दुर्ग : अपना खुद का घर होना हर किसी का एक सपना होता है. ऐसे में कई मध्यमवर्गी परिवार, जो मकान बनवाना चाहते हैं, उनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना एक वरदान बन कर सामने आया है. लाखों हितग्राहियों ने इस योजना का लाभ लेकर अपने सपने पूरे किए. लेकिन दुर्ग के मोहन नगर क्षेत्र में किराये के मकान में रहने वाली अष्टशिला वासनिक अष्टशिला वासनिक के सपने पर बिजली विभाग की एक गलती ने पानी फेर दिया है. जानिए आखिर कैसे एक खंभे की वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना का काम अटका हुआ है.
बिजली खंभे की वजह से अटका निर्माण : अष्टशिला वासनिक के पास दुर्ग के जयंती नगर में एक जमीन है. जहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनने पैसा स्वीकृत हुआ है. लेकिन उनके जमीन पर बिजली विभाग ने अपना खंभा गाड़ दिया है. अब जब तक ये खंभा हटेगा नहीं, मकान बनना शुरू नहीं होगा. प्रार्थी महिला बिजली पोल को हटवाने बीते एक साल से बिजली विभाग और कलेक्टर के चक्कर काट रही है, लेकिन आज तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. परिवार का कहना है कि बिजली विभाग खंभा हटाने के हमसे ही पैसे मांग रही है.
मैं स्कूल में प्यून का काम करती हूं. मुझे 2000 रुपए मासिक वेतन मिलता है. मेरे पति कबाड़ी खरीदते और बेचते हैं. किराये के मकान में 2 बच्चों के साथ बड़ी मुश्किल से गुजर बसर हो रहा है. ऐसे में बिजली विभाग उस पोल को हटाने के लिए 6 लाख रुपए की मांग कर रहा है. अगर मेरे पास इतने पैसे होते तो मैं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान क्यों बनवाती, खुद के पैसे से ही घर बना लेती : अष्टशिला वासनिक, पीड़ित
घूस मांगने पर बिजली विभाग की सफाई : महिला के आरोप पर बिजली विभाग ने भी अपनी सफाई दी है. अधीक्षण अभियंता सिटी तरुण कुमार ठाकरे ने कहा कि महिला के द्वारा आवेदन दिया गया है. महिला से जरूरी डॉक्यूमेंट मांगे गए, जो कि उसने नहीं दिए. इसलिए काम अटका हुआ है. 6 लाख रुपए की डिमांड के आरोप पर कहा कि उनसे पैसे की डिमांड किसने की हमें नहीं पता.