शिमला: हिमाचल की सियासत में इस समय एक अबूझ धुंध छाई हुई है. लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है, लेकिन हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा के लिए विधानसभा का एक मसला सिरदर्द बना हुआ है. राज्यसभा चुनाव में हैरतनाक क्रॉस वोटिंग हुई. कांग्रेस अच्छे-खासे 40 सदस्यों के बावजूद सीट हार गई. उसके बाद हिमाचल में निरंतर पॉलिटिकल नाटक चल रहा है. खैर, इसी नाटक के बीच पर्दे पर लोकसभा प्रत्याशियों के चयन का दृश्य अचानक से आ सकता है.
आज सामने आ सकते हैं दो नाम
बीजेपी की ओर से 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की जा चुकी है, जिसमें हिमाचल की एक भी सीट नहीं थी. इस बीच खबर है कि आज बीजेपी की दूसरी लिस्ट आ सकती है क्योंकि बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में हिमाचल के नामों पर मुहर लग चुकी है. बुधवार को भाजपा हिमाचल की कम से कम दो सीटों पर प्रत्याशी का नाम जारी हो सकता है. ये नाम अनुराग ठाकुर और सुरेश कश्यप के तौर पर पक्का माना जा रहा है. अनुराग ठाकुर को लेकर संशय शून्य प्रतिशत है. सुरेश कश्यप भी लगभग पक्के तौर पर अगली पारी के लिए चयनित माने जा रहे हैं.
दो सीटों पर माथापच्ची बरकरार
मंडी और कांगड़ा सीट पर नामों का ऐलान फिलहाल होल्ड पर जाने के आसार हैं. इसके पीछे राजनीतिक कारण हैं. हिमाचल में भाजपा में इस बात को लेकर चर्चा और विचार-विमर्श की लंबी प्रक्रिया हुई है कि क्या पूर्व सीएम व मौजूदा समय में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को मंडी सीट से उतारा जाए या नहीं. अगर उन्हें मंडी सीट से उतारा जाता है तो क्या समीकरण बनेंगे. क्या प्रदेश में आने वाले समय में अगली पीढ़ी को नेतृत्व दिया जाए ? इन सवालों के बीच मंडी सीट से प्रत्याशी चयन पहली लिस्ट में शायद न हो.
वैसे मंडी से कारगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर, बिहारी लाल शर्मा आदि का नाम भी चर्चा में है. महेश्वर सिंह भी टिकट की आस में हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत का नाम उछला जरूर है, लेकिन उनके नाम पर सहमति शायद ही हो. वहीं, कांगड़ा सीट पर भी पसोपेश है. यहां से किशन कपूर सांसद हैं. स्वास्थ्य व अन्य कारणों से उन्हें टिकट मिलने के आसार कम हैं. वे खुद भी चुनाव लडऩे के अधिक इच्छुक नहीं हैं. भाजपा यहां से प्रत्याशी उतारने से पहले मौजूदा राजनीतिक गुत्थी के सुलझने का इंतजार कर रही है. ये चर्चा है कि यदि बागियों की भाजपा में एंट्री हो तो सुधीर शर्मा को यहां से टिकट दिया जाए. हालांकि, ये अभी तक महज चर्चा ही है. वैसे सुधीर शर्मा ने साल 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. पिछली बार कांगड़ा से विशाल नैहरिया भी उम्मीदवार की संभावित चर्चा में है.
संसद के साथ विधानसभा पर भी नजर
दिल्ली में चर्चा के बाद शिमला में भी भाजपा की बैठक हो चुकी है. स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में चारों सीटों के समीकरण चर्चा में रहे. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह, प्रदेश के मुखिया राजीव बिंदल व अन्य नेताओं ने चार सीटों पर प्रत्याशी चयन के बारे में विचार-विमर्श किया है. भाजपा में इस बात पर सहमति बनी है कि कम से कम सिटिंग MLA को न छेड़ा जाए. कारण ये है कि विधानसभा में संख्या बल की कभी भी जरूरत हो सकती है. ऐसे में शिमला सीट पर रीना कश्यप को उतारने का कदम थम गया है. पार्टी एक टिकट महिला प्रत्याशी को देना चाहती है. शिमला से ये चयन हो सकता था, लेकिन अभी परिस्थितियां भिन्न हैं. ऐसे में शिमला जिले की रोहड़ू सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी शशिबाला का नाम भी इस सीट से चल रहा है.
स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, राज्यसभा सांसद सिकंदर कुमार, संगठन की तरफ से बिहारी लाल शर्मा और त्रिलोक कपूर सहित पूर्व पार्टी मुखिया सतपाल सिंह सत्ती, शिमला के सांसद सुरेश कश्यप और विधायक त्रिलोक जम्वाल भी थे. भाजपा में हाईकमान के स्तर पर ये भी निर्णय हुआ है कि विधानसभा चुनाव में कैबिनेट मंत्री होते हुए भी हारने वाले को लोकसभा में टिकट न दिया जाए. ऐसे में ये माना जा रहा है कि मंडी सीट पर पूर्व कैबिनेट मंत्री गोबिंद ठाकुर और कांगड़ा लोकसभा सीट पर राकेश पठानिया को टिकट न मिले. भाजपा में कांगड़ा सीट पर गद्दी नेता के तौर पर त्रिलोक कपूर के अलावा डॉ. राजीव भारद्वाज के नाम पर भी चर्चा हुई है.
कांग्रेस के लिए चुनौती बड़ी
उधर मौजूदा सियासी परिदृश्य के बीच कांग्रेस के लिए भी टिकट फाइनल करना आसान नहीं है. कांग्रेस में अब ये माना जा रहा है कि मंडी सीट पर प्रतिभा सिंह फिर से चुनाव मैदान में होंगी. कांगड़ा से आरएस बाली के नाम की चर्चा शुरु हुई थी, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अभी उनके लिए नगरोटा महत्वपूर्ण है. खैर, मंडी सीट से कौल सिंह के नाम पर भी विचार हो सकता है, लेकिन चांस प्रतिभा सिंह का नाम ही फाइनल करने का है. शिमला से छह बार सांसद रहे केडी सुल्तानपुरी के विधायक बेटे विनोद सुल्तानपुरी का नाम चर्चा में है. यहां से अब कांग्रेस धनीराम शांडिल को मैदान में उतारने से परहेज करेगी, क्योंकि विधानसभा में संख्या बल भी देखना है. हमीरपुर सीट से कांग्रेस के लिए प्रत्याशी चयन मौजूदा स्थितियों में कठिन काम हो गया है. वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा के अनुसार चार सीटों पर प्रत्याशियों का चयन कांग्रेस के लिए भाजपा के मुकाबले थोड़ा कठिन हो गया है. भाजपा में हाईकमान के निर्देश पर चुनाव लडने से कोई इनकार नहीं कर सकता. वहीं, कांग्रेस में स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय समीकरण देखने होंगे. मौजूदा संकट के बीच कांग्रेस के लिए चार प्रत्याशी चुनना वास्तव में कठिन काम हो गया है. भाजपा के लिए हमीरपुर सीट और शिमला सीट पर संभवत नाम सबसे पहले आ जाएंगे.
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