वाराणसी :भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में परंपराओं को लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर और पूर्व महंत परिवार के आपसी विवाद से हरियाली शृंगार और झूला शृंगार की परंपरा पर ब्रेक लग गया है. इसको लेकर सोमवार को दिनभर कई घटनाक्रम हुए. इस दौरान दिवंगत महंत डॉ. कुलपति तिवारी की दृष्टिबाधित पत्नी मोहिनी देवी अनशन पर बैठ गईं. वहीं डॉ. कुलपति तिवारी के पुत्र पंडित वाचस्पति तिवारी ने पुलिस द्वारा पालकी शोभा यात्रा रोकने के नोटिस के चलते महंत आवास टेढ़ीनीम पर ही सांकेतिक झुलनोत्सव कर परंपरा का निर्वाह किया.
दरअसल शोभा यात्रा के माध्यम से रजत प्रतिमा महंत आवास से मंदिर तक ले जाने की परंपरा है. इस बार महंत परिवार के दो भाइयों के बीच चल रहे कोर्ट केस की वजह से मंदिर प्रशासन ने खुद ही परंपरा का निर्वहन करने की घोषणा की है. इसके बावजूद महंत परिवार के वाचस्पति तिवारी ने खुद परंपरा निर्वहन की जिद ठान ली है. इसके बाद मंदिर प्रशासन के आपत्ति के बाद महंत आवास के बाहर फोर्स की तैनाती कर दी गई है. इसके अलावा कई अधिकारियों ने भी महंत आवास के बाहर डेरा जमा लिया है. संबंधित थानेदार की तरफ से नोटिस जारी कर महंत परिवार से शोभायात्रा और प्रतिमा बाहर न निकलने की अपील की गई.
जिला प्रशासन और काशी विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन की कार्रवाई से नाराज दिवंगत महंत डॉ. कुलपति तिवारी की पत्नी मोहिनी देवी सोमवार को अनशन पर बैठ गईं. परिवार के सदस्य उन्हें पूरे दिन समझाते रहे, लेकिन उन्होंने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया. इस बात की जानकारी एसीपी दशाश्वमेध प्रज्ञा पाठक को हुई तो वह सायंकाल करीब साढ़े पांच बजे महंत आवास पहुंचीं. उन्होंने मोहिनी देवी को समझाने का प्रयास किया. इस दौरान मोहिनी देवी ने डॉ. कुलपति तिवारी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भेजे गए शोक संवेदना पत्र दिखाते हुए एसीपी से कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री जी कहते हैं मेरे पति को विश्वनाथ मंदिर की परंपराओं का संवाहक बताते हैं और दूसरी तरफ वाराणसी के जिला प्रशासन ने हमारे परिवार की परंपरा पर कब्जा कर लिया. यह दोहरी नीति दिखा कर आखिर वर्तमान सरकार क्या साबित करना चाहती है. एसीपी प्रज्ञा पाठक ने उनकी बात शासन पहुंचाने का आश्वासन दिया और अनशन समाप्त करने की अपील की. इसके बाद मोहिनी देवी ने जूस ग्रहण किया. साथ ही शर्त रख दी की एक सप्ताह के भीतर महंत परिवार की परंपरा की बहाली का पत्र शासन की ओर से उन्हें नहीं मिला तो वह अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ जाएंगी.
वहीं पुलिस द्वारा पालकी शोभा यात्रा रोकने के नोटिस के चलते वहीं डॉ. कुलपति तिवारी के पुत्र पंडित वाचस्पति तिवारी ने महंत आवास टेढ़ीनीम पर ही सांकेतिक झुलनोत्सव कर परंपरा का निर्वाह किया. पंडित वाचस्पति तिवारी का कहना है कि जिस मुकदमे को आधार बनाकर जिला प्रशासन ने यह कार्रवाई की है वह मुकदमा कई वर्ष पुराना है. यदि ऐसा ही था तो पहले ही परंपरा पर रोक क्यों नहीं लगाई गई. वाचस्पति तिवारी का कहना है कि 358 साल इस पुरानी परंपरा को मंदिर प्रशासन तोड़ रहा है.