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कलश स्थापना के 6 कमाल उपाय, दिशा, जल और जगह का वास्तु देगा सुख समृद्धि - Navratri Kalash Vastu Tips

नवरात्रि के दिनों में घर में सुख, शांति और समृद्धि के लिए कलश स्थापना की जाती है. ऐसे में वास्तु शास्त्र के मुताबिक कलश बिठान श्रेष्ठ माना जाता है. जानें ऐसे 6 उपाय जिससे घर से बुरी शक्तियां दूर होंगी.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

NAVRATRI KALASH VASTU
कलश स्थापना से बुरी शक्तियों को करें दूर (Etv Bharat)

Vastu Dosh Remedies : कलश स्थापना और वास्तु शास्त्र दोनों ही हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग हैं. धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा में कलश की स्थापना की जाती है. जबकि वास्तु शास्त्र का उपयोग घर और स्थान की सकारात्मक ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए होता है. इन दोनों के बीच संबंध का मुख्य उद्देश्य सकारात्मक शांति और समृद्धि प्राप्त करना है. वास्तु शास्त्र के अनुसार कलश स्थापना घर या पूजा स्थल पर सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम है. जल से भरा हुआ कलश, जिस पर पत्ते और नारियल रखे जाते हैं, एक ऊर्जा का केंद्र बन जाता है. यह घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ावा देता है और बुरी शक्तियों को दूर करता है.

Vastu Shastra and Kalash Sthapna
कलश स्थापना और वास्तु शास्त्र (Etv Bharat)

कलश स्थापना की दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा का स्थान या मंदिर हमेशा उत्तर पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में होना चाहिए. कलश स्थापना भी इसी दिशा में करने से घर में सुख शांति और समृद्धि का वातावरण बना रहता है. उत्तर पूर्व दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है और इस स्थान को बेहद पवित्र माना गया है.

जल तत्व और वास्तु शास्त्र

वास्तु शास्त्र में जल तत्व का विशेष महत्व है. कलश में रखा जल जीवन और उर्वरता का प्रतीक है. कलश को उत्तर पूर्व दिशा में स्थापित करने से जल तत्व की ऊर्जा जागृत हो जाती है, जो मानसिक शांति स्वस्थ जीवन और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है. कलश स्थापना करके हम देवी देवताओं का आवाहन करते हैं. वास्तु शास्त्र में माना जाता है कि घर में देवी देवताओं की उपस्थिति सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाती है. कलश के माध्यम से देवी देवताओं का आवाहन करने पर घर की बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से हम अपने आप को बचा लेते हैं. देवताओं का परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है.

देखें वीडियो (Etv Bharat)

कलश संतुलन और स्थिरता का प्रतीक

वास्तु शास्त्र के अनुसार कलश को सही स्थान पर रखने से घर में उन्नति और समृद्धि आती है. वास्तु के नियमों का पालन करते हुए कलश की स्थापना की जाती है, तो पूरे घर के लिए सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बनता है. कलश का आकार, उसमें रखा जल, पत्ते और नारियल वास्तु शास्त्र के अनुसार संतुलन और स्थिरता का प्रतीक होते हैं. यह ब्रह्मांड तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का संतुलन बनाने में मदद करते हैं जो वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य सिद्धांत हैं.

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घर पर पड़ी इन पौधों की छाया तो नहीं टिकेगा पैसा, एक बार करें ये आसान उपाय, पैसों को अलमारी से निकलने से बचाएं

कलश स्थापना के लिए जगह का चयन

वास्तु शास्त्र के अनुसार कलश स्थापना में सबसे पहले दिशा का ध्यान रखना चाहिए. कलश को हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए. यदि यह संभव नहीं है, तो पूर्व या उत्तर दिशा में उपयुक्त माना जाता है. कलश को पूजा घर या मुख्य हॉल में स्थापित करना उचित होता है. इस हिसाब से इसे पवित्र स्थान पर रखना चाहिए, जहां नियमित पूजा हो सके.

कलश स्थापना मुहूर्त और सजावट

कलश स्थापना में शुभ मुहूर्त और उसका समय का पालन करना चाहिए. नवरात्रि, गणेश चतुर्थी और दीपावली जैसे त्योहारों पर कलश स्थापना फलदाई मानी गई है. वास्तु शास्त्र के अनुसार कलश की सजावट भी महत्वपूर्ण होती है. कलश में शुद्ध जल, सुपारी, पत्ते, नारियल और सिक्के रखना अनिवार्य है. ये सब समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक हैं.

कलश स्थापना से दूर करें वास्तु दोष

घर में कई वास्तु दोष कलश स्थापना से दूर किए जा सकते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में कलश स्थापना करने से घर में सुख, शांति और धन की प्राप्ति होती है. खासकर पूजा के समय पर कलश और देवी का स्वरूप मानकर पूजा करने से सभी प्रकार के वास्तु दोष शांत होते हैं.

Vastu Dosh Remedies : कलश स्थापना और वास्तु शास्त्र दोनों ही हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग हैं. धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा में कलश की स्थापना की जाती है. जबकि वास्तु शास्त्र का उपयोग घर और स्थान की सकारात्मक ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए होता है. इन दोनों के बीच संबंध का मुख्य उद्देश्य सकारात्मक शांति और समृद्धि प्राप्त करना है. वास्तु शास्त्र के अनुसार कलश स्थापना घर या पूजा स्थल पर सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम है. जल से भरा हुआ कलश, जिस पर पत्ते और नारियल रखे जाते हैं, एक ऊर्जा का केंद्र बन जाता है. यह घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ावा देता है और बुरी शक्तियों को दूर करता है.

Vastu Shastra and Kalash Sthapna
कलश स्थापना और वास्तु शास्त्र (Etv Bharat)

कलश स्थापना की दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा का स्थान या मंदिर हमेशा उत्तर पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में होना चाहिए. कलश स्थापना भी इसी दिशा में करने से घर में सुख शांति और समृद्धि का वातावरण बना रहता है. उत्तर पूर्व दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है और इस स्थान को बेहद पवित्र माना गया है.

जल तत्व और वास्तु शास्त्र

वास्तु शास्त्र में जल तत्व का विशेष महत्व है. कलश में रखा जल जीवन और उर्वरता का प्रतीक है. कलश को उत्तर पूर्व दिशा में स्थापित करने से जल तत्व की ऊर्जा जागृत हो जाती है, जो मानसिक शांति स्वस्थ जीवन और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है. कलश स्थापना करके हम देवी देवताओं का आवाहन करते हैं. वास्तु शास्त्र में माना जाता है कि घर में देवी देवताओं की उपस्थिति सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाती है. कलश के माध्यम से देवी देवताओं का आवाहन करने पर घर की बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से हम अपने आप को बचा लेते हैं. देवताओं का परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है.

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कलश संतुलन और स्थिरता का प्रतीक

वास्तु शास्त्र के अनुसार कलश को सही स्थान पर रखने से घर में उन्नति और समृद्धि आती है. वास्तु के नियमों का पालन करते हुए कलश की स्थापना की जाती है, तो पूरे घर के लिए सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बनता है. कलश का आकार, उसमें रखा जल, पत्ते और नारियल वास्तु शास्त्र के अनुसार संतुलन और स्थिरता का प्रतीक होते हैं. यह ब्रह्मांड तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का संतुलन बनाने में मदद करते हैं जो वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य सिद्धांत हैं.

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कलश स्थापना के लिए जगह का चयन

वास्तु शास्त्र के अनुसार कलश स्थापना में सबसे पहले दिशा का ध्यान रखना चाहिए. कलश को हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए. यदि यह संभव नहीं है, तो पूर्व या उत्तर दिशा में उपयुक्त माना जाता है. कलश को पूजा घर या मुख्य हॉल में स्थापित करना उचित होता है. इस हिसाब से इसे पवित्र स्थान पर रखना चाहिए, जहां नियमित पूजा हो सके.

कलश स्थापना मुहूर्त और सजावट

कलश स्थापना में शुभ मुहूर्त और उसका समय का पालन करना चाहिए. नवरात्रि, गणेश चतुर्थी और दीपावली जैसे त्योहारों पर कलश स्थापना फलदाई मानी गई है. वास्तु शास्त्र के अनुसार कलश की सजावट भी महत्वपूर्ण होती है. कलश में शुद्ध जल, सुपारी, पत्ते, नारियल और सिक्के रखना अनिवार्य है. ये सब समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक हैं.

कलश स्थापना से दूर करें वास्तु दोष

घर में कई वास्तु दोष कलश स्थापना से दूर किए जा सकते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में कलश स्थापना करने से घर में सुख, शांति और धन की प्राप्ति होती है. खासकर पूजा के समय पर कलश और देवी का स्वरूप मानकर पूजा करने से सभी प्रकार के वास्तु दोष शांत होते हैं.

Last Updated : 1 hours ago
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