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गेंहू को टक्कर देने आ गया अमेरिकन सुपर फूड! एमपी में किनोवा की 'हाईटेक' खेती कर रही मालामाल - JABALPUR FARMER FARMING QUINOA

अमेरिकी किनोवा की मध्य प्रदेश में खेती पॉसिबल है. जबलपुर के किसान ने अपने खेत में किनोवा का सफल उत्पादन किया है.

jabalpur farmer farming quinoa
मध्य प्रदेश में किनोवा की खेती (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 1, 2025, 1:04 PM IST

Updated : Feb 1, 2025, 2:12 PM IST

जबलपुर (विश्वजीत सिंह): जबलपुर के भरतरी गांव के प्रगतिशील किसान दुर्गेश पटेल ने अमेरिका में पैदा होने वाले किनोवा नाम के बीज की फसल लगाई है. किनोवा मिलेट्स श्रेणी का अन्न है. जानकार बताते हैं कि, इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, मिनरल और फाइबर पाए जाते हैं. यह गेहूं की वजह से होने वाली परेशानियों से भी छुटकारा दिलाता है. दुर्गेश पटेल का दावा है कि यह कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है.

भारत में चावल, गेहूं और मक्का भोजन का स्रोत
पूरी दुनिया में लगभग 80 हजार प्रजाति के पौधे पाए जाते हैं. इनमें से मात्र 30 हजार खाने योग्य हैं. लगभग 7000 किस्म के बीजों का इस्तेमाल मनुष्य अपने उपयोग के लिए उगाता है और इनमें से मात्र 150 बीज ऐसे हैं जिनकी फसल पैदा की जाती है. इनमें से मात्र तीन खाद्यान्न ऐसे हैं जो पूरी दुनिया में 90% भोजन का स्रोत हैं. जिन्हें हम चावल, गेहूं और मक्का के नाम से जानते हैं.

जबलपुर के किसान ने खेत में किनोवा का सफल उत्पादन किया (ETV Bharat)

अमेरिकी पर्वतमाला से निकला पौधा है किनोवा
जलवायु परिवर्तन की वजह से पूरी दुनिया को इस बात का डर रहता है कि केवल गेहूं, मक्का और चावल पर हमारी निर्भरता कभी भी दुनिया में खाने का संकट खड़ा कर सकती है. इसलिए पूरी दुनिया में भोजन के नए स्रोतों की तलाश की जा रही है. इसी के तहत 2013 को अंतर्राष्ट्रीय किनोवा ईयर के रूप में मनाया गया था. किनोवा उत्तरी अमेरिका के इंडीज पर्वतमाला से निकला एक पौधा है. लेकिन यह भारत के वातावरण में भी भरपूर मात्रा में ऊग जाता है. भारत में हम इसे बथुआ के नाम से जानते हैं. हमारे यहां लोग इसे भाजी या हरे साग के रूप में इस्तेमाल करते हैं.

JABALPUR QUINOA farming
अमेरिकी किनोवा की मध्य प्रदेश में खेती पॉसिबल (ETV Bharat)

फायदे का सौदा साबित हो रही किनोवा की खेती
जबलपुर के भरतरी गांव के प्रगतिशील किसान दुर्गेश पटेल ने किनोवा की खेती शुरू की है. उन्होंने पहले ही साल इसे लगभग 65 एकड़ जगह में बोया है. दुर्गेश पटेल का कहना है कि, ''उन्हें पूरा भरोसा है कि यह उनके लिए फायदे का सौदा होगा.'' अभी तक के अनुभव के बारे में दुर्गेश का कहना है कि, ''उन्हें मात्र एक बार पानी देना पड़ा है. खाद के रूप में उन्होंने अभी तक कुछ भी इस्तेमाल नहीं किया है, फिर भी फसल पूरी तरह स्वस्थ है.''

Benefits of Quinoa Seeds
किनोवा मिलेट्स श्रेणी का अन्न है (ETV Bharat)

दुर्गेश का कहना है कि, ''इसका उत्पादन प्रति एकड़ 15 से 18 क्विंटल होता है. पिछले साल इसके दाम ₹8000 प्रति क्विंटल तक मंडी में बिके थे. ऐसी स्थिति में यह एक बेहद मुनाफा देने वाली फसल है.''

American super food quinoa crop
किनोवा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, मिनरल और फाइबर पाए जाते हैं (ETV Bharat)

किनोवा से बीमारियों को ठीक करने का दावा
ऑनलाइन किनोवा ₹200 से लेकर ₹300 किलो तक बिक रहा है. डाइटिशियन रितुल राजपूत का कहना है कि, ''किनोवा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर और मिनरल से भरपूर खाद्यान्न है. इसमें ग्लूटेन नहीं होता, इसलिए गेहूं की वजह से जो बीमारियां होती हैं उन्हें इसके भोजन से ठीक किया जा सकता है.''

मिलेट्स पर भारत में प्रयोग जारी
मिलेट्स को लेकर भारत में लगातार प्रयोग चल रहे हैं और जिस तेजी से इस विषय में काम हो रहा है. उसमें लगता है कि किसानों के पास जल्द ही गेहूं, धान और मक्के जैसी परंपरागत फसलों के अलावा कुछ ऐसी फैसले भी होगी जो आर्थिक रूप से भी किसानों के लिए फायदेमंद होगी. जिससे समाज को भी बेहतर भोजन मिल सकेगा. दुर्गेश पटेल का प्रयोग कितना सफल रहता है यह उत्पादन पर निर्भर करेगा.

जबलपुर (विश्वजीत सिंह): जबलपुर के भरतरी गांव के प्रगतिशील किसान दुर्गेश पटेल ने अमेरिका में पैदा होने वाले किनोवा नाम के बीज की फसल लगाई है. किनोवा मिलेट्स श्रेणी का अन्न है. जानकार बताते हैं कि, इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, मिनरल और फाइबर पाए जाते हैं. यह गेहूं की वजह से होने वाली परेशानियों से भी छुटकारा दिलाता है. दुर्गेश पटेल का दावा है कि यह कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है.

भारत में चावल, गेहूं और मक्का भोजन का स्रोत
पूरी दुनिया में लगभग 80 हजार प्रजाति के पौधे पाए जाते हैं. इनमें से मात्र 30 हजार खाने योग्य हैं. लगभग 7000 किस्म के बीजों का इस्तेमाल मनुष्य अपने उपयोग के लिए उगाता है और इनमें से मात्र 150 बीज ऐसे हैं जिनकी फसल पैदा की जाती है. इनमें से मात्र तीन खाद्यान्न ऐसे हैं जो पूरी दुनिया में 90% भोजन का स्रोत हैं. जिन्हें हम चावल, गेहूं और मक्का के नाम से जानते हैं.

जबलपुर के किसान ने खेत में किनोवा का सफल उत्पादन किया (ETV Bharat)

अमेरिकी पर्वतमाला से निकला पौधा है किनोवा
जलवायु परिवर्तन की वजह से पूरी दुनिया को इस बात का डर रहता है कि केवल गेहूं, मक्का और चावल पर हमारी निर्भरता कभी भी दुनिया में खाने का संकट खड़ा कर सकती है. इसलिए पूरी दुनिया में भोजन के नए स्रोतों की तलाश की जा रही है. इसी के तहत 2013 को अंतर्राष्ट्रीय किनोवा ईयर के रूप में मनाया गया था. किनोवा उत्तरी अमेरिका के इंडीज पर्वतमाला से निकला एक पौधा है. लेकिन यह भारत के वातावरण में भी भरपूर मात्रा में ऊग जाता है. भारत में हम इसे बथुआ के नाम से जानते हैं. हमारे यहां लोग इसे भाजी या हरे साग के रूप में इस्तेमाल करते हैं.

JABALPUR QUINOA farming
अमेरिकी किनोवा की मध्य प्रदेश में खेती पॉसिबल (ETV Bharat)

फायदे का सौदा साबित हो रही किनोवा की खेती
जबलपुर के भरतरी गांव के प्रगतिशील किसान दुर्गेश पटेल ने किनोवा की खेती शुरू की है. उन्होंने पहले ही साल इसे लगभग 65 एकड़ जगह में बोया है. दुर्गेश पटेल का कहना है कि, ''उन्हें पूरा भरोसा है कि यह उनके लिए फायदे का सौदा होगा.'' अभी तक के अनुभव के बारे में दुर्गेश का कहना है कि, ''उन्हें मात्र एक बार पानी देना पड़ा है. खाद के रूप में उन्होंने अभी तक कुछ भी इस्तेमाल नहीं किया है, फिर भी फसल पूरी तरह स्वस्थ है.''

Benefits of Quinoa Seeds
किनोवा मिलेट्स श्रेणी का अन्न है (ETV Bharat)

दुर्गेश का कहना है कि, ''इसका उत्पादन प्रति एकड़ 15 से 18 क्विंटल होता है. पिछले साल इसके दाम ₹8000 प्रति क्विंटल तक मंडी में बिके थे. ऐसी स्थिति में यह एक बेहद मुनाफा देने वाली फसल है.''

American super food quinoa crop
किनोवा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, मिनरल और फाइबर पाए जाते हैं (ETV Bharat)

किनोवा से बीमारियों को ठीक करने का दावा
ऑनलाइन किनोवा ₹200 से लेकर ₹300 किलो तक बिक रहा है. डाइटिशियन रितुल राजपूत का कहना है कि, ''किनोवा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर और मिनरल से भरपूर खाद्यान्न है. इसमें ग्लूटेन नहीं होता, इसलिए गेहूं की वजह से जो बीमारियां होती हैं उन्हें इसके भोजन से ठीक किया जा सकता है.''

मिलेट्स पर भारत में प्रयोग जारी
मिलेट्स को लेकर भारत में लगातार प्रयोग चल रहे हैं और जिस तेजी से इस विषय में काम हो रहा है. उसमें लगता है कि किसानों के पास जल्द ही गेहूं, धान और मक्के जैसी परंपरागत फसलों के अलावा कुछ ऐसी फैसले भी होगी जो आर्थिक रूप से भी किसानों के लिए फायदेमंद होगी. जिससे समाज को भी बेहतर भोजन मिल सकेगा. दुर्गेश पटेल का प्रयोग कितना सफल रहता है यह उत्पादन पर निर्भर करेगा.

Last Updated : Feb 1, 2025, 2:12 PM IST
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