रांची:झारखंड की राजनीति में चुनाव से ठीक पहले नेताओं का एक दल छोड़ दूसरे दल में जाने के मामले बढ़ जाते हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी बड़ी संख्या में नेताओं ने दल बदले थे. इसमें से कुछ को दल बदल का लाभ मिला था तो कई ऐसे थे जिनका दांव उल्टा पड़ गया था. जिन नेताओं का दांव उल्टा पड़ा था उसमें से एक थे बहरागोड़ा विधानसभा से विधायक कुणाल षाड़ंगी रहे. हेमंत सोरेन के बेहद करीबी और विश्वसनीय युवा नेता के रूप में तेजी से पहचान बना रहे कुणाल षाड़ंगी तब हेमंत सोरेन का साथ छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे, जब झामुमो संघर्ष कर रहा था. 2019 में बीजेपी प्रत्याशी के रूप में कुणाल की जबरदस्त हार झामुमो प्रत्याशी समीर मोहंती के हाथों हो गई थी.
2024 में कुणाल षाड़ंगी के फिर घर वापसी के कयास
2019 में झामुमो छोड़ कर भाजपा में जाने वाले कुणाल षाड़ंगी ने पहले भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता का पद छोड़ा, फिर पार्टी को बाय-बाय कर दिया है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के समय से ही उनकी घर वापसी के कयास राज्य की राजनीति में लगते रहे हैं, लेकिन क्या उनकी झामुमो में वापसी की राह आसान हैं यह जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की. ईटीवी ने बात की 2019 में कुणाल को हराने वाले झामुमो विधायक समीर मोहंती और पार्टी के केंद्रीय समिति सदस्य सह प्रवक्ता मनोज पांडेय से.
कुणाल षाड़ंगी की वापसी का सवाल ही नहीं-समीर मोहंती
बहरागोड़ा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक समीर मोहंती कहते हैं कि उन्हें पूरा भरोसा है कि कुणाल षाड़ंगी की झामुमो में वापसी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि मैं जमशेदपुर से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहता था, लेकिन पार्टी ने मुझ पर भरोसा जताया तो अब विधानसभा चुनाव के समय में उनके लिए कोई जगह कहां है.
समीर मोहंती कहते हैं कि भाजपा में कुणाल षाड़ंगी की सभी संभावनाएं खत्म हो गई थीं, इसलिए उन्होंने भाजपा छोड़ी कि शायद झामुमो की सहानुभूति मिल जाए, लेकिन जो विपत्ति के समय पार्टी को लात मारकर चला गया था उसकी वापसी का सवाल ही नहीं! उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सॉफ्ट दिल के हैं इसका मतलब यह नहीं कि जिन लोगों ने पार्टी के साथ धोखा किया उनको माफ कर देंगे.
शर्त के साथ नहीं होगी किसी की पार्टी में इंट्री-मनोज पांडेय