जोधपुर: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि देश में कुछ समय पहले तक हमारे युवाओं के लिए निराशा का माहौल था. क्योंकि कुछ ऐसे लोग थे, जो जिन्हें असफलता और नारात्मकता का ही भान रहता था. उनके लिए सकारात्मक दृष्टिकोण रखना बेहद मुश्किल होता था. लेकिन हमें अपने लोगों की प्रतिभा को कभी कम नहीं आंकना चाहिए. उपराष्ट्रपति ने यह बात शनिवार को आईआईटी के 10वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम अब मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है. यह एक सामाजिक संस्कृति बन गई है, जो पूरे देश में फैल रही है. देश में 110 यूनिकॉर्न हैं. मैं चाहता हूं कि अगला जोधपुर से हो, जो आईआईटी से संबंध हो उसे हम इंडीकॉर्न के नाम से जानें. जिससे भारत की स्टार्टअप की दुनिया में अपनी छाप बने.
उन्होंने कहा कि ऐसे दर्जनों देश हैं जो इंजीनियरिंग में उत्कृष्ट हैं, लेकिन इन विषयों को विदेशी भाषा में नहीं पढ़ाते हैं. जापान, जर्मनी, चीन और कई अन्य देश जो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे आगे हैं, वे विदेशी भाषा का सहारा नहीं लेते हैं. यह जानकर खुशी हुई कि आईआईटी जोधपुर राष्ट्रीय स्तर पर पहला संस्थान है, जहां इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में अपनी मातृभाषा में पाठ्यक्रम लिया जा सकता है. मेरा दृढ़ विश्वास है कि विज्ञान, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग या किसी अन्य विषय को सीखने में विदेशी भाषा एक बाधा नहीं होनी चाहिए. कणाद, सुश्रुत, आर्यभट्ट, भास्कर, चरक, पतंजलि और ब्रह्मगुप्त ने संस्कृत में शानदार और स्थायी खोजें कीं.