वाराणसी/लखनऊ/गोरखपुर/प्रयागराज : आज उदीयमान यानी उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व के 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन हो गया.काशी के गंगा घाट पर व्रती महिलाए और उनके परिवार के लोगों ने उगते सूरज की पूजा की. 3 दिन के व्रत के बाद चौथे दिन शुक्रवार को पारण किया गया. इसी के साथ जमकर आतिशबाजी भी की गई. महिलाओं ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर नृत्य भी किया.
घाटों पर सुबह से ही व्रती महिलाएं और छठी मैया के भक्त सूर्य के उदय होने का इंतजार कर रहे थे. सूर्य के उदय के साथ ही व्रती महिलाओं ने पानी में उतरकर उन्हें अर्घ्य दिया. इसके साथ ही अपने 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन किया. उगते सूर्य को अर्घ्य देने वाली व्रती महिलाओं ने नाक से लेकर माथे तक सिंदूर लगाया और भगवान भास्कर से अपने सुहाग व बच्चो की लंबी उम्र की कामना की.
लोक आस्था के महापर्व की अपनी श्रद्धा और आस्था है. यही वजह है कि अब इस महापर्व की अद्भुत छटा बिहार से निकालकर पूरे विश्व में फैलती जा रही है. वाराणसी के गंगा घाटों पर तो गुरुवार के बाद शुक्रवार को भी अद्भुत नजारा देखने को मिला. लाखों की भीड़ के बीच लोगों ने इस व्रत के अनुष्ठान को आज पूर्ण किया. गुरुवार को डूबते हुए और आज उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि की कामना की.
लखनऊ में भी दिखा उल्लास : लखनऊ में भी लोक आस्था का महापर्व छठ का उत्साह दिखा.शुक्रवार भोर को महिलाओं ने उगते हुए सूरज की पूजा किया. जैसे ही 6:52 मिनट हुआ, वैसे ही महिलाओं ने उगते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य अर्पित किया. शहर के लक्ष्मण मेला मैदान में छठ महापर्व को लेकर बीते दो महीना पहले से ही तैयारी चल रही थी. बीते दिन गुरुवार को लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने ढलते हुए सूरज को अर्घ्य दिया था.
लोक गायिका संजू सिंह ने छठ के तमाम गीत संगीत ईटीवी भारत को सुनाया. सृष्टि देशमुख ने बताया कि वह व्रत नहीं रहती है. लेकिन यह मनोरम दृश्य देखने के लिए आए हैं. हमारी संस्कृति और सभ्यता को दर्शाता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत अच्छी व्यवस्था करवाई है. सुरक्षा के लिए यहां पर पुलिस बल तैनात है. भोर में 4 बजे घने अंधेरे में भी हमें घाट आने में डर नहीं लगा. सूर्योदय होने के साथ यह व्रत पूर्ण हुआ है.
गोरखपुर के घाटों पर भी उमड़ी भीड़ : गोरखपुर में भी घाटों पर छठ पूजा की अद्भुत छटा दिखी. लोक आस्था के इस महापर्व पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा नजर आया. राप्ती नदी के रामघाट, गोरखनाथ घाट, गोरखनाथ मंदिर के मानसरोवर, सूरजकुंड मंदिर, रामगढ़ ताल, मीरपुर के राप्ती नदी, महेशरा पुल, चिलुवाताल, बड़हलगंज सरयू घाट, सहित हर मुहल्ले, गांव के स्वनिर्मित विभिन्न घाटों पर, बड़ी संख्या में व्रतियों और श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को अर्घ्य दिया और छठी मैया से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की कामना भी की.
व्रती महिलाओं और बच्चों को किसी तरह का दिक्कत ना हो अधिकारियों की फौज गस्त करती रही. एसडीएम, सीओ अपने-अपने क्षेत्र में भ्रमणशील रहकर किए गए व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे थे. रामघाट और पिपराइच क्षेत्र में ड्रोन कैमरे से बराबर निगरानी की जा रही थी. राजघाट और रामगढ़ ताल सहित अन्य नदियों पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और गोताखोर सुरक्षा की दृष्टि से लगे रहे.
प्रयागराज में भी महिलाओं ने उगते सूरज को दिया अर्घ्य : प्रयागराज में भी व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत का समापन किया. संगम तट पर इस वर्ष भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. छठ पर्व में उत्साह का अलग ही माहौल देखा गया. सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए थे. व्रती महिलाओं ने नई साड़ी और पूजा सामग्री के साथ पारंपरिक गीत गाते हुए सूरज को अर्घ्य अर्पित किया.
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