लखनऊ: जलवायु परिवर्तन का असर अब मॉनसून पर भी साफ नजर आने लगा है. शहर में मॉनसून सीजन की बात करें तो जून से लेकर 24 जुलाई तक महज 21 दिन ही बारिश हुई. बचे हुए 31 दिन सूखे ही गुजर गए. मौसम विज्ञानियों से मिली जानकारी के मुताबिक बारिश के पैटर्न में परिवर्तन हो रहा है.
इस साल शहर में जून में महज 6 दिन और जुलाई में 15 दिन बारिश हुई है. शहर समेत प्रदेश में लगातार रेनी डेज घट रहे है और इसके उलट सूखे दिनों में बढ़त हो रही है. नतीजतन पारा भी बढ़ता जा रहा है. जुलाई में बीते एक हफ्ते में दिन का पारा 36 डिग्री से लेकर 37.2 डिग्री सेल्सियस वहीं रात का पारा 26 डिग्री से लेकर 29.7 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया है.
कम दबाव के क्षेत्र डिप्रेशन में नहीं बदल रहे:अमौसी स्थित मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि बीते कई साल में मानसून सीजन को देखें तो रेनी डे कम हुए हैं. इसके अलावा रिमझिम बारिश के बजाय एक्सट्रीम इवेंट्स ज्यादा देखने को मिले हैं. बारिश में कमी का एक कारण सिस्टम का न बनना भी है. बारिश को मानसून ट्रफ की स्थिति, मानसून लो प्रेशर और मानसून डिप्रेशन प्रभावित करते है.
चार महीने में औसत 7-8 सिस्टम विकसित होने चाहिए. कम से कम दो सिस्टम हर महीने बनने चाहिए. अभी तक शहर समेत प्रदेश में बारिश का मुख्य कारण मॉनसून ट्रफ की सामान्य स्थिति ही है. बहुत प्रभावी सिस्टम एक से अधिक देखने को नहीं मिला है. यही नहीं कम दबाव के क्षेत्र का डिप्रेशन में पहुंचना भी जरूरी होता है लेकिन बीते कई साल से यह ट्रेंड बदला है. कम दबाव का क्षेत्र डिप्रेशन में नहीं बदल रहा, यह भी कम बारिश का एक बड़ा कारण है.