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कब है हरतालिका तीज? इस विधि से करें भगवान शिव और पार्वती की पूजा, इन चीजों का रखें ध्यान - Haritalika Teej 2024 - HARITALIKA TEEJ 2024

Haritalika Teej 2024: हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. जो अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ती है. जानें इस साल हरतालिका तीज कब है.

Haritalika Teej 2024
Haritalika Teej 2024 (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 4, 2024, 8:51 AM IST

पानीपत: सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए हर साल हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. जो अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ती है. इस बार हरतालिका तीज 6 सितंबर को पड़ रही है. पूरे भारतवर्ष में हरतालिका तीज विभिन्न तरीकों में मनाई जाती है. इस दिन माता पार्वती को सोलह सिंगार की सामग्री चढ़ाई जाती है और शंकर भगवान और पार्वती माता का सामूहिक पूजन किया जाता है.

क्यों मनाई जाती है हरतालिका तीज? हरतालिका तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाया जाता है. इसे खासकर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखकर मनाती हैं. साथ ही, ये पर्व अविवाहित कन्याओं के लिए भी महत्वपूर्ण है. जो अच्छे वर की कामना के लिए ये व्रत रखती हैं.

कैसे मनाई जाती है हरतालिका तीज? हरतालिका तीज का व्रत निर्जला और निराहार रखा जाता है. जिसका मतलब है कि इस दिन महिलाएं दिनभर बिना कुछ खाए-पिए व्रत करती हैं. ये व्रत कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें दिनभर का उपवास करना होता है.

कैसे करें पूजा-अर्चना? इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं. भगवान को नए वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं. घरों में या मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. पूजा के बाद महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती के भजन-कीर्तन करती हैं और उनकी कहानियों को सुनती-सुनाती हैं. हरतालिका तीज की रात महिलाएं जागरण करती हैं, यानी वे पूरी रात सोती नहीं हैं और भजन-कीर्तन व शिव-पार्वती की कहानियां सुनती हैं.

व्रत का पारण: अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है. जिसमें महिलाएं जल और फल का सेवन करती हैं और व्रत का समापन करती हैं. हरतालिका तीज महिलाओं के लिए आस्था और श्रद्धा का पर्व है, जिसमें वे अपने पति और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव-पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. शास्त्रों के अनुसार इस दिन झरने के पानी का सेवन करना चाहिए.

इन चीजों का रखें ध्यान: झरने का पानी ना होने पर शुद्ध पानी में गंगाजल मिलकर भी पी सकते हैं. स्नान के लिए शुद्ध देसी गाय का गोमूत्र पानी में मिलना चाहिए. ये व्रत मुख्यता संतान प्राप्ति विवाह और सुख शांति के लिए रखा जाता है. कई लोग इस व्रत को निआहार रखते हैं, तो कहीं लोग इस दिन फलाहार व्रत रखते हैं. जो लोग व्रत में एक समय खाना खाते हैं. वो शाम 4 बजे तक भोजन करते हैं. महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी इस व्रत को रखते हैं. व्रत के दौरान ओम नमः शिवा शिवाय का जाप किया जाता है.

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