लखनऊः इन दिनों यूपी में डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) के एक बाद एक कई मामले सामने आए हैं. ज्यादातर मामलों में डॉक्टर, रिटायर बुजुर्गों को निशाना बनाया जा रहा है. ठगी के इस नए हथकंडे ने ऐसे लोगों की मेहनत की कमाई एक झटके में उड़ा ली है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.
एक बाद एक कई मामले सामने आए(Digital Arrest News)
- केस 1 -मेरठ के सिविल लाइंस क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्ग सूरज प्रकाश को एक कॉल आती है. उन पर मनी लॉड्रिंन्ग का आरोप लगाकर उन्हें घर पर चार दिन डिजिटल अरेस्ट रखा जाता है. इस दौरान उनसे 1 करोड़ 73 लाख रुपए की ठगी कर ली जाती है. पैसा चार अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करा लिया जाता है. पूरा मामला पढे़ं.
- केस 2-राम मनोहर लोहिया आर्युविज्ञान संस्थान की डेंटिस्ट डॉ. रूबी थॉमस को 16 अगस्त को उनके पास एक महिला की कॉल आई, जिसने बताया कि आधार कार्ड से सिम जारी हुआ है, जिससे धोखाधड़ी हुई है. एक व्यक्ति सीबीआई अफसर की तरह पूछताछ करता है. उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर 90 हजार रुपए की ठगी कर ली जाती है. पूरा मामला पढ़ें.
- केस 3- बीते दिनों पीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचिका टंडन को मनी लांड्रिंग का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट रखा गया और उनसे 2.81 करोड़ की ठगी की गई. पूरा मामला पढ़ें.
डिजिटल अरेस्ट क्या है (Digital Arrest Kya Hai): ये कोई खास शब्द नहीं है बल्कि जालसाजी का तरीका है. यह इतने शातिर तरीके से अंजाम दिया जाता है कि आप पूरी तरह से इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं. चलिए जानते हैं आखिर कैसे इसे अंजाम दिया जाता है
कैसे होता है डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest Ka Drama)