बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार की बीपीएल कार्ड संशोधन प्रक्रिया और अपात्र लोगों के कार्ड रद्द करने के फैसले का भारी विरोध और आलोचना हुई. बवाल के बीच राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री केएच मुनियप्पा ने गुरुवार को आश्वासन दिया कि राशन के लिए पात्र परिवारों के बीपीएल कार्ड रद्द नहीं किए जाएंगे.
इससे पहले, राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने बीपीएल कार्ड रद्द करने की प्रक्रिया के मुद्दे को उठाया और कर्नाटक के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री से इस्तीफे की मांग की.
कर्नाटक सरकार ने राज्य में सभी राशन कार्ड धारकों की पात्रता की समीक्षा करते हुए बीपीएल कार्ड संशोधन प्रक्रिया शुरू की थी ताकि अपात्र लोगों के कार्ड वापस लिए जा सकें. इस पर मंत्री मुनियप्पा ने कहा कि केवल एक या दो प्रतिशत बीपीएल कार्डों को गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) कार्ड में बदला गया है.
मंत्री केएच मुनियप्पा ने गुरुवार को विधान सौधा (विधानसभा भवन) में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "आज हमने फैसला किया है कि (बीपीएल कार्ड) रद्द करने का कोई सवाल ही नहीं है. हर कार्ड पात्र है. उन्हें एक सप्ताह के बाद चावल मिल जाएगा. हमारे पास डीबीटी (डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर) के लिए वितरण को पर्याप्त धन है. पैसे से संबंधित कोई समस्या नहीं है. इस प्रक्रिया में केवल एक या दो प्रतिशत बीपीएल कार्ड एपीएल (गरीबी रेखा से ऊपर) में परिवर्तित हो गए हैं. इसलिए आज हमने फैसला किया है, मुख्यमंत्री ने निर्णय लिया है कि सरकारी कर्मचारियों और आयकर दाताओं को छोड़कर सभी (बीपीएल) कार्ड बहाल किए जाने चाहिए."
इस्तीफा मांगना भाजपा का कर्तव्य...
भाजपा द्वारा उनके इस्तीफे की मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुनियप्पा ने कहा कि भाजपा विपक्षी दल है और इस्तीफा मांगना उनका कर्तव्य है. लेकिन इसकी आवश्यकता नहीं है.
8647 बीपीएल कार्ड रद्द किए गए
मुनियप्पा ने कहा, "हमने करदाताओं और सरकारी कर्मचारियों के बीपीएल कार्डों को बदलने का निर्णय लिया है. 4,036 सरकारी कर्मचारियों के कार्ड संशोधित किए गए हैं. 1,02,509 कार्डों की समीक्षा की जा रही है और 8,647 बीपीएल कार्ड रद्द कर दिए गए हैं."
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