रायपुर : मुहूर्त का निर्धारण करना एक ज्योतिषी या पंडित के लिए बहुत आसान काम है. क्योंकि ज्योतिषी या पंडित ना इतनी गणनाएं करता है ना उसको इतना ज्ञान है. जो पंचांग का निर्माण करते हैं उनको इस क्षेत्र में गहन अध्ययन होता है. ऐसे ही कुछ ज्योतिषी या पंडित भी इसका अच्छा अध्ययन करते हैं. लेकिन मुहूर्त निकालना किसी भी ज्योतिषी के लिए बहुत आसान काम है.
किसी भी पंचांग में होता है मुहूर्त :कोई भी पंचांग उठा लें उसमें स्पष्ट लिखा होता है विवाह मुहूर्त, गृह प्रवेश मुहूर्त, जीर्ण गृह प्रवेश मुहूर्त, अन्नप्राशन मुहूर्त, विद्या आरंभ मुहूर्त, वधू प्रवेश मुहूर्त, वाग्दान मुहूर्त अक्षर आरंभ मुहूर्त ऐसे जितने भी मुहूर्त हैं. सबका उल्लेख पंचांग में होता है. एक विशिष्ट पृष्ठ पर या हर माह के पंचांग में एक स्थान पर इस तरह के मुहूर्त लिखे होते हैं. इसके लिए ज्योतिषी या पंडित को मेहनत नहीं करनी पड़ती. वह पंचांग उठाकर देखता है और मुहूर्त बता देता है. सामान्य पढ़ा लिखा व्यक्ति भी पंचांग देखकर मुहूर्त जान सकता है.
''पंचांग में जो मुहूर्त दिया जाता है आवश्यक नहीं कि वह हर जातक के लिए उचित हो सही हो ज्योतिष ग्रंथ बताते हैं कि कुंडली के लगन से चौथे आठवें और 12 भाव का चंद्रमा त्रिक भाव में स्थित चंद्रमा लाभदायक नहीं होता है. दोषपूर्ण होता है. कोई जातक ज्योतिषी के बताए गए मुहूर्त के आधार पर काम करता है. पूजा पाठ करता है. मुहूर्त का पालन करता है लेकिन वो जातक के कुंडली का अध्ययन नहीं करता उसकी कौन सी राशि है. उसकी कौन सी दशा चल रही है. मुहूर्त निर्धारण में इसका बहुत बड़ा योगदान है. जातक के लग्न कुंडली और चंद्र कुंडली से चौथे आठवें और बारहवें भाव में चंद्रमा हो तो वह मुहूर्त उस जातक को पर्याप्त लाभ नहीं मिलता. कई बार जातक को बहुत हानि होती है. उसको मानसिक क्लेश भी होता है."- डॉ महेन्द्र कुमार ठाकुर,ज्योतिष एवं वास्तुविद