्शलों को पक्की नौकरी देने के लिए एक कमेटी बनाई जाए जो रोडमैप बनाएगा. लेकिन उसके बाद बाहर आने पर फिर आम आदमी पार्टी ने राजनीति करनी शुरू कर दी.
2. बस मार्शलों के मुद्दे पर सहयोग करे विपक्ष: राजेश गुप्ता
बस मार्शलों ने ड्यूटी के दौरान कई साहसी कार्य किए गए. रोहिणी में बस मार्शल संदीप ने एक लड़की के साथ छेड़छाड़ करने वाले शख्स को पकड़ा उसे पुलिस के हवाले किया है. ऐसे दर्जनों उदाहरण है उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए ड्यूटी की. आप विधायक ने कहा कि बस मार्शल योजना बनाना सेवा और कानून विभाग से जुड़ा मामला है. विपक्ष को इसमें सहयोग देना चाहिए.
3. सत्ता में आने पर देंगे पक्की नौकरी: अभय वर्मा, भाजपा
बस मार्शल 10 हज़ार नहीं सरकार 20 हज़ार रखें. यह पूरी तरह सरकार का फैसला है. हम भी उनकी बहाली को लेकर समर्थन करते हैं. इसी संबंध में हमने मुख्यमंत्री आतिशी से चर्चा के लिए समय मांगा था. लेकिन जब हम मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए समय और स्थान पर उस दिन सचिवालय में पहुंचे तो, वहां पर मीटिंग के अलावा राजनीति हुई. वहां सैकड़ों लोगों को मंत्री और मुख्यमंत्री ने बुलाया था. इसमें बस मार्शल थे और हमलोग पहुंचे तो हमें एक तरह से बंधक बना लिया गया. इस तरह किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता. हम सत्ता में आएंगे तो बस मार्शलों को पक्की नौकरी देंगे. अभय वर्मा ने कहा कि शुरुआत में अकेले केजरीवाल दिल्ली में खांसते-खांसते आए थे, आज दिल्ली की ऐसी हालत कर दी है कि हर दिल्ली वाला खांस रहा है.
4. ये बस मार्शलों के साथ इंसाफ नहीं: संजीव झा
बस मार्शलों के मुद्दे पर आप विधायक संजीव झा ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है, इस सदन में कई बार बस मार्शलों के मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है, जिन लोगों को नौकरी नहीं मिल रही थी, वहीं बस मार्शलों को रोजगार मिला. महिलाएं बसों में सुरक्षित थीं, लेकिन इस घटिया राजनीति की वजह से उनका रोजगार छिन रहे हैं तो भगवान देख रहा है. विपक्ष से सहयोग के लिए कहा.
5. विधानसभा में उठा बस मार्शलों का मुद्दा
आप विधायक कुलदीप कुमार ने बस मार्शलों के मुद्दे पर कहा कि भाजपा इसके लिए जिम्मेदार है. हम लगातार संघर्ष कर रहे हैं. बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए भाजपा के पैर पकड़े, क्योंकि हम दिल्ली की मां, बहन, बेटी को सुरक्षा मिले. बस मार्शलों को रोजगार मिले. भाजपा के लोगों ने बस मार्शलों को हटवाने का काम किया है.
बता दें कि इस सत्र में सरकार कई महत्वपूर्ण प्रतिवेदनों को पेश करने की योजना बना रही है, जिसमें बिजली कंपनियों से संबंधित रिपोर्ट भी शामिल है. वहीं, विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए अपने मुद्दे तैयार किए हैं.
'आखिर क्यों दबाई जा रही CAG की रिपोर्ट':विपक्ष, लगातार अपनी बातों को उठाने में सक्रिय है. विधानसभा सत्र शुरू होने से एक दिन पहले ही बीजेपी विधायकों ने उपराज्यपाल से भेंट करके सरकार की अनियमितताओं की शिकायत की. उनका आरोप है कि सरकार ने कई महत्वपूर्ण विभागों के कैग की रिपोर्टों को टेबल पर रखने में चूक की है. आज के सत्र में यह मुद्दा भी प्रमुखता से उठ सकता है.
दिल्ली विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू (Etv Bharat) केंद्र से 10,000 करोड़ रुपये की मांग:दिल्ली सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार से 10,000 करोड़ रुपये की मांग की है, जो विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा है. विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस पर तीखी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार की वित्तीय स्थिति 'डगमग' है और यह आम आदमी पार्टी की नीतियों का परिणाम है. उन्होंने कहा कि सरकार का गैर-जिम्मेदाराना रवैया और मुफ्त रेवड़ियों की घोषणा के चलते सरकारी खजाने का दुरुपयोग हो रहा है.
विजेंद्र गुप्ता ने यह भी दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में AAP की सरकार ने ऐसी योजनाओं पर धन खर्च किया है जिनका जनता को कोई लाभ नहीं मिला. विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में, करोड़ों रुपये बर्बाद होते रहे हैं. उन्होंने इशारा किया कि पहले दिल्ली हमेशा सरप्लस राजस्व के लिए एक उदाहरण हुआ करती थी, लेकिन अब वह राजस्व घाटे का सामना कर रही है.
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कर्जा लेने के निर्णय पर बोली भाजपा:दिल्ली की मुख्यमंत्री द्वारा केंद्र से 10,000 करोड़ रुपये का कर्जा लेने के निर्णय पर विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि इसे चुकाने में सरकार को 15 साल लगेंगे, जिसमें ब्याज के साथ कुल देनदारी 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है. ऐसे में यह स्पष्ट है कि यह निर्णय न केवल वर्तमान सरकार पर, बल्कि भविष्य की सरकारों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
रोहिंग्याओं के मुद्दे पर चिंता:विधानसभा सत्र में बीजेपी विधायक दिल्ली में प्रदूषण के मद्देनजर निर्माण कार्यों पर लगी रोक के कारण बेरोजगार हुए सभी श्रमिकों को तुरंत आर्थिक सहायता प्रदान करने की मांग और दिल्ली में रह रहे लाखों रोहिंग्याओं को वोटर लिस्ट में शामिल करने के लिए आप नेताओं द्वारा दिल्ली चुनाव आयोग के अधिकारियों पर बनाए जा रहे दबाव पर विजेंद्र गुप्ता ने चिंता व्यक्त की और कहा कि पहले दिल्ली सरकार ने इन लाखों रोहिंग्याओं को वोटर कार्ड जारी कर दिये और अब उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल करने के लिए दबाव बनाया जाना दिल्ली के बहुत बड़ा खतरा है. दिल्ली सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि हम किसी भी कीमत पर दिल्ली को बांग्लादेश नहीं बनने देंगे.
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