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राजस्थान के हर व्यक्ति पर है 80 हजार रुपए का लोन! तेजी से बढ़ रहा ये आंकड़ा - DEBT ON RAJASTHAN

राजस्थान पर 6 लाख 40 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. अगर यह आंकड़ा ज्यादा बढ़ता है तो चिंता का कारण बन सकता है.

राजस्थान पर कर्ज
राजस्थान पर कर्ज (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 5, 2025, 11:01 AM IST

जयपुर : राजस्थान की भजनलाल सरकार विधानसभा में बजट पेश करने की तैयारी कर रही है. बजट में हर वर्ग को सरकार से उम्मीद है. इस बीच कर्ज का बढ़ता बोझ और राजस्व में कमी सरकार की चिंता बढ़ा सकती है. पिछले साल सरकार ने जो बजट पेश किया था, उसके बाद से अब तक कर्ज का आंकड़ा बढ़कर 6 लाख 40 हजार करोड़ रुपए हो गया है. देश में कर्ज लेने के मामले में टॉप-10 राज्यों में राजस्थान शुमार है और इस लिहाज से प्रदेश का सातवां स्थान है. वहीं, चालू वित्तीय वर्ष में राजस्व जुटाने की रफ्तार भी धीमी रही है. ऐसे में इस साल के बजट में कर्ज का यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना है. आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि अभी जीडीपी का करीब 39 फीसदी लोन है, जो कर्जे की तय सीमा के आसपास है. ऐसे में अगर कर्ज का आंकड़ा बढ़ता है तो यह चिंता बढ़ाने वाला हो सकता है.

रेवेन्यू कलेक्शन का 14 फीसदी ब्याज दे रहे : आर्थिक मामलों के जानकर और सीए पंकज घीया का कहना है राजस्थान पर वर्तमान में 6 लाख 40 हजार करोड़ रुपए का कर्जा है. ग्रोस रेवेन्यू कलेक्शन का करीब 14 फीसदी ब्याज में जाता है. प्रदेश की जनसंख्या के हिसाब से देखें तो हर व्यक्ति पर 80 हजार रुपए का कर्जा है. राजस्थान के वित्त विभाग के आंकड़े यह बताते हैं. उनका कहना है कि प्रदेश की जीडीपी के अनुपात में देखें तो जीडीपी का 39 फीसदी लोन से लिंक है. यह काफी बड़ा हिस्सा है. कर्ज लेने के लिहाज से राजस्थान का देश में सातवां स्थान है.

कर्ज लेने में देश के टॉप-10 प्रदेशों में राजस्थान (ETV Bharat Jaipur)

पढे़ं. माइनिंग सेक्टर में भजनलाल सरकार की बड़ी छलांग, 303 माइनर मिनरल ब्लॉक की नीलामी

तरक्की के लिए जरूरी कर्ज, समझदारी जरूरी : उन्होंने कहा कि कर्जा लेना बुरा नहीं होता है, क्योंकि लोन से तरक्की होती है. इंफ्रास्ट्रक्चर के नवनिर्माण के लिए भी कर्जा बहुत जरूरी है. कर्ज की राशि का सही तरीके से उपयोग भी बहुत जरूरी है, ताकि उसका पुनर्भुगतान भी होता जाए. अभी रेवेन्यू कलेक्शन का 14 फीसदी ब्याज दिया जा रहा है. अगर यह राशि बढ़ती है और 18-19 फीसदी तक पहुंच जाती है तो निश्चित रूप से चिंता की बात होगी.

ज्यादा ब्याज देंगे तो रुकेगा विकास : पंकज घीया का कहना है अगर लोन बढ़ता है तो ब्याज भुगतान की राशि भी बढ़ेगी. अगर हम 1 रुपए का कलेक्शन करते हैं और 15 से 19 पैसे अगर ब्याज में देंगे तो हमारा आधारभूत विकास रुकने लगेगा. केंद्र सरकार ने एक लिमिट तय कर रखी है. राज्य सरकार उससे ज्यादा लोन नहीं ले सकती है. यह आंकड़ा राज्य के कलेक्शन और अन्य कई पैरामीटर के आधार पर तय होता है.

राजस्थान पर कर्ज
GDP का 39 फीसदी है राज्य पर लोन (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. राजस्थान का खनन में कीर्तिमान, मेजर मिनरल ब्लॉक के ऑक्शन में टॉप मुकाम

तय सीमा के मुहाने पर खड़ा है राजस्थान : उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कई मापदंडों के आधार पर कर्ज लेने की जो लिमिट तय कर रखी है. आज हम उस लिमिट के बहुत करीब हैं. ज्यादा लोन लेने की हमारी कैपेसिटी नहीं है. अगर हम और ज्यादा लोन लेते हैं तो केंद्र सरकार ओडी लिमिट फ्रीज कर सकती है. अगर हमारी ओडी लिमिट फ्रीज हो जाती है तो प्रदेश में ढांचागत विकास को नुकसान होने की संभावना रहती है.

भाजपा सरकार ने लिया सबसे ज्यादा कर्जा : नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का कहना है कि कोई भी बजट आता है तो उसका मैनेजमेंट रहता है. कर्जा हर सरकार लेती है. जब हमारी सरकार ने कर्जा लिया था, तब इन्होंने बड़ी-बड़ी बातें की थी. आज ये इतना कर्जा ले रहे हैं, जो आज तक नहीं लिया गया है. पीएम मोदी ने तो दस साल में इतना कर्जा ले लिया, जितना पूरे 65 साल में नहीं लिया गया था. आप आम जनता से टैक्स वसूल कर रहे हो, कर्जा ले रहे हो. उसका फायदा कुछ चुनिंदा लोगों को पहुंच रहा है, तो फिर सरकार घाटे में जाएगी ही.

जयपुर : राजस्थान की भजनलाल सरकार विधानसभा में बजट पेश करने की तैयारी कर रही है. बजट में हर वर्ग को सरकार से उम्मीद है. इस बीच कर्ज का बढ़ता बोझ और राजस्व में कमी सरकार की चिंता बढ़ा सकती है. पिछले साल सरकार ने जो बजट पेश किया था, उसके बाद से अब तक कर्ज का आंकड़ा बढ़कर 6 लाख 40 हजार करोड़ रुपए हो गया है. देश में कर्ज लेने के मामले में टॉप-10 राज्यों में राजस्थान शुमार है और इस लिहाज से प्रदेश का सातवां स्थान है. वहीं, चालू वित्तीय वर्ष में राजस्व जुटाने की रफ्तार भी धीमी रही है. ऐसे में इस साल के बजट में कर्ज का यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना है. आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि अभी जीडीपी का करीब 39 फीसदी लोन है, जो कर्जे की तय सीमा के आसपास है. ऐसे में अगर कर्ज का आंकड़ा बढ़ता है तो यह चिंता बढ़ाने वाला हो सकता है.

रेवेन्यू कलेक्शन का 14 फीसदी ब्याज दे रहे : आर्थिक मामलों के जानकर और सीए पंकज घीया का कहना है राजस्थान पर वर्तमान में 6 लाख 40 हजार करोड़ रुपए का कर्जा है. ग्रोस रेवेन्यू कलेक्शन का करीब 14 फीसदी ब्याज में जाता है. प्रदेश की जनसंख्या के हिसाब से देखें तो हर व्यक्ति पर 80 हजार रुपए का कर्जा है. राजस्थान के वित्त विभाग के आंकड़े यह बताते हैं. उनका कहना है कि प्रदेश की जीडीपी के अनुपात में देखें तो जीडीपी का 39 फीसदी लोन से लिंक है. यह काफी बड़ा हिस्सा है. कर्ज लेने के लिहाज से राजस्थान का देश में सातवां स्थान है.

कर्ज लेने में देश के टॉप-10 प्रदेशों में राजस्थान (ETV Bharat Jaipur)

पढे़ं. माइनिंग सेक्टर में भजनलाल सरकार की बड़ी छलांग, 303 माइनर मिनरल ब्लॉक की नीलामी

तरक्की के लिए जरूरी कर्ज, समझदारी जरूरी : उन्होंने कहा कि कर्जा लेना बुरा नहीं होता है, क्योंकि लोन से तरक्की होती है. इंफ्रास्ट्रक्चर के नवनिर्माण के लिए भी कर्जा बहुत जरूरी है. कर्ज की राशि का सही तरीके से उपयोग भी बहुत जरूरी है, ताकि उसका पुनर्भुगतान भी होता जाए. अभी रेवेन्यू कलेक्शन का 14 फीसदी ब्याज दिया जा रहा है. अगर यह राशि बढ़ती है और 18-19 फीसदी तक पहुंच जाती है तो निश्चित रूप से चिंता की बात होगी.

ज्यादा ब्याज देंगे तो रुकेगा विकास : पंकज घीया का कहना है अगर लोन बढ़ता है तो ब्याज भुगतान की राशि भी बढ़ेगी. अगर हम 1 रुपए का कलेक्शन करते हैं और 15 से 19 पैसे अगर ब्याज में देंगे तो हमारा आधारभूत विकास रुकने लगेगा. केंद्र सरकार ने एक लिमिट तय कर रखी है. राज्य सरकार उससे ज्यादा लोन नहीं ले सकती है. यह आंकड़ा राज्य के कलेक्शन और अन्य कई पैरामीटर के आधार पर तय होता है.

राजस्थान पर कर्ज
GDP का 39 फीसदी है राज्य पर लोन (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. राजस्थान का खनन में कीर्तिमान, मेजर मिनरल ब्लॉक के ऑक्शन में टॉप मुकाम

तय सीमा के मुहाने पर खड़ा है राजस्थान : उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कई मापदंडों के आधार पर कर्ज लेने की जो लिमिट तय कर रखी है. आज हम उस लिमिट के बहुत करीब हैं. ज्यादा लोन लेने की हमारी कैपेसिटी नहीं है. अगर हम और ज्यादा लोन लेते हैं तो केंद्र सरकार ओडी लिमिट फ्रीज कर सकती है. अगर हमारी ओडी लिमिट फ्रीज हो जाती है तो प्रदेश में ढांचागत विकास को नुकसान होने की संभावना रहती है.

भाजपा सरकार ने लिया सबसे ज्यादा कर्जा : नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का कहना है कि कोई भी बजट आता है तो उसका मैनेजमेंट रहता है. कर्जा हर सरकार लेती है. जब हमारी सरकार ने कर्जा लिया था, तब इन्होंने बड़ी-बड़ी बातें की थी. आज ये इतना कर्जा ले रहे हैं, जो आज तक नहीं लिया गया है. पीएम मोदी ने तो दस साल में इतना कर्जा ले लिया, जितना पूरे 65 साल में नहीं लिया गया था. आप आम जनता से टैक्स वसूल कर रहे हो, कर्जा ले रहे हो. उसका फायदा कुछ चुनिंदा लोगों को पहुंच रहा है, तो फिर सरकार घाटे में जाएगी ही.

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