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विदिशा के 20 गांवों में स्कूल भवन ही नहीं, बारिश हो या गर्मी खुले आसमान के नीचे लगती हैं कक्षाएं - Vidisha many school no building

देश की आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी आज भी कई गांवों में स्कूल खुले में लगते हैं, चाहे बारिश हो या गर्मी. विदिशा जिले के लटेरी क्षेत्र में 20 से ज्यादा गांव ऐसे हैं, जहां स्कूल भवन नहीं हैं. देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट...

VIDISHA MANY SCHOOL NO BUILDING
विदिशा के गांवों में खुले में लगते हैं स्कूल (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 5, 2024, 1:53 PM IST

Updated : Jul 5, 2024, 8:19 PM IST

लटेरी (विदिशा)। विदिशा जिले के लटेरी में नौनिहालों के हाल बेहाल है. लटेरी विकासखंड क्षेत्र में 20 से अधिक शालाएं भवनविहीन हैं. इन शालाओं में 35 शिक्षक खुले आसमान के नीचे लगभग 550 नौनिहालों को पढ़ाते हैं. बता दें कि विदिशा संसदीय क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सांसद हैं. वह इससे पहले भी विदिशा से सांसद रह चुके हैं. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान साढ़े 18 साल तक मुख्यमंत्री भी रहे. लेकिन विदिशा जिले के गांवों के स्कूलों की हालत में कोई सुधार नहीं आया. इस मामले में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र सिंह बघेल का कहना है "कई स्कूल भवनविहीन हैं. यहां भवन के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं."

विदिशा जिले के 20 गांवों में स्कूल भवन ही नहीं (ETV BHARAT)

कई गांवों में स्कूल भवन का नाम नहीं

खुले आसमान के नीचे बैठेकर पढ़ाई कर रहे नौनिहाल कोई कलेक्टर तो कोई इंजीनियर तो कोई डॉक्टर बनने का सपना देखता है. इन बच्चों के पैरेंट्स भी उम्मीद लगाकर बैठे हैं कि बच्चे उनका और उनके गांव का नाम रोशन करेंगे. लेकिन हालात उन्हें आगे बढ़ने से रोक रहे हैं. ये वे शालाएं है और वे गांव हैं जहां स्कूल के नाम से आज तक एक ईंट भी नहीं लगाई गई. नौनिहाल किसी दहलान, चबूतरा या पेड़ और मंदिर परिसरों सहित सामुदायिक भवनों में बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं.

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पेड़ के नीचे या खुले में लगते हैं स्कूल

लटेरी की ग्राम कंचनपुर की प्राथमिक शाला दहलान में संचालित की जाती है जहां दो महिला शिक्षक तैनात हैं, जबकि स्कूल में कुल 14 बच्चे दर्ज हैं. इसी तरह ग्राम मोरी की प्राथमिक शाला में 19 बच्चे दर्ज हैं. जहां दो शिक्षकों को पदस्थ किया गया है. शाला मंदिर परिसर में लगे पेड़ के नीचे संचालित की जाती है. इसी तरह लटेरी के मदनपुर में खपरैल वाले एक कमरे में शाला संचालित की जाती है. वहीं वास्तु में ग्रामीण की प्रधानमंत्री आवास में शाला संचालित की जाती है. इसी तरह शहर खेड़ा संकुल के सपेरा टपरा में पेड़ के नीचे चबूतरे पर शाला संचालित की जाती है. इस मामले को लेकर जिम्मेदारों के अपने तर्क व बहाने हैं.

Last Updated : Jul 5, 2024, 8:19 PM IST

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