पटना : एक कहावत आम है कि राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं है. यहां ना कोई स्थाई 'दोस्त' है और ना ही कोई पक्का 'दुश्मन'. बिहार की राजनीति में इन दिनों यह कहावत कही चरितार्थ हो रही है. हैदराबाद से लौटने पर विधानसभा में विश्वास मत से पहले जो नेता दावा कर रहे थे कि महागठबंधन मजबूत है और कांग्रेस पार्टी में उनकी अटूट आस्था है, वह अब पाला बदलकर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार की एनडीए सरकार में शामिल हो गए हैं.
मुरारी गौतम ने बदला पाला : मंत्री मुरारी गौतम जो लंबे समय तक खुद को कांग्रेस पार्टी का निष्ठावान सिपाही बताया करते थे. अचानक क्या हुआ इसके पीछे अलग-अलग बातें हैं, लेकिन इससे पहले जान लेते हैं मुरारी गौतम कौन है? बिहार प्रदेश कांग्रेस के विधायक मुरारी गौतम को कांग्रेस के पूर्व बिहार प्रभारी भक्तचरण दास का करीबी माना जाता है. चर्चा है कि बिहार प्रभारी बदलते ही बिहार के संगठन में उनकी पूछ कम हो गई थी.
''सार्थक निर्णय जो भी है उसे लेने में देरी नहीं करनी चाहिए. हमलोगों ने सार्थक निर्णय लिया है, देशहित में, प्रदेश हित में, जनहित के लिए. कोई नई जगह नहीं, नया घर नहीं, बल्कि बिहार सबका है, बिहार के विकास के लिए कहीं रहना हो तो उसमें रहना चाहिए. बहुत सारे साथी हमारे साथ आने वाले हैं, जल्द ही सभी आपके सामने दिखेंगे.''-मुरारी गौतम, विधायक
कौन हैं मुरारी गौतम? : मुरारी गौतम का जन्म 1 मार्च 1980 को एक साधारण परिवार में हुआ था. वे अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं. उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीति से जुड़ी है. उनके पिता महेंद्र राम कांग्रेस के कार्यकर्ता थे और रोहतास के चिटैनी पंचायत के मुखिया भी रह चुके हैं. मुरारी ने अपने पिता के राह पर चलते हुए कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली. 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में इनके पिता महेंद्र राम राजद में चले गए. राजद ने महेंद्र राम को चेनारी सीट से उम्मीदवार बनाया, फिर भी मुरारी गौतम ने कांग्रेस नहीं छोड़ा. उस चुनाव में उनके पिता की हार हुई थी.
शिक्षक की नौकरी छोड़ ज्वाइन की पॉलिटिक्स : मुरारी गौतम रोहतास जिला के कोचस प्रखंड के चितैनी पंचायत अंतर्गत मध्य विद्यालय, सेलास के शिक्षक रह चुके हैं. उन्होंने पांचवी तक की पढ़ाई सासाराम के शिशु मंदिर विद्यालय से की. उसके बाद पटना के कंकड़बाग स्थित एसपीडी हाई स्कूल में आगे की पढ़ाई की. मुरारी प्रसाद गौतम के बड़े भाई ओमप्रकाश रवि और उनकी पत्नी चंदा कुमारी भी शिक्षिका है. लेकिन पिता के निधन के बाद मुरारी प्रसाद गौतम को राजनीति में आना पड़ा, क्योंकि इनके पिता महेंद्र राम चेनारी विधानसभा सीट से 4 बार चुनाव लड़ चुके थे. लेकिन उन्हें चारों बार पराजय हाथ लगी थी. 2020 विधानसभा चुनाव में चेनारी विधानसभा सीट पर जीत हासिल कर राजनीति में आने के उद्देश्य को सफल साबित किया.
चेनारी सुरक्षित सीट से जीते: 43 वर्षीय मुरारी गौतम 2020 विधानसभा चुनाव में चेनारी सुरक्षित विधानसभा सीट पर जदयू के ललन पासवान को हराकर सदन पहुंचे. ललन पासवान को उन्होंने 17991 वोटों से हराया. अभी आप बदलते परिदृश्य ही देखिए की 2 साल विपक्ष में सरकार के खिलाफ सदन में बोले. फिर महागठबंधन सरकार बनी तो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में कांग्रेस कोटे से इकलौती मंत्री रहे और पंचायती राज विभाग का इन्होंने जिम्मेदारी संभाली.
पाला बदलने से चर्चा में मुरारी गौतम: मंगलवार को जिस प्रकार उन्होंने पाला बदलते हुए सत्ता पक्ष के साथ बैठने का काम किया इससे यह माना जा रहा है कि बिहार सरकार में उन्हें मंत्री बनाया जाना तय है. चर्चा यह भी है कि डेढ़ साल के महागठबंधन कार्यकाल के दौरान मुरारी गौतम नीतीश कुमार के काफी करीबी हो गए. हालांकि एनडीए खेमे में इन्हें लाने में अशोक चौधरी की बड़ी भूमिका बताई जा रही है.
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