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तमिलनाडु की शिक्षा व्यवस्था से बिहार का शिक्षा विभाग प्रभावित! जानें किन फैसलों का लागू करने की है तैयारी? - Bihar Education System - BIHAR EDUCATION SYSTEM

Model Of Education System: तमिलनाडु की शिक्षा व्यवस्था और कुछ अच्छे फैसलों को बिहार का शिक्षा विभाग भी लागू करने की योजना बना रहा है. इसको लेकर एक उच्च स्तरीय टीम पिछले दिनों वहां गई भी थी लेकिन इस बीच तमिलनाडु के राज्यपाल ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न खड़ा कर दिया है. ऐसे में सवाल है कि वहां के किस सिस्टम को एजुकेशन डिपार्टमेंट अपनाने की तैयारी कर रहा है और अब आगे क्या ऐसा करना ठीक होगा?

Bihar Education System
बिहार में मिड डे मील और यूनिफॉर्म (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 11, 2024, 7:35 AM IST

देखें रिपोर्ट (ETV Bharat)

पटना:बिहार शिक्षा विभाग की एक हाई लेवल अधिकारियों की टीम पिछले दिनों तमिलनाडु के शिक्षा विभाग का अध्ययन करने गई थी. टीम अध्ययन करके लौट आई है और उसके बाद अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है. हालांकि तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि ने ही राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर ही सवाल उठा दिया है. उन्होंने न केवल स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई की हालत को दयनीय बताया, बल्कि शिक्षा संस्थानों में नशे के बढ़ते मामलों पर भी चिंता जताई. ऐसे में यह सवाल उठने लगे हैं कि तमिलनाडु की शिक्षा व्यवस्था के मॉडल से हम क्या सीखने गए थे?

अपर मुख्य सचिव एसीएस एस सिद्धार्थ (ETV Bharat)

क्या कहा तमिलनाडु के राज्यपाल ने?:दरअसल शिक्षक दिवस के मौके पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि ने कहा कि राज्य के बच्चे नशे की लत में डूब रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य की खराब शिक्षा व्यवस्था बच्चों को बेकार बना रही है. राज्यपाल ने यह तक कह दिया कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में बड़े पैमाने पर नशीली दावों की सप्लाई की जा रही है. उन्होंने खुलकर तमिलनाडु के शिक्षा व्यवस्था के मॉडल को दोषपूर्ण बताया.

राजनीतिक दल से मोटिवेटेड बयान है राज्यपाल का?:पटना के एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के प्राध्यापक और जाने-माने समाजशास्त्री बीएन प्रसाद ने कहा कि राज्यपाल के इस बयान को बहुत अधिक गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल नहीं है, जो होना चाहिए. वहीं, राज्यपाल जो कुछ भी कहते हैं उसमें स्टेट गवर्नमेंट के कार्यों पर काम बल्कि केंद्र सरकार और अन्य राजनीतिक दलों के एजेंडे पर अधिक कह रहे हैं. इसलिए इन बातों पर बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत नहीं है.

क्लास में पढ़ते छात्र-छात्राएं (ETV Bharat)

दूसरे राज्यों के अभिनव प्रयोग को लागू करना चाहिए:बीएन प्रसाद के मुताबिक किसी भी राज्य में कोई शिक्षा के क्षेत्र में या किसी अन्य क्षेत्र में अभिनव प्रयोग हो रहा है तो उसे दूसरे राज्य को भी अमल करना चाहिए. यदि तमिलनाडु की शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो वहां पांचवी तक बच्चों को मिड डे मील में दो बार भोजन है. सुबह में ब्रेकफास्ट और फिर बाद में मिड डे मील का भोजन. इसके अलावा वहां दसवीं तक बच्चों को मिड डे मील की सुविधा है और राज्य में चार बार बच्चों को पोशाक दी जाती है. ऐसे में इन अभिनव प्रयोग का अध्ययन करने किसी दूसरे राज्य की टीम जाती है तो इन प्रयोगों को वापस लेकर अपने प्रदेश लौटती है.

"इन दिनों जिस तरह से राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच संबंध हैं, उसमें तमिलनाडु के राज्यपाल की बातों को बहुत अधिक गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. जहां तक शिक्षण संस्थान में नशे के बढ़ते मामलों की बात है तो इसके लिए सरकार के साथ-साथ समाज भी जिम्मेदार है. मुझे लगता है कि अगर तमिलनाडु की शिक्षा व्यवस्था में कुछ अच्छी पहल हुई है तो हमें भी उन्हें अपनाना चाहिए."- बीएन प्रसाद, प्राध्यापक, सोशल साइंसेज, एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट, पटना

स्कूलों में मिड डे मील (ETV Bharat)

बच्चों में नशे की लत के लिए समाज और सिस्टम जिम्मेदार:बीएन प्रसाद ने बताया कि जहां तक बच्चों के नशे में डूबने का सवाल है तो यह समाज और सिस्टम का फेल्यर है. अगर राज्य में ऐसी व्यवस्था नहीं है जो सतर्क है तो इस स्थिति में यह जरूरी नहीं कि अभिनव प्रयोग नहीं किए जाएं. किसी भी समझ में अच्छे चीजों को अपने यहां लाते हैं और उसे प्रयोग के तौर पर लागू करते हैं तो यह अच्छी बात है. समझदारी इसी में है कि अच्छी पहल को अपने यहां भी प्रयोग में लाया जाए. अगर बच्चों में नशे की लत आ रही है तो यह चिंता का विषय है कि आखिर यह लत क्यों लग रही है. पुलिसिंग कहां कमजोर पड़ रही है कि बच्चों तक नशा का सामान उपलब्ध हो जा रहा है.

साइकिल और पोशाक योजना का बिहार में असर:बिहार में भी नीतीश कुमार ने सत्ता में आने के बाद साइकिल योजना और पोशाक योजना जैसी योजनाएं शुरू की. इसका असर आज देखने को मिल रहा है. महिला शिक्षा के क्षेत्र में यह योजनाएं अभूतपूर्व साबित हुई और न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है.

महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी:राज्य की महिलाएं सशक्त और स्वावलंबी बन रही हैं. रोजगार के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. देश विदेश से लोग इस सिस्टम को अध्ययन करने के लिए बिहार आते हैं. ऐसे में किसी भी समाज के अच्छे चीजों को आप अपने यहां प्रयोग करना चाहते हैं तो वह जरूर करनी चाहिए. सिस्टम के फेल्योर के साथ इस जोड़कर अभिनव प्रयोग को नहीं छोड़ देना चाहिए.

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