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मिथिलांचल को अलग करने की मांग क्यों, किसको होगा फायदा, जानें इनसाइड स्टोरी - RABRI DEVI

राबड़ी देवी ने बिहार से अलग मिथिलांचल राज्य की मांग के जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया. ये मांग दशकों से हो रही है.

separate Mithila state from Bihar
मिथिला राज्य की मांग (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 28, 2024, 7:18 PM IST

Updated : Nov 28, 2024, 7:52 PM IST

पटना:मिथिला राज्य को लेकर एक बार फिर से बिहार में चर्चा शुरू है. मिथिला राज्य की मांग आज की नहीं है. ब्रिटिश समय से ही यह मांग होती रही है. बंगाल से जब बिहार अलग हुआ तब उस समय यह मांग जोर पकड़ी थी.

अलग मिथिला राज्य की मांग: बिहार के 108 विधानसभा और 18 लोकसभा क्षेत्र को मिलाकर मिथिला राज्य बनाने की मांग हो रही है. मिथिला राज्य का समर्थन कई दलों के नेताओं की तरफ से किया जा रहा है. वहीं मिथिला स्टूडेंट यूनियन के तरफ से लगातार आंदोलन हो रहा है.

ब्रिटिशकाल से हो रही मिथिलांचल राज्य की मांग (ETV Bharat)

'हमरा चाही मिथिला राज्य': 2016 से मिथिला स्टूडेंट यूनियन इस मांग को लेकर दिल्ली सहित पूरे देश में आंदोलन कर रहा है. मिथिला के विकास के लिए चाहिए हमरा चाही मिथिला राज्य , लड़ कर लेंगे मिथिला राज्य जैसे स्लोगन भी चर्चा में है.

19 जिले के 8 करोड़ लोगों की मांग: मिथिला राज्य बनाने को लेकर मिथिला स्टूडेंट यूनियन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष उदय नारायण झा का कहना है कि हम लोगों की मांग पुरानी है. 2025 में इसे हम लोग बड़ा मुद्दा बनाएंगे. दिल्ली के जंतर मंतर पर भी हम लोगों ने 10000 लोगों के साथ आंदोलन 21 अगस्त 2022 में किया था. बिहार की एक तिहाई आबादी मैथिली बोलती है और 19 जिलों के मिथिला के 8 करोड़ लोगों की ये मांग है.

ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

"पटना में दिसंबर 2022 में आंदोलन किया गया. मिथिलांचल में तो हम लोगों का आंदोलन लगातार चल रहा है. मिथिला के विकास के लिए मिथिला राज्य जरूरी है क्योंकि अभी तक जितनी भी योजनाएं बनती है वह पटना, नालंदा , राजगीर, गया को ध्यान में रखकर ही तैयार किया जाता है."-उदय नारायण झा, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, मिथिला स्टूडेंट यूनियन

'मिथिला के लिए नहीं हो रहा काम':उदय नारायण झा ने बताया कि मिथिला में आज भी सबसे अधिक गरीबी हैं. सबसे अधिक पलायन होता है और हर साल बाढ़ से लोग पीड़ित होते हैं. हमें भी आईआईटी, आईआईएम , मेडिकल कॉलेज और अच्छे संस्थान चाहिए. इंडस्ट्री चाहिए हमारी समृद्ध संस्कृति है मिथिला पेंटिंग. मखाना मांछ हमारी पहचान है, लेकिन मिथिला में इन सब पर जितना काम होना चाहिए नहीं हुआ है.

'अलग व्यवस्था में राज्य बनने से होगा फायदा': एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डॉक्टर दिवाकर का कहना है कि मिथिला राज्य यदि इसी व्यवस्था के तहत बनेगा तब तो कोई लाभ होने वाला नहीं है. जिन लोगों के पास सत्ता है यदि फिर उन्हीं के पास सत्ता चली जाएगी तब तो बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा. इस क्षेत्र में विकास नहीं हुआ है, अच्छे संस्थान नहीं है, जो सरकारी संस्थान हैं उनकी स्थिति बेहतर नहीं है. नीतीश सरकार ने रोड और बिजली के सेक्टर में जरूर अच्छा काम किया है लेकिन लोगों को रोजगार चाहिए.

ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

"अच्छी शिक्षा चाहिए और बाढ़ से निजात चाहिए. यह आंदोलन आज का नहीं है वर्षों पुराना है. जब बिहार बना उस समय भी आंदोलन जोर पकड़ा था. जब झारखंड बना तो उस समय भी मिथिला राज्य की मांग जोर पकड़ी थी. अब तो कई दलों के तरफ से समर्थन दिया जा रहा है."- डॉ दिवाकर , पूर्व निदेशक, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट

बीजेपी विधायक ने कही ये बात: वहीं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने पहली बार केंद्र सरकार से मिथिला राज्य बनाने की मांग नहीं की है. इससे पहले भी 2018 में यह मांग की गई थी. ऐसे कई कार्यक्रमों में बीजेपी के विधायकों के तरफ से भी यह मांग की जाती रही है. बीजेपी के विधायक हरीभूषण ठाकुर का कहना है कि राबड़ी देवी को मिथिला राज्य के लिए प्रस्ताव लाना चाहिए, बीजेपी उसका समर्थन करेगी.

मिथिला राज्य की मांग को लेकर आंदोलन (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

कब-कब उठी मांग: मिथिला राज्य का आंदोलन 1902 ई में जोर पकड़ा, जब ब्रिटिश भारत सरकार के एक अधिकारी सर जॉर्ज ग्रियर्सन ने भाषा आधारित सर्वेक्षण करके मिथिला राज्य का नक्शा तैयार किया. 1881 में मिथिला शब्द को ब्रिटिश भारत सरकार के शब्दकोष में जोड़ा गया. इसके अलावा 1912 और 1921 में भी मांग उठी. 1950 से 1956 तक भाषा के आधार पर कई राज्यों का गठन हुआ, लेकिन अलग मिथिला राज्य की फिर से उपेक्षा की गई . 1952 में डॉ लक्ष्मण झा ने अलग मिथिला राज्य के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाया.

ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

रेल रोको आंदोलन भी हुआ:1986 में जनता पार्टी के सांसद विजय कुमार मिश्रा ने मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, पूर्णिया, भागलपुर और उत्तर बिहार के कई जिलों को मिलाकर अलग मिथिला राज्य की पुरानी मांग को फिर से उठाया. रेल रोको आंदोलन भी चला.

बीजेपी की ओर से भी उठी थी मांग: झारखंड के अलग होने के बाद बिहार के पूर्व एडवोकेट जनरल, बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति और भाजपा नेता पं. ताराकांत झा ने 4 अगस्त 2004 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अलग मिथिला राज्य के लिए आंदोलन की घोषणा की. 2007 में उन्होंने मैथिली बोलने वाले लोगों के लिए अलग मिथिला राज्य के निर्माण की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया.

मिथिलांचल की मांग को लेकर बनाए गए स्लोगन (ETV Bharat)

2008 में, जदयू के वरिष्ठ नेता श्रवण चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी उत्तर बिहार के 18 लोकसभा और 108 विधानसभा क्षेत्रों के संबंध में एक अलग मिथिला राज्य के गठन के पक्ष में है. 2015 में, क्रिकेटर से भाजपा सांसद बने कीर्ति झा आजाद ने भी एक अलग मिथिला राज्य की मांग की.

ठंडे बस्ते में मामला:ताराकांत झा ने कहा था, "हम अलग मिथिला राज्य के निर्माण की मांग के समर्थन में एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर एकत्र करेंगे और इसे भारत के राष्ट्रपति को सौंपेंगे.लेकिन विधान परिषद के सदस्य बनते ही उन्होंने आंदोलन को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

मिथिला राज्य की मांग को लेकर आंदोलन (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

संसद में उठा मुद्दा: 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री और मुख्य विपक्षी नेता राबड़ी देवी ने बिहार विधान परिषद में उत्तर बिहार में मैथिली भाषी लोगों के लिए अलग मिथिला राज्य की मांग का समर्थन किया. 2019 में, तीन भाजपा नेताओं, दरभंगा से गोपाल जी ठाकुर सांसद , मधुबनी से अशोक कुमार यादव सांसद और दरभंगा नगर से संजय सरावगी विधायक ने विद्यापति सेवा संस्थान द्वारा दरभंगा में आयोजित 47वें विद्यापति महोत्सव समारोह में एक अलग मिथिला राज्य की मांग उठाई.

मिथिला पेंटिंग से लेकर मखाना तक फेमस: मिथिला पेंटिंग बिहार और मिथिला की ब्रांड बन चुकी है. देश-विदेश में मिथिला पेंटिंग की चर्चा हो रही है. वहीं मिथिला के मखाना को जी टैग मिल चुका है और बिहार का यह पांचवा उत्पाद है जिसे जी टैग दिया गया है.

इन जिलों को मिलाकर मिथिलांचल बनाने की मांग (ETV Bharat)

संविधान की प्रति का मैथिली में अनुवाद: समृद्ध मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल किया गया है और अब तो संविधान भी मैथिली में तैयार हो गया है, जिससे बिहार भाजपा के नेता गदगद हैं. संविधान दिवस पर केंद्र सरकार ने संविधान की प्रति का मैथिली भाषा में अनुवाद किया है.

एनडीए का गढ़ है मिथिलांचल: मिथिलांचल एनडीए का गढ़ है. लोकसभा चुनाव में हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, उजियारपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी समेत अधिसंख्य सीटों पर एनडीए के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. वहीं राबड़ी देवी का मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग भविष्य की राजनीति का संकेत है. राजद इसी बहाने एनडीए के गढ़ में सेंधमारी की कोशिश कर सकती है.

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Last Updated : Nov 28, 2024, 7:52 PM IST

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