कुल्लू:हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए देश दुनिया में विख्यात है. हर साल प्राकृतिक सुंदरता का मजा लेने के लिए करोड़ों सैलानी हिमाचल का रुख करते हैं. ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी तय किया है कि हर साल 5 करोड़ सैलानी हिमाचल आए और सरकार द्वारा उनकी आव भगत भी की जाए. ताकि पर्यटन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के आर्थिक हालात मजबूत हो सके. लेकिन बीते दिनों हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के 18 होटल को बंद करने के फैसले से सरकार का यह लक्ष्य टूटता हुआ नजर आ रहा है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पर्यटन विकास निगम की 18 होटलों को बंद करने का फरमान जारी किया गया है. जिसमें जिला कुल्लू के भी पांच होटल शामिल है. इनमें चार होटल मनाली और एक होटल कुल्लू में स्थित है.
होटल बंद होने से सैकड़ों लोगों के रोजगार पर लगेगा ग्रहण: जिला कुल्लू की प्राकृतिक सुंदरता को निहारने के लिए हर साल 50 लाख से अधिक सैलानी आते हैं और यहां पर होटल, होमस्टे, गेस्ट हाउस में अपने छुट्टियां भी व्यतीत करते हैं. पर्यटन नगरी मनाली की बात करें तो हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार माल रोड पर होटल कुंजम, लॉग हट, हिडिंबा कॉटेज, जिला कुल्लू की पुरातन राजधानी नग्गर में कैसल और ढालपुर में होटल सरवरी शामिल हैं, जिन्हें बंद करने के निर्देश जारी किया गए हैं. लेकिन अगर यह होटल बंद होते हैं तो इसका पर्यटन व्यवसाय को भी काफी धक्का पहुंचेगा और सैकड़ों लोगों के रोजगार पर भी संकट आएगा.
नग्गर कैसल अपनी खूबसूरती के विश्व प्रसिद्ध है: जिला कुल्लू की अगर बात करें तो यहां पर 12 महीने सैलानी आते हैं और होटल भी 12 महीने सैलानियों से गुलजार रहते हैं. मनाली की बात करें तो यहां पर यह सभी होटल बेहतरीन जगह पर स्थापित है. इसके अलावा नग्गर कैसल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है. नग्गर कैसल की बात करें तो यह है कुल्लू के राजाओं की पुरानी राजधानी रहा है और इसकी सजावट को देखने के लिए देश दुनिया से सैलानी आते हैं. यह एक ऐसा होटल है, इसके निर्माण में कोई भी लोहे की कील का प्रयोग नहीं की गई है.
राजा सिद्वि सिंह ने नग्गर कैसल शाही महल का कराया था निर्माण: इस किले का निर्माण राजा सिद्वि सिंह ने 16वीं शताब्दी में किया था. 17वीं शताब्दी के मध्य तक राजा महाराजा इसे शाही महल और शाही मुख्यालय के तौर पर प्रयोग करते थे. बाद में इसे कुल्लू के राजा जगत सिंह ने इसे अपनी राजधानी बनाया. नग्गर कैसल का यह किला 1905 में आए भयंकर भूकंप में भी खड़ा रहा और इस किले को कोई नुकसान नहीं हुआ है. यहां का इतिहास किले की दीवारों पर दर्शाया गया है. यहां घूमने आने वाले पर्यटकों का भी कहना है कि कैसल की निर्माण शैली काफी पसंद आई है. आज तक उन्होंने सिर्फ कुल्लू-मनाली की खूबसूरती के बारे में सुना था, लेकिन आज कुछ अलग देखने को मिलता है.
साल 1846 तक इस घराने के वंशज किले का प्रयोग ग्रीष्मकालीन महल के रूप में करते थे. लेकिन जब अंग्रेजों ने सारा कुल्लू सिक्खों के अधिकार से छुड़ा कर अपने कब्जे में ले लिया. तब राजा ज्ञान सिंह ने मात्र एक बंदूक के लिए इसे मेजर को बेच दिया था. इसके बाद इसे रहने के लिए यूरोपियन रहन-सहन के अनुरूप परिवर्तित कर दिया गया. कुछ समय बाद मेजर ने इसे सरकार को बेच दिया और इसका प्रयोग ग्रीष्मकालीन न्यायालय के रूप में होता रहा. अब यह किला सरकार के अधीन है.