सरगुजा:छत्तीसगढ़ का सरगुजा संभाग घने जंगलों और पहाड़ों की गोद में बसा है. यहां के मैनपाट को शिमला का दर्जा दिया जाता है. फरवरी के महीने में जिस तरह से सरगुजा संभाग में तापमान का उतार चढ़ाव हो रहा है उससे लोग परेशान हैं. रात में जहां सर्दी पड़ रही है तो दिन में गर्मी का सितम है. तापमान के लगातार ऊपर नीचे होने से लोग मौसमी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. मौसम का असर रबी और फलदार फसलों पर भी पड़ रहा है. लोग मौसम के इस बदलते मिजाज को लेकर परेशान हैं.
बदल रहा मौसम का मिजाज:दरअसल सरगुजा में 20 जनवरी के बाद से ही मौसम का मिजाज बदलना शुरू हो गया है. पिछले दस दिनों से दिन के वक्त तेज गर्मी भी पड़ने लगी है. रात के वक्त सर्द हवाएं चलनी शुरू हो जा रही हैं. दिन और रात के तापमान में भारी अंतर देखने को मिल रहा है. मौसम वैज्ञानिक ए एम भट्ट कहते हैं कि फरवरी के महीने से गर्मी का आगमन शुरू हो जाता है. सूर्य की पृथ्वी से दूरी कम हो जाती है. दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी हो जाती हैं. रात छोटी होने की वजह से मौसम ठंडा हो जाता है.
मौसम में बदलाव का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है. हम मौसमी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. इंसानों के साथ साथ फसलों पर भी मौसम का असर पड़ता है. अभी फलदार पेड़ों पर फूल आने का वक्त है, रबी की फसल भी पकने वाली है. इस समय अगर मौसम बदलता रहता है तो उसका नुकसान फसलों को उठाना पड़ता है - ए एम भट्ट, मौसम वैज्ञानिक
मौसम वैज्ञानिक की राय: मौसम वैज्ञानिक ए एम भट्ट कहते हैं कि 23 दिसम्बर के आस पास सूर्य पृथ्वी से दूर होता हैं. इस समय यहां दिन की अवधी कम और रात की अवधि अधिक होती है. मौसम ठंडा रहता है लेकिन जैसे जैसे पृथ्वी के घूमने से सूर्य उत्तरी गोलार्ध के नजदीक आता है दिन की अवधि बढ़ने लगती है. ये 23 मार्च के आस पास बराबर में होती है, और 23 जून के आस पास सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है. जाहिर है सूर्य की उष्मा धरती पर ज्यादा देर रहेगी तो तापमान बढेगा. अक्सर देखा गया है की जनवरी लास्ट और फरवरी के महीने में पछुवा हवाएं उत्तर भारत से आनी शुरू हो जाती है ये महीने में करीब 4 से 5 बार आती है. ये हवाएं बहुत ठंडी होती हैं. इधर सूर्य की उष्मा से तापमान बढ़ता है और उधर से आने वाली ठंडी हवाएं तापमान को गिरा देती है, जिस कारण मौसम में जल्दी जल्दी बदलाव देखने को मिलता है.