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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले के बाद कृषि शिक्षकों की भर्ती में बीएड की डिग्री अनिवार्य होगी - CHHATTISGARH HIGH COURT DECISION

भर्ती प्रक्रिया में शामिल आवेदकों ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.

CHHATTISGARH HIGH COURT DECISION
बीएड की डिग्री अनिवार्य होगी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 23, 2025, 8:45 AM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब छत्तीसगढ़ में कृषि शिक्षकों की भर्ती में बीएड की डिग्री अनिवार्य होगी. हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि इसमें छूट नहीं दे सकते हैं. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने छूट के प्रावधानों को असंवैधानिक और अधिकारहीन घोषित कर नियम अनुसार ही भर्ती प्रक्रिया करने के निर्देश दिए हैं.
भर्ती में बीएड की डिग्री अनिवार्य: भर्ती प्रक्रिया में शामिल कुछ आवेदकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि वे कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री के साथ-साथ बीएड या डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) उत्तीर्ण हैं. उन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) परीक्षा भी पास की है. याचिकाकर्ताओं ने 5 मार्च 2019 की राज्य अधिसूचना को चुनौती दी, जिसमें अनिवार्य बीएड की आवश्यकता को हटा दिया गया था.

एनसीटीई के नियम: उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कृषि शिक्षकों के लिए योग्यता के बारे में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य शासन द्वारा अनिवार्य योग्यता को हटाना एनसीटीई के नियमों के विरुद्ध है. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस तरह की छूट शैक्षिक मानकों को कमजोर करती है. अप्रशिक्षित लोगों को पढ़ाने की अनुमति मिलने पर शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी. राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता और एनसीटीई के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि कि राज्य में कृषि शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए नियमों में ढील देना जरुरी था.

याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा: कोर्ट के समक्ष मुख्य कानूनी प्रश्न यह था कि क्या कोई राज्य सरकार शिक्षक योग्यता मानक में ढील दे सकती है, जो राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम 1993 के तहत एनसीटीई द्वारा निर्धारित किए गए हैं. याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अधिनियम की धारा 12-ए और 32 के तहत एनसीटीई विशेष रूप से शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित करता है, और राज्य सरकारें इन आवश्यकताओं को एकतरफा नहीं बदल सकती.

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भर्ती में बीएड की डिग्री अनिवार्य: भर्ती प्रक्रिया में शामिल कुछ आवेदकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि वे कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री के साथ-साथ बीएड या डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) उत्तीर्ण हैं. उन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) परीक्षा भी पास की है. याचिकाकर्ताओं ने 5 मार्च 2019 की राज्य अधिसूचना को चुनौती दी, जिसमें अनिवार्य बीएड की आवश्यकता को हटा दिया गया था.

एनसीटीई के नियम: उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कृषि शिक्षकों के लिए योग्यता के बारे में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य शासन द्वारा अनिवार्य योग्यता को हटाना एनसीटीई के नियमों के विरुद्ध है. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस तरह की छूट शैक्षिक मानकों को कमजोर करती है. अप्रशिक्षित लोगों को पढ़ाने की अनुमति मिलने पर शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी. राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता और एनसीटीई के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि कि राज्य में कृषि शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए नियमों में ढील देना जरुरी था.

याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा: कोर्ट के समक्ष मुख्य कानूनी प्रश्न यह था कि क्या कोई राज्य सरकार शिक्षक योग्यता मानक में ढील दे सकती है, जो राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम 1993 के तहत एनसीटीई द्वारा निर्धारित किए गए हैं. याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अधिनियम की धारा 12-ए और 32 के तहत एनसीटीई विशेष रूप से शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित करता है, और राज्य सरकारें इन आवश्यकताओं को एकतरफा नहीं बदल सकती.

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