पटना: बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी ने अररिया में पुल गिरने की घटना की जांच निगरानी विभाग से कराने का फैसला लिया है. बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मंत्री ने कहा कि ग्रामीण कार्य विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए कुछ बदलाव किए गए हैं .ग्रामीण कार्य विभाग में पहले जो काम हुए हैं उस पर कुछ सवाल उठ रहे थे. मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार करप्शन बर्दास्त नहीं करेगी.
"अररिया में जो पुल गिरा था, उसका वीडियो काफी वायरल हुआ था. इस मामले में जो संबंधित पदाधिकारी निलंबित किया गया था. आईआईटी और एनआईटी के तकनीकी विशेषज्ञों से इसकी जांच कराई गई थी. जांच में निर्माण कार्य में गुणवत्ता की कमी बात सामने आई थी. लेकिन जांच में स्पष्टता नहीं थी, इसलिए मंत्रिमंडल निगरानी विभाग से जांच कराने का निर्णय लिया है."- अशोक चौधरी, ग्रामीण कार्य मंत्री बिहार सरकार
जांच में पारदर्शिता रहेगीः मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि 10 से 15 साल बाद मंत्रिमंडल निगरानी विभाग से विभाग गड़बड़ी की जांच करा रहा है. पारदर्शिता को दिखाने के लिए यह जांच मंत्रिमंडल निगरानी विभाग से कराई जा रही है. अशोक चौधरी ने कहा ग्रामीण विभाग कार्य में निर्माण में केंद्र राज्य का अंश अब केंद्रीय स्तर पर तय मानक के अनुसार होगा. पहले यह नहीं होता था. राज्य सरकार को पहले राशि ज्यादा देनी पड़ती थी.
100 फीसदी ऑनलाइन टेंडरः ग्रामीण कार्य विभाग में टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण रूप से ऑनलाइन होगी. पहले 70 % ऑनलाइन होता था 30 परसेंट ऑफलाइन टेंडर होता था. विभाग को कार्य करने में ऑफलाइन टेंडर में काफी दिक्कत होती थी. कार्य में तेजी लाने के लिए यह नियम खत्म कर दिया गया. 100% टेंडर अब ऑनलाइन होंगे. ग्रामीण कार्य विभाग अपने बनाए गयी सड़क को 5 साल तक निर्माण कंपनी द्वारा रखाव करायेगी. इसकी निगरानी के लिए ड्रोन से लेकर आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाएगा.