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'लोकतंत्र हमारे डीएनए में है', गुयाना की संसद में बोले पीएम मोदी, जानें और क्या कहा?

गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र हमारे डीएनए, विजन, आचार और व्यवहार में है.

गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी
गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 5 hours ago

जॉर्जटाउन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को यूनिवर्सल कोऑपरेशन का आह्वान करते हुए कहा कि यह संघर्ष का समय नहीं है. जॉर्जटाउन में गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे वह श्रीलंका हो या मालदीव संकट का सामना कर रहे देश को भारत ने हमेशा बिना किसी स्वार्थ के सहायता प्रदान की है.

पीएम मोदी ने कहा कि नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जिस भी देश में भूकंप आया, भारत ने हमेशा सबसे पहले प्रतिक्रिया दी है और यह हमारी परंपरा है. हम कभी विस्तार में विश्वास नहीं करते. 'अंतरिक्ष और समुद्र' यूनिवर्सल कोऑपरेशन के विषय होने चाहिए, न कि यूनिवर्सल कनफ्लिक्ट के. यह दुनिया के लिए संघर्ष का युग नहीं है.

'भारत के निर्णय लेने का मार्गदर्शन करती है मानवता'
प्रधानमंत्री ने गुयाना के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार 'द ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस' से सम्मानित होने के एक दिन बाद कहा, "हम कभी भी स्वार्थ, विस्तारवादी दृष्टिकोण के साथ आगे नहीं बढ़े और न ही संसाधनों पर कब्जा करने की भावना रखी. मानवता भारत के निर्णय लेने का मार्गदर्शन करती है."

'लोकतंत्र हमारे डीएनए में है'
उन्होंने कहा, "'लोकतंत्र पहले, मानवता पहले' की भावना के साथ भारत 'विश्व बंधु' के रूप में अपना कर्तव्य निभा रहा है. समावेशी समाज के निर्माण के लिए लोकतंत्र से बड़ा कोई दूसरा माध्यम नहीं है...दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि लोकतंत्र हमारे डीएनए, विजन, आचार और व्यवहार में है."

भारत-गुयाना संबंधों पर क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और गुयाना दोनों ने एक जैसी गुलामी, एक जैसा संघर्ष देखा है. उन्होंने कहा, "पिछले 200-250 साल में भारत और गुयाना ने एक जैसी गुलामी, एक जैसा संघर्ष देखा है...स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, इतने सारे लोगों ने यहां-वहां अपने प्राणों की आहुति दी...आज दोनों देश दुनिया में लोकतंत्र को मजबूत कर रहे हैं.इसलिए, गुयाना की संसद में, मैं भारत के 140 करोड़ लोगों की ओर से आप सभी का अभिवादन कर रहा हूं."

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, "हम द्वीप राष्ट्रों को छोटे देशों के रूप में नहीं बल्कि बड़े महासागर देशों के रूप में देखते हैं." अपने संबोधन से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जॉर्जटाउन के प्रोमेनेड गार्डन में महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की. इसके बाद उन्होंने भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात. इस दौरान प्रधानमंत्री के सामने लोगों ने राम भजन गाया.

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी को मिला डोमिनिका का सर्वोच्च सम्मान, कोरोना काल में की थी मदद

जॉर्जटाउन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को यूनिवर्सल कोऑपरेशन का आह्वान करते हुए कहा कि यह संघर्ष का समय नहीं है. जॉर्जटाउन में गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे वह श्रीलंका हो या मालदीव संकट का सामना कर रहे देश को भारत ने हमेशा बिना किसी स्वार्थ के सहायता प्रदान की है.

पीएम मोदी ने कहा कि नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जिस भी देश में भूकंप आया, भारत ने हमेशा सबसे पहले प्रतिक्रिया दी है और यह हमारी परंपरा है. हम कभी विस्तार में विश्वास नहीं करते. 'अंतरिक्ष और समुद्र' यूनिवर्सल कोऑपरेशन के विषय होने चाहिए, न कि यूनिवर्सल कनफ्लिक्ट के. यह दुनिया के लिए संघर्ष का युग नहीं है.

'भारत के निर्णय लेने का मार्गदर्शन करती है मानवता'
प्रधानमंत्री ने गुयाना के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार 'द ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस' से सम्मानित होने के एक दिन बाद कहा, "हम कभी भी स्वार्थ, विस्तारवादी दृष्टिकोण के साथ आगे नहीं बढ़े और न ही संसाधनों पर कब्जा करने की भावना रखी. मानवता भारत के निर्णय लेने का मार्गदर्शन करती है."

'लोकतंत्र हमारे डीएनए में है'
उन्होंने कहा, "'लोकतंत्र पहले, मानवता पहले' की भावना के साथ भारत 'विश्व बंधु' के रूप में अपना कर्तव्य निभा रहा है. समावेशी समाज के निर्माण के लिए लोकतंत्र से बड़ा कोई दूसरा माध्यम नहीं है...दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि लोकतंत्र हमारे डीएनए, विजन, आचार और व्यवहार में है."

भारत-गुयाना संबंधों पर क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और गुयाना दोनों ने एक जैसी गुलामी, एक जैसा संघर्ष देखा है. उन्होंने कहा, "पिछले 200-250 साल में भारत और गुयाना ने एक जैसी गुलामी, एक जैसा संघर्ष देखा है...स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, इतने सारे लोगों ने यहां-वहां अपने प्राणों की आहुति दी...आज दोनों देश दुनिया में लोकतंत्र को मजबूत कर रहे हैं.इसलिए, गुयाना की संसद में, मैं भारत के 140 करोड़ लोगों की ओर से आप सभी का अभिवादन कर रहा हूं."

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, "हम द्वीप राष्ट्रों को छोटे देशों के रूप में नहीं बल्कि बड़े महासागर देशों के रूप में देखते हैं." अपने संबोधन से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जॉर्जटाउन के प्रोमेनेड गार्डन में महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की. इसके बाद उन्होंने भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात. इस दौरान प्रधानमंत्री के सामने लोगों ने राम भजन गाया.

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