बगहा: पक्षी की बात करते हैं तो आमतौर पर भारत में दिखने वाला मोर, बुलबुल, नीलकंठ, सारस, बगुला, गिद्ध, गौरैया का नाम आता है. VTR में 300 प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं, जो शैलानियों को आकर्षित करते हैं. इसी बीच हाल में एक दुर्लभ पक्षी को देखा गया है, जो 8 साल पहले देखा गया था. यह पक्षी मांसाहारी होता है.
रात्रि बगुला वाला इकलौता वन: नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड लाइफ सोसायटी (NEWS)के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक बताते हैं कि पूरे भारत में बिहार का VTR इकलौता वन है, जहां यह पक्षी है. इस पक्षी को सफेद कान वाला रात्रि बगुला (white eared night heron) कहा जाता है. इसकी खासियत के कारण इसे मायावी पक्षी भी कहा जाता है.
"व्हाइट इयर नाइट हेरोन एशिया महादेश में चीन और वियतनाम में पाया जाने वाला पक्षी है. इस पक्षी को इससे पहले नहीं देखा गया था. लिहाजा पहचान कराने के लिए WII (Wildlife Institute Of India) के बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी भेजा गया. इसके बाद कन्फर्म किया गया कि यह दक्षिण चीन और वियतनाम में पाया जाने वाला व्हाइट इयर नाइट हेरोन है."-अभिषेक, प्रोजेक्ट मैनेजर, NEWS
वीटीआर में इसकी संख्या कम: अभिषेक बताते हैं कि रात्रि बगुला के नाम से मसहूर यह पक्षी आमतौर पर पूरे एशिया महादेश में चीन और वियतनाम के अलावा सिर्फ VTR के जंगल में पाया जाता. लेकिन इसे हमेशा नहीं देखा जा सकता है, कारण इसकी संख्या काफी कम होना है. इसलिए पर्यटक इसका दीदार नहीं कर पाते हैं.
दुनिया भर लगभग 1000: रात्रि बगुला का वैज्ञानिक नाम ओरोनासा मैग्निफिका है. यह एक आर्डेडे परिवार(जलचर पक्षी) यानि बगुले की एक प्रजाति. चीन और वियतनाम के बाद सिर्फ VTR में इसका बसेरा है. दुनिया भर में इसकी संख्या लगभग 1000 से 1500 के बीच ही है.
विश्व में रात्रि बगुला की स्थिति: इस पक्षी को वीटीआईर में इससे पहले 2016 के नवंबर माह में देखा गया था. पूरे विश्व की बात करें तो 2001 तक विश्व के 20 स्थानों पर इस पक्षी को स्पॉट किया गया था. 2000 में लुप्तप्राय पक्षी की श्रेणी में सूचीबद्ध भी किया गया था. इसके बाद इसे 2011 में 30 से अधिक स्थानों पर देखा गया. वर्तमान में जनवरी 2025 में इसे वीटीआर में देखा गया.