पटनाः बिहार की राजनीति में यह दूसरी बार है जब एक महीने के अंदर राजद को दोबारा बड़ा झटका लगा. एक महीने पहले एनडीए की सरकार का विश्वास मत के दौरान राजद के तीन विधायक सत्ता पक्ष में आकर वोट किया था. इसकी आग बुझी नहीं थी कि एक बार फिर राजद विधायक संगीत कुमारी ने राजद को झटका दे दी. बिहार में फेर बदल को लकर सियासत शुरू हो गई है. हर कोई जानना चाहता है कि कौन है संगीता कुमारी. जिसने राजनीति में लाया उसी का साथ छोड़ दिया.
2020 में पहली बार बनी विधायकः संगीता कुमारी मूल रूप से कैमूर की रहने वाली है. 2020 में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर मोहनिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधायक बनी थी. संगीता काफी समय से राष्ट्रीय जनता दल से जुड़ी है. कैमूर में महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष थी. बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के करीबी है. उन्हीं आशीर्वाद से ही संगीता कुमारी को मोहनिया से टिकट मिला था. पहली बार में ही विधायक बन गई.
'सुधाकर सिंह राजनीति में लाया': जानकारी हो कि संगीता कुमारी के परिवार का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है. राजद नेताओं से बातचीत करने के बाद यह पता चला कि वह सीधे राजद के महिला प्रकोष्ठ में आयी थी. बताया जा रहा है कि जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह ने संगीता को राजनीति में लाए थे.
विधानसभा में सत्ता पक्ष में बैठी संगीता कुमारी अचानक कैसे पलट गईं संगीता? विश्वास मत से पहले जब तेजस्वी आवास में विधायकों की मौजूदगी थी तो उस वक्त संगीता कुमारी भी मौजूद थी. उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि विधायक पलट जाएगी. हालांकि विश्वास मत के दिन भी सदन में राजद के पक्ष में थी. सरकार बनने के इतने दिनों के बाद अचानक एनडीए के लिए प्रेम उमड़ पड़ा और सत्ता पक्ष में आकर बैठ गई.
मनोज झा ने स्पीकर को दी चुनौती: इस मामले को लेकर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह कुछ भी कहने से परहेज करते नजर आ रहे हैं. लेकिन राजद के कई नेताओं का साथ-साथ कहना है कि जगदानंद सिंह ने ही संगीता कुमारी को मोहनिया विधानसभा से टिकट दिलवाने का काम किया था. इधर राज्यसभा सांसद मनोज झा ने साफ-साफ कहा कि एक दो विधायक के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इस दौरान उन्होंने स्पीकर को कानूनी रूप से चुनौती दी.
"लोकतंत्र में बीजेपी के लोग थैली लेकर बैठे हुए है. राजद के विधायक को सदन के बीजेपी का पट्टा पहन दिया. विधान सभाध्यक्ष ने जगह भी अलॉट कर दिया. देश में दल बदल कानून लागू है. सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि ऐसा करना नियम के खिलाफ है. विधायक की सदस्यता जानी तय है. चार विधायक इधर से उधर हुए और विधानसभा अध्यक्ष देखते रहे. हम विधानसभा अध्यक्ष से न्याय करने की मांग करेंगे."-मनोज झा, राज्यसभा सांसद
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